Move to Jagran APP

ओडीओपी समिट: राष्ट्रपति को खूब भाया एक लाख रुपये की कीमत का ताजमहल

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक लाख रुपये की कीमत का ताजमहल खूब पसंद आया। इसे बुंदेलखंड के शजर हस्तकला उद्योग के कलाकारों ने बनाया है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Fri, 10 Aug 2018 08:29 PM (IST)Updated: Sat, 11 Aug 2018 07:30 AM (IST)
ओडीओपी समिट: राष्ट्रपति को खूब भाया एक लाख रुपये की कीमत का ताजमहल
ओडीओपी समिट: राष्ट्रपति को खूब भाया एक लाख रुपये की कीमत का ताजमहल

लखनऊ (जेएनएन)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक लाख रुपये की कीमत का ताजमहल खूब पसंद आया। इसे बुंदेलखंड के शजर हस्तकला उद्योग के कलाकारों ने बनाया है। शजर एक प्रकार का पत्थर होता है जो बांदा की केन नदी में पाया जाता है। इस पत्थर की खासियत यह है कि पालिश करने से इसमें फूल-पत्तियां व पेड़ की आकृतियां अपने आप उभर आती हैं। इसी पत्थर से यह ताजमहल बनाया गया है। बुंदेलखंड शजर हस्तकला उद्योग के द्वारिका प्रसाद सोनी ने बताया कि राष्ट्रपति ने उनके शजर रत्नों में खूब दिलचस्पी दिखाई। इन पत्थरों से बने लैंप को भी बारीकी से देखा।

loksabha election banner

केवल केन नदी में मिलता पत्थर 

द्वारिका प्रसाद ने बताया कि यह पत्थर केवल केन नदी में मिलता है। नदियों से इसे मल्लाह निकालते हैं। विशेष कटिंग व पालिश के बाद इसकी आकृतियां उभर आती हैं। शजर रत्न के विशेषज्ञ सुरेन्द्र कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि बुंदेलखंड की इस कला को बड़े बाजार की जरूरत है। इससे बनी अंगूठी व पेंडेंट भी लोग खूब पसंद करते हैं। इसके खूबसूरत रत्न 100 रुपये से लेकर 2500 रुपये तक में उपलब्ध हैं। वे कहते हैं कि इस हस्तकला उद्योग को बढ़ावा देने से सूखे बुंदेलखंड में रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकते हैं।

सहारनपुर के काष्ठ शिल्प को मिली सराहना

राष्ट्रपति ने सहारनपुर की काष्ठ शिल्प कला की भी सराहना की। उन्होंने इसके कारीगरों से बात की। यहां का हस्तशिल्प अपने सुंदर डिजाइन एवं नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है। राष्ट्रपति को जो स्मृति चिह्न दिया गया वह भी सहारनपुर की काष्ठ कला का नमूना है। इसमें महाभारत के युद्ध के समय रथ में बैठकर भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को गीता का उपदेश दे रहे हैं। सहारनपुर के कारीगरों ने बताया कि शीशम की लकड़ी के अलावा नीम की लकड़ी के फर्नीचर बनाए जा रहे हैं। यहां से लकड़ी नक्काशी के फर्नीचर एवं हैंडीक्राफ्ट उत्पादों का निर्यात विदेशों में भी हो रहा है। 

केला रेसा उत्पाद को मदद की दरकार

कौशाम्बी के केला फ्रूट प्रोसेसिंग एंड केला रेसा उत्पाद को सरकारी मदद की दरकार है। प्रदर्शनी में हिस्सा लेने आए एमपी शुक्ला ने राष्ट्रपति को केला रेसे से बने उत्पाद दिखाए। उन्होंने वह पत्तल भी दिखाई जो केले के तने से बनाई गई है। उन्होंने बताया कि इससे प्रदूषण नहीं फैलता है, लेकिन इसकी लागत अधिक होने से इसके दाम भी ज्यादा हैं। एक पत्तल की कीमत 25 रुपये आ रही है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार से इस व्यवसाय को मदद मिल जाए तो कौशाम्बी में काफी लोगों का भला हो सकता है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.