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राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद को पूरे हुए 25 साल

छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में जो हुआ उसकी शुरुआत 1990 में आडवाणी की रथयात्रा से हो गई थी। तब ये नारा दिया गया था कि ‘कसम राम की खाते हैं मंदिर वहीं बनाएंगे’

By Ashish MishraEdited By: Published: Wed, 06 Dec 2017 01:13 PM (IST)Updated: Wed, 06 Dec 2017 01:17 PM (IST)
राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद को पूरे हुए 25 साल
राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद को पूरे हुए 25 साल

लखनऊ (जेएनएन)।। अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के 25 साल पूरे हो गए हैं। जिसको लेकर देशभर में अलर्ट जारी कर दिया गया है। विश्व हिंदू परिषद ने आज देशभर में शौर्य दिवस मनाने का एलान किया है तो वहीं बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी ने शांतिपूर्ण ढंग सें बाबरी विध्वंस की बरसी मनाने का एलान किया है।

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विश्व हिंदू परिषद अयोध्या, लखनऊ समेत पूरे देश में शौर्य दिवस मना रहा है। विश्व हिंदू परिषद की तरफ से लखनऊ में शौर्य संकल्प सभा का आयोजन सरस्वती शिशु मंदिर निराला नगर में किया जाएगा। इसके अलावा अयोध्या के कारसेवक पुरम में दोपहर 2 बजे आयोजित होने वाली शौर्य संकल्प सभा में बड़ी संख्या में साधु-संतों के पहुंचने की सम्भावना है।

बरसी को शांतिपूर्ण ढंग से मनाएगी बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी

बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी ने मुस्लिम समुदाय से आज बाबरी विध्वंस की बरसी को शांतिपूर्ण ढंग से मनाने और मामले से सम्बन्धी सभी मुकदमों के जल्द निपटारे और विवादित स्थल पर मुसलमानों को कब्जा मिलने की दुआ के लिये विशेष आयोजन की अपील की है।

बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के सयोंजक ज़फ़रयाब जीलानी ने कहा है मुस्लिम समुदाय 6 दिसम्बर को विशेष प्रार्थना सभाओं का भी आयोजन करे जिसमें बाबरी विवाद से सम्बन्धित सभी मुकदमों का जल्द से जल्द फैसला हो। अयोध्या के राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद ने तब एक बड़ा मोड़ ले लिया था जब छह दिसंबर 1992 को लाखों कारसेवकों की भीड़ ने बाबरी मस्जिद को गिरा दिया था। उस वक्त उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी। 

छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में जो हुआ उसकी शुरुआत 1990 में आडवाणी की रथयात्रा से हो गई थी। तब ये नारा दिया गया था कि ‘कसम राम की खाते हैं मंदिर वहीं बनाएंगे’ 05 दिसंबर 1992 को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बयान ने हवा का रुख बदल दिया। उन्होंने कहा था, ‘’उस जगह को समतल तो करना पड़ेगा।’’

अटल बिहारी वाजपेयी के इस बयान के अगले ही दिन यानि की 06 दिसंबर 1992 को अयोध्या में लाखों कारसेवकों की भीड़ जुट चुकी थी। इस भीड़ के साथ-साथ बीजेपी, विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के तमाम नेता ढांचे के पास बने मंच पर मौजूद थे।

06 दिसंबर 1992 को कुछ कारसेवक ढांचे के आसपास बनी रेलिंग को फांदकर अंदर घुसने की कोशिश करने लगे। किसी के हाथ में फावड़े तो कोई हथौड़े लेकर बाबरी मस्जिद की तरफ बढ़ा चला जा रहा था। मस्जिद को गिराने के लिए बड़ी-बड़ी रस्सियों का इंतजाम भी पहले से कर लिया गया था। इतनी तैयारी के साथ आई कारसेवकों की भीड़ में से कुछ लोग जल्द ही गुंबद तक पहुंच गए और फिर देखते ही देखते गुंबद को गिरा दिया गया।

मुख्य गवाह प्रवीण जैन की माने तो उनका कहना है की एक दिन पहले यानि 05 दिसंबर को इसका रिहर्सल किया गया था की कैसे मस्जिद को गिराया जायेगा। अपने एक इंटरव्यू में उन्होंने यह खुलासा किया है। 


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