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Indo-Nepal Tension: कम हुई रिश्तों की मिठास, पहली बार सरहद का अहसास

कभी पर्यटकों से गुलजार रहने वाले नेपाल के कोयलाबास में सन्नाटा कृष्णानगर में कारोबार से खिन्न हो रहे व्यापारी।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 09:46 AM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2020 09:46 AM (IST)
Indo-Nepal Tension: कम हुई रिश्तों की मिठास, पहली बार सरहद का अहसास
Indo-Nepal Tension: कम हुई रिश्तों की मिठास, पहली बार सरहद का अहसास

बलरामपुर [रमन मिश्र]। चीन के साथ हालात बिगडऩे के बाद अब नेपाल की मौजूदा सरकार के रुख का असर सीमा के इस क्षेत्र पर भी साफ दिख रहा है। सब्जी, राशन से लेकर इलाज तक के लिए भारत के बाजारों पर निर्भर नेपाल दूरी बनाने पर अमादा है। कोरोना की आड़ में आवागमन पर रोक के चलते सीमा पर कारोबार करने वाले व्यापारियों को करारा झटका लगा है। कोयलाबास बॉर्डर पर सन्नाटा है। भारतीय पर्यटकों का आगमन बंद होने से कोयलाबास के व्यापारी भी तंगी में हैैं।

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दूसरी तरफ नेपाल के कृष्णानगर बाजार में भारत की सब्जी व आम का स्वाद तो पहुंच रहा है लेकिन, उन्हेंं ले जाने के लिए वाहनों पर पाबंदी है। बॉर्डर पर पहुंचते ही सब्जियों व आम को खाली कराकर नेपाल के वाहनों में लाद दिया जाता है। नेपाली बंदिश के चलते भारत के व्यापारी भी अपने हाथ खींचने लगे हैं।

वैसे, नेपाली नागरिकों में आज भी भारत के प्रति मिठास है। बॉर्डर के पार पहले जिले दांग का कोयलाबास बाजार भारतीय पर्यटकों को खूब लुभाता है। अब सन्नाटा है। इमलीबासा गांव की रहने वाली लक्ष्मी देवी ने कहा कि कोरोना ने दोनों देशों के रिश्तों को भले ही बीमार कर दिया है लेकिन, हमारी जरूरतें आज भी भारत से ही पूरी होती हैं। नेपाल के खबरी नाका निवासी साबिर सीमा स्तंभ की ओर इशारा करते हुए कहते हैं कि आज तक हम लोगों ने कभी इसे ध्यान से नहीं देखा था। सीमा क्या होती है, यह जानने की कभी जरूरत ही नहीं पड़ी। मूसीनाका के रमन सारंग बोल उठे कि अब बॉर्डर पर लगा बैरियर व तैनात प्रहरी दोनों देशों की सरहद का अहसास करा रहे हैं। आज भी हम लोग निवाले से लेकर दवा तक के लिए भारत की शरण ही लेते हैं।

... इनकी होती थी आपूर्ति

जिले के आढ़ती मारूफ का कहना है कि पहले एक दिन में तीन-चार ट्रक सब्जी व फल की आपूॢत नेपाल के बाजारों में होती थी। तब यहां से गाड़ी में सब्जी व फल लोड कर सीधे नेपाल के बाजारों में उतारा जाता था। अब कृष्णानगर बॉर्डर पर पहुंचते ही गाड़ी खाली करा दी जाती है। नेपाल के प्रहरियों का व्यवहार भी अब बदल चुका है। इसलिए अब वहां कारोबार करने की इच्छा खत्म हो रही है।


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