रामेश्वरम से अयोध्या तक रथयात्रा निकालेगी श्री रामदास मिशन यूनिवर्सल सोसायटी
विश्व हिंदू परिषद ने लोगों को संतुष्ट करने और मुद्दे से जोड़े रखने के लिए कार्यक्रम घोषित कर रखे हैं। परदे के पीछे और भी चीजें चल रही हैं। राम राज्य रथयात्रा इसी की कड़ी है।
लखनऊ [गिरीश पाण्डेय]। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण देश में चुनावी नहीं करोड़ों हिंदुओं की आस्था का मुद्दा है। यह संकेत देने के लिए प्रयागराज कुंभ के धर्म संसद में तय हुआ था कि आम चुनाव तक इस मुद्दे पर कोई आंदोलन नहीं होगा।
विश्व हिंदू परिषद ने लोगों को संतुष्ट करने और इस मुद्दे से जोड़े रखने के लिए कुछ कार्यक्रम घोषित कर रखे हैं। हालांकि परदे के पीछे और भी चीजें चल रही हैं। 'राम राज्य रथयात्रा' इसी की कड़ी है। महाशिवरात्रि के दिन रामेश्वरम से चलकर रामनवमी के एक दिन पहले अयोध्या पहुंचने वाली यह बड़ी यात्रा, इसके पड़ाव और आयोजकों की मांगें (राम राज्य की स्थापना, जन्म भूमि पर भव्य मंदिर निर्माण, शिक्षा में रामायण को शामिल करना, विश्व हिंदू दिवस और गुरुवार को साप्ताहिक अवकाश घोषणा) असलियत बता देती हैं।
श्री रामदास मिशन यूनिवर्सल सोसायटी ने इस यात्रा का आयोजन किया है। स्वामी कृष्णानंद सरस्वती और शक्ति शांतानंद महर्षि इसके प्रमुख किरदार हैं। साधु-संतों और हिंदू संगठन इसमें मददगार होंगे, पर यात्रा के पीछे मंदिर आंदोलन से जुड़े संतों और विहिप की भी सक्रिय भूमिका होगी। मसलन रथयात्रा के शुभारंभ पर रामेश्वरम में श्री राम जन्मभूमि न्यास अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास के उत्तराधिकारी कमल नयन दास, केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल सदस्य महंत कन्हैया दास और विहिप के प्रवक्ता रहे शरद शर्मा भी मौजूद रहेंगे।
सोच-समझकर किया गया समय और मार्ग का चयन
यात्रा के मार्ग और समय का चयन सोच-समझकर किया गया है। मसलन चार मार्च को शिवरात्रि के दिन शुरू यह यात्रा रामनवमी के एक दिन पहले 12 अप्रैल को अयोध्या पहुंचेगी। रामेश्वर ही वह जगह है जहां शिवलिंग की स्थापना और उसके पूजन के बाद भगवान श्री राम ने लंका पर चढ़ाई कर विजय हासिल की थी। ऐसे में चुनाव के बीच निकलने वाली यात्रा का प्रतीकात्मक महत्व भी होगा।
यात्रा के मार्ग में पडऩे वाले प्रमुख धार्मिक शहर सोमनाथ, द्वारिका, मथुरा, वृंदावन, पुष्कर और नैमिषारण्य आदि भी खुद में संकेत होंगे। हर जगह यात्रा का भव्य स्वागत होगा। साथ में सभा के जरिये मांग भी की जाएगी। रामेश्वरम से निकलने वाली यह यात्रा नौ राज्यों और तीन दर्जन से अधिक शहरों से गुजरेगी। इस दौरान करीब नौ हजार किमी की यात्रा तय करेगी। इसका अंतिम पड़ाव अयोध्या में होगा।
सरकार के एजेंडे में अयोध्या सर्वोपरि
अयोध्या सरकार के एजेंडे में प्राथमिकता पर है। लगातार दो साल भव्य दीपोत्सव का आयोजन, 133 करोड़ रुपये के विकास कार्य, विदेशी पर्यटकों को लुभाने के लिए नव्य अयोध्या बसाने का प्रस्ताव इसके सुबूत हैं। आम चुनाव की घोषणा के ठीक पहले कैबिनेट की बैठक में अयोध्या में 28 हेक्टेयर क्षेत्र में भगवान श्री राम की भव्य मूर्ति की स्थापना और उससे लगे गुजरात के स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की तर्ज पर अन्य मूलभूत सुविधाओं के विकास की घोषणा कर सरकार ने इसे और पुख्ता कर दिया।