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Positive India: शरीर से गायब कोरोना वायरस का भी पता लगाएगी रैपिड किट

Coronavirus Positive India एंटीबॉडी बेस्ड रैपिड किट को एनआइवी पुणो ने किया वैध। यह किट कम्युनिटी केस रिपोर्ट में लंबे समय तक आएगी काम।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Mon, 30 Mar 2020 08:16 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2020 03:57 PM (IST)
Positive India: शरीर से गायब कोरोना वायरस का भी पता लगाएगी रैपिड किट
Positive India: शरीर से गायब कोरोना वायरस का भी पता लगाएगी रैपिड किट

लखनऊ [संदीप पांडेय]। Positive India: देश में कोरोना की मास टेस्टिंग पर बहस बनी हुई है। कम्युनिटी बेस्ड जांच पर आइसीएमआर इनकार कर रहा है। वहीं, एनआइवी पुणो ने पहली रैपिड किट को वैध कर दिया है। यह किट वर्तमान संक्रमण के साथ-साथ भविष्य में भी काम आएगी। इसमें कोविड-19 से मुक्ति के बाद भी बीमारी की पहचान की जा सकेगी। सार्स-कोव-टू वायरस की जांच के लिए 27 मार्च को गाइड लाइन जारी कर दी गई है।

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इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) देश में अभी कोरोना वायरस का थर्ड फेज नहीं मान रहा है। ऐसे में कम्युनिटी बेस्ड टेस्टिंग भी नहीं की जा रही है। वहीं एनआइवी पुणो के साथ करीब 11 रैपिड टेस्टिंग किट की वैधता को परखने पर काम चल रहा है। यह किट विभिन्न देशों की कंपनियों ने बनाई है। 27 मार्च को एनआइवी पुणो ने एंटीबॉडी बेस्ड रैपिड टेस्ट को वैध किया। यह किट व्यक्ति के शरीर में मौजूद संक्रमण का पता लगाने में सक्षम है। इसके लिए एंटीबॉडी ‘आइजीएम’ पॉजिटिव आएगा। वहीं कोरोना से मुक्त हो चुके मरीज में वषों बाद भी पता चल सकेगा कि वह पहले इससे संक्रमित रह चुका है। इसके लिए उसके शरीर में बन चुकी एंटीबॉडी ‘आइजीजी’ पकड़ने में भी यह किट सक्षम होगी।

दरअसल, व्यक्ति में पांच प्रकार की एंटीबॉडी- जी, ए, एम, डी, ई होती हैं। इसमें संक्रमण की शुरुआत में आइजीएम बनती है, बाद में आइजीजी का निर्माण होता है। ऐसे में कोरोना से मुक्ति पा चुका व्यक्ति कभी अन्य बीमारी की गिरफ्त में आया तो उसके जोखिम की स्थिति व इलाज की दिशा तय करने में आसानी होगी।

30 मिनट में होगा टेस्ट

बीएसएल थ्री लैब में कोरोना की रिपोर्ट आठ से 12 घंटे में मिल रही है। विशेषज्ञ के मुताबिक एंडीबॉडी बेस्ड किट से 30 मिनट में जांच मुमकिन होगी। कंफर्मेशन के लिए बेवजह पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) जांच की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी। विशेषज्ञ किसी केस में शंका होने पर भले ही लैब से जांच रिपीट कराएं। गाइड लाइन के अनुसार, किट से जांच ब्लड, सीरम व प्लाच्मा से किया जाएगा। वहीं इसमें संक्रमण के सात से 10 दिन में टेस्ट पॉजिटिव आएगा।

देश में सबसे कम जांच

देश में कोरोना टेस्टिंग कम हो रही है। अनुमान है कि यहां प्रति 10 लाख व्यक्तियों पर 6.8 लोगों का टेस्ट हुआ। चिकित्सा विज्ञानियों के मुताबिक जांच का दायरा बढ़ाया जाए तो मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है। इसके लिए सिंगापुर व दक्षिण कोरिया जैसे देशों का हवाला दिया जा रहा है।


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