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घर का सपना देख रहे हैं, तो इन बातों का रखें ध्‍यान

लोगों की गाढ़ी कमाई हड़प रही रियल एस्टेट कंपनियां। तमाम रियल एस्टेट कंपनियों के खिलाफ दर्ज हो चुकी एफआइआर। रेरा के रडार पर कई कंपनियां निवेशक बरतें सावधानी।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 24 Apr 2019 10:13 AM (IST)Updated: Wed, 24 Apr 2019 10:13 AM (IST)
घर का सपना देख रहे हैं, तो इन बातों का रखें ध्‍यान
घर का सपना देख रहे हैं, तो इन बातों का रखें ध्‍यान

लखनऊ, ( ऋषि मिश्र)। एक अदद घर का सपना देखने वाले आम आदमी रियल एस्टेट कंपनियों और प्रापर्टी डीलरों के झांसे में अपनी गाढ़ी कमाई लुटा रहे हैं। राजधानी में ही रियल एस्टेट कंपनियों ने करीब पांच हजार करोड़ रुपये दबा रखा है और लोग घर और प्लॉट की आस में चक्कर लगा रहे हैं। राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में दर्जनों कंपनियां भ्रामक सूचनाएं देकर लोगों को जाल में फंसा रही हैं। जमीन नहीं इसके बावजूद टाउनशिप प्लानिंग के नाम पर प्लॉट और मकान कागजों पर हवा-हवाई स्कीमों के दम पर बेच रहे हैं। 

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तीन सौ शिकायतों पर हो रही सुनवाई 

बीते कुछ महीनों में रेरा ने शिकंजा कसा तो कई बड़े नाम अब निवेशकों से भाग रहे हैं। निवेशकों को रेरा के आदेशों से फौरी मरहम तो मिल रहा है, मगर वास्तविकता में अब तक उनको अपने आशियाने दूर ही नजर आ रहे हैं। लगभग एक दर्जन निजी कंपनियों की लगभग तीन सौ शिकायतों पर रियल एस्टेट रेग्यूलेटरी में सुनवाई की जा रही है। शुरुआती फैसले दिए गए हैं, मगर जिस तरह की राहत की उम्मीद निवेशक कर रहे हैं, वह नहीं मिली है। 

  • जहां लिखा हो रेरा एप्रूव वहां न खरीदें प्लॉट
  • कोई भी आवासीय प्रोजेक्ट रेरा अनुमोदित (एप्रूव) नहीं होता है। वह रेरा रजिस्टर्ड होता है। अनुमोदन एलडीए और आवास विकास परिषद जैसी एजेंसियां ही दे सकती हैं। 

ये करें नहीं जाना पड़ेगा रेरा

  •  जिस भी प्रोजेक्ट में आप निवेश करने जा रहे हैं, उसमें रेरा की पंजीकरण संख्या मांगें
  • अगर कोई निजी कंपनी रेरा एप्रूव्ड लिख रही है तो मान लीजिए कि प्रोजेक्ट में कुछ फर्जीवाड़ा है। रेरा केवल परियोजनाओं का पंजीयन करती है।
  • एलडीए, आवास विकास परिषद या जिला पंचायत जहां से भी नक्शा पास किया गया है, उसको परमिट नंबर बिल्डर से मांगें। इस परमिट नंबर के आधार पर विभाग में जाकर प्रोजेक्ट की पूरी जानकारी लें।
  • 200, 300 या 400 रुपये प्रति वर्ग फीट में अगर कोई बिल्डर आपको जमीन बेच रहा है, तो उस पर संदेह करें। एलडीए अनुमोदन प्राप्त करने के बाद इतनी सस्ती भूमि नहीं बेची जा सकती है।
  • 2000 वर्ग मीटर से कम भूमि पर अगर कोई फ्लैट बना रहा है तो ये तय है कि अपार्टमेंट अवैध है
  • कई बिल्डर एलडीए के क्षेत्र में जिला पंचायत से मानचित्र पास करा के भी अपार्टमेंट बनाते हैं, ऐसे में जहां भी अपार्टमेंट बनाया जा रहा है, उस गांव के नाम के आधार पर एलडीए में जानकारी कर लें कि कहीं वह प्राधिकरण क्षेत्र में तो नहीं है। 

क्या कहते हैं वीसी 

लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष प्रभु एन सिंह का कहना है कि किसी भी जगह पर संपत्ति में निवेश करते समय लापरवाही न करें। जरा भी शक होने पर एलडीए आकर जानकारी करें। प्राधिकरण जहां भी मानचित्र पास करता है, उसकी पूरी जानकारी उपलब्ध होती है। पूरी तरह से संतुष्टि होने पर ही निवेश करें।


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