Ramadan Special: शिया 75 और सुन्नी 45 रुपये देंगे सदका-ए-फित्र
रमजान के दिनों में फित्रा और जकात करना सवाब का काम है शिया 75 और सुन्नी 45 रुपये सदका-ए-फित्र वाजिब है।
लखनऊ, जेएनएन। रमजान में एक महीने रोजे रखने के साथ ही सदका-ए-फित्र निकालना भी रोजेदारों के लिए वाजिब करार दिया गया है। इस बार शिया समुदाय को प्रति व्यक्ति 75 रुपये व सुन्नी समुदाय को प्रति व्यक्ति 45 रुपये सदका-ए-फित्र निकालना होगा।
दारुल इफ्ता वल कजा फरंगी महल के मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि जो व्यक्ति खजूर व जौ पर सदका-ए-फित्र निकालना चाहते हैं, उनको 3.5 किग्रा या उसकी कीमत अदा करनी होगी। जबकि, गेहूं पर पौने दो सेर या उसकी कीमत अदा करनी होगी। जो करीब 45 रुपये होती है। वहीं, आयतुल्ला सादिक हुसैनी शिराजी कार्यालय से जारी एलान के अनुसार शिया समुदाय को प्रति व्यक्ति 75 रुपये फित्र निकालना होगा। प्रति व्यक्ति तीन किग्रा अनाज सदका-ए-फित्र अदा करना होगा।
ऐशबाग ईदगाह में रोजा इफ्तार कराया गया। रोजेदारों ने एक साथ इफ्तार कर दुआएं मांगीं। ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने रोजेदारों को नमाज अदा कई। नमाज बाद देश में अमन व सुकून कायम रहने के लिए दुआएं मांगी गईं। इस बीच हिंदू-मुसलमानों ने साथ में इफ्तार किया।
मुखिया को परिवार के सदस्यों की संख्या के अनुसार अदा करनी होगी फित्र की रकम, हुसैनी शिराजी कार्यालय ने जारी की सूचना
सुन्नी हेल्पलाइन
सवाल : पांच साल बाद किसी को दी उधार की रकम वापस मिली है तो क्या उस पर भी जकात देनी होगी?
जवाब : देनी होगी। मिली रकम पर पांच सालों की जकात एक बार में अदा करना होगा।
सवाल : क्या बिना इजाजत के दूसरी की तरफ से जकात कर सकते हैं?
जवाब : नहीं, अगर बाद में इजाजत मिल जाए तो भी नहीं।
शिया हेल्पलाइन
सवाल : क्या खुम्स की रकम स्कूल में दी जा सकती है?
जवाब : खुम्स की रकम के दो हिस्से हैं। एक सहम-ए-सादात और सहम-ए-इमाम का हक है। इमाम का हिस्सा दीनों कामों में दे सकते हैं।
सवाल : किसी की जान बचाने के लिए रोजेदार नदी में कूदे और उसका सिर डूब जाए तो क्या होगा?
जवाब : रोजा टूट जाएगा, लेकिन जान बचाने का सवाब कई गुना मिलेगा।
सवाल: रोजे की हालत में किसी की बुराई करना कैसा है?
जवाब : रोजा तो नहीं टूटेगा, लेकिन गुनाहगार होगा।
फोन कर पूछें सवाल
रोजेदार अपने किसी भी सवाल का जवाब हासिल कर सकते हैं। इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के हेल्पलाइन नंबर-9415023970, 9335929670, 9415102947 व 7007705774 पर दोपहर दो से शाम चार बजे के बीच फोन कर सकते हैं। वहीं, सुबह दस से दोपहर 12 बजे के बीच आयतुल्ला अल उजमा सैयद सादिक हुसैनी शिराजी हेल्पलाइन नंबर 9839097407, 9415580936 व 0522-4233005 पर अपने सवालों के जवाब हासिल करें। इसी तरह महिलाएं भी हेल्पलाइन नंबर 6386897124 पर फोन कर अपने सवाल पूछ सकती हैं।
फजीलत : रोजेदार अल्लाह का मेहमान
हजार रहमतों व बरकतों के साथ रमजान मगफिरत का महीना है। इसलिए इस पाक महीने में रोजेदारों को ज्यादा से ज्यादा इबादत व नेकियों के साथ अपनी गुनाहों की तौबा तलब करनी चाहिए। जो इंसान रमजान में सच्चे दिल से अपने गुनाहों की माफी तलब करता है, अल्लाह उसके गुनाहों को माफ कर देता है।
नईमुर्रहमान सिद्दीकी, प्रधानाचार्य, मदरसा दारुल उलूम फरंगी महल
जायका : कबाब-पराठा
वैसे तो साल भर दूर-दूर से कबाब-पराठा के शौकीन पुराने शहर के होटलों में पहुंचते थे, लेकिन रमजान के दिनों में कबाब-पराठा की डिमांड कई गुना बढ़ जाती है। रमजान के दिनों में गलावटी कबाब के साथ शामी कबाब, सीक कबाब, बोटी कबाब का जायका लेने के लिए देर रात तक शौकीनों की भीड़ जुटी रहती है।
इबादतगाह : मस्जिद शाहनजफ इमामबाड़ा
अवध के पहले बादशाह गाजीउद्दीन हैदर ने वर्ष 1814-27 के बीच इमामबाड़ा शाहनजफ का निर्माण कराया गया था, जो बिलकुल नजफ इराक में स्थित शिया समुदाय के पहले इमाम हजरत अली अलेहिस्सलाम के रोजे की नकल है। इमामबाड़े में बायीं ओर एक मस्जिद है। मस्जिद में हुसैनाबाद ट्रस्ट की ओर से रोजाना रोजेदारों के लिए इफ्तारी भेजी जाती है।
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