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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक डा. इन्द्रेश कुमार ने कहा, समस्याओं से निकलने के लिए करें संवाद

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक डा. इन्द्रेश कुमार ने कहा है कि भाषा के अज्ञान में मजहब को जबरन जोड़ने से फसाद होते हैं। ये रास्ता ठीक नहीं है सभी को अपने पवित्र धर्मग्रंथों को ठीक से पढ़ना व समझना चाहिए फिर संवाद करें तब रास्ता निकलेगा।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 21 Oct 2021 10:31 PM (IST)Updated: Thu, 21 Oct 2021 10:31 PM (IST)
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक डा. इन्द्रेश कुमार ने कहा, समस्याओं से निकलने के लिए करें संवाद
डा. ख्वाजा इफतेखार अहमद की पुस्तक 'वैचारिक समन्वय : एक व्यवहारिक पहल' का विमोचन।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक डा. इन्द्रेश कुमार ने कहा है कि भाषा के अज्ञान में मजहब को जबरन जोड़ने से फसाद होते हैं। ये रास्ता ठीक नहीं है, सभी को अपने पवित्र धर्मग्रंथों को ठीक से पढ़ना व समझना चाहिए, फिर संवाद करें तब रास्ता निकलेगा। उन्होंने पूछा कि कौन सा ऐसा मजहब है जो जुल्म करने को कहता है? यह भी कहा कि इज्जत व आजादी के लिए कुर्बानी जरूरी है लेकिन, परिवार व समाज के लिए सिर्फ वार्ता व समझौते करिए। हर समस्या का हल निकल आएगा।

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भाषाई सौहार्द परिषद उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में 'वैचारिक समन्वय-संवाद की समाधान' विषयक परिचर्चा में मुख्य वक्ता व मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक डा. कुमार ने कहा कि 'लंबे समय से कट्टरपंथी और राजनीतिक द्वेष वाले नेताओं ने मुसलमानों को यही समझाया है कि आरएसएस व भाजपा उनके दुश्मन हैं, लेकिन ऐसा नहीं है।' कैंट रोड लखनऊ स्थित होटल में उन्होंने डा. ख्वाजा इफतेखार अहमद की पुस्तक 'वैचारिक समन्वय : एक व्यवहारिक पहल' का विमोचन करते हुए कहा कि पुस्तक इस बात का आह्वान करती दिखाई देती है कि आरएसएस और भाजपा से नफरत नहीं, संवाद कायम करना है। किसी तरह का फसाद नहीं, भाईचारा पैदा करना है। उन्होंने पिछली एक सदी के भारतीय, राजनीतिक व सामाजिक परिवेश और वर्तमान परिस्थितियों का उल्लेख किया।

भाषाई सौहार्द परिषद के अध्यक्ष एडवोकेट अतहर नबी ने कहा कि हिंदी, अंग्रेजी व उर्दू तीनों ही भाषाओं में प्रकाशित हुई यह किताब देश में 500 से अधिक धर्मगुरुओं, शिक्षाविदों और मुस्लिम समाज के प्रभावी लोगों तक पहुंच गई है। एएमयू अलीगढ़ के प्रोफेसर और पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के सलाहकर रहे लेखक डा. ख्वाजा इफतेखार अहमद ने कहा कि हमें सिर्फ इंसानी बिरादरी के बारे में सोचना चाहिए। हमारी कई समस्याएं दूरदर्शिता के अभाव का भी नतीजा हैं।

दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन डा. इर्तिजा करीम ने कहा कि इंसानियत की सेवा ही मुल्क की खिदमत है। बेहतरी की कोशिश करते हुए हमेशा ऐसी कोशिशें होनी चाहिए कि दीवारें टूटें और संवाद कायम रहे। जामिया मिलिया दिल्ली के प्रो. काजी उबैदुर्रहमान, परिषद के सचिव हसन काजमी ने भी संबोधित किया। परिषद के अध्यक्ष एडवोकेट अतहर नबी ने डा. इन्द्रेश कुमार को अंगवस्त्र, स्मृतिचिह्न देकर भारत गौरव सम्मान से अलंकृत भी किया।


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