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Ayodhya Ram Mandir: मंदिर की आधारभूमि में स्थापित हुईं तीन लाख गांवों में पूजित राम शिलाएं

अयोध्‍या में राम मंदिर निर्माण में ऐसा कोई हिस्सा नहीं है जिसका निर्माण पूज‍ित शिलाओं से सुनिश्चित होता। इस देखते हुए रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इन पूज‍ित शिलाओं को आस्था के स्मारक के रूप में रामजन्मभूमि परिसर में स्थापित करने का निर्णय लिया था।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 27 May 2022 09:14 PM (IST)Updated: Sat, 28 May 2022 06:54 AM (IST)
Ayodhya Ram Mandir: मंदिर की आधारभूमि में स्थापित हुईं तीन लाख गांवों में पूजित राम शिलाएं
आस्था के नये प्रतिमान गढ़ रही अयोध्‍या में राम मंदिर की आधारभूमि।

अयोध्‍या, [रघुवरशरण]। रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए गांव-गांव पूजित कराई गईं राम शिलाएं (ईंटें) भले ही निर्माण में नहीं प्रयुक्त हो सकीं, किंतु मंदिर की आधारभूमि में स्थापित होकर वह आस्था का नया प्रतिमान गढ़ रही हैं। 30 सितंबर 1989 को मंदिर निर्माण के लिए यह शिलाएं देश के पौने तीन लाख गांवों सहित दूसरे देशों तक में पूजित कराई गई थीं।

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मंदिर निर्माण के प्रति व्यापक जन जागरण सुनिश्चित कराने के साथ ये शिलाएं अत्यंत आदरपूर्वक अयोध्या लाई गई थीं। पहले इन्हें रामजन्मभूमि के करीब फकीरेराम मंदिर के परिसर में स्थापित किया गया। सन 2005 में रामजन्मभूमि परिसर पर आतंकी हमले के बाद इन्हें फकीरेराम मंदिर से स्थानांतरित कर रामघाट स्थित मंदिर निर्माण कार्यशाला में रखा गया था। नौ नवंबर 2019 को राम मंदिर के पक्ष में आए न्यायालय के निर्णय के बाद जब मंदिर निर्माण की कार्ययोजना बनी, तब इन शिलाओं की उपयोगिता पर सवाल उठने लगे।

मंदिर निर्माण में ऐसा कोई हिस्सा नहीं है, जिसका निर्माण इन शिलाओं से सुनिश्चित होता। इसके बावजूद रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इन शिलाओं को आस्था के स्मारक के रूप में रामजन्मभूमि परिसर में स्थापित करने का निर्णय लिया और इसी क्रम में यह शिलाएं गत माह ही मंदिर निर्माण कार्यशाला से रामजन्मभूमि परिसर लाई गईं और उन्हें रामलला के गर्भगृह के ईशानकोण पर स्थापित किया गया।

मंदिर परिसर में पूजित शिलाओं को संयोजित करने के लिए रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने पूरी संवेदना का परिचय दिया। एक अवधारणा यह थी कि राम मंदिर से विलग रामजन्मभूमि परिसर के अन्य हिस्से में इसे आस्था के स्मारक के रूप में संरक्षित किया जाय, किंतु पूजित शिला के रूप में दशकों पुरानी ईंटों को कितने समय तक और संरक्षित किया जा सकता है, यह सवालों के घेरे में था। साथ ही मंदिर निर्माण के लिए पूजित कराई गईं शिलाओं से न्याय करते हुए उनका उपयोग राम मंदिर में करने की नैतिक बाध्यता भी थी। विहिप के प्रांतीय प्रवक्ता शरद शर्मा के अनुसार इसी औचित्य के अनुरूप शिलाओं को राम मंदिर की आधारभूमि में स्थापित किया गया है।


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