सुभासपा की चुनौतीः आंबेडकर मैदान आज ओमप्रकाश राजभर की दमखम का पैमाना
लखनऊ के रमाबाई आंबेडकर मैदान में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष और यूपी सरकार के मंत्री ओमप्रकाश राजभर की चुनौतियों का दम दिखेगा।
लखनऊ (जेएनएन)। रमाबाई आंबेडकर मैदान में शनिवार को भाजपा सरकार में साझीदार सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष और पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर की चुनौतियों का दम दिखेगा। सुभासपा के 16वें स्थापना दिवस पर राजभर ने यहां रैली आयोजित की है। उन्होंने इस रैली में भाजपा का कच्चा चिट्ठा खोलने और गठबंधन पर विचार करने की चुनौती दी थी। देखना होगा कि राजभर अपनी चुनौतियों पर कायम रहते हैं या फिर सत्ता में बने रहकर सरकार के खिलाफ मुश्किल खड़ी करते रहेंगे।
रैली के ऐतिहासिक होने का दावा
सुभासपा के प्रांतीय महासचिव शशि प्रताप सिंह ने बताया कि शुक्रवार दिन में वाराणसी कैंट से विभिन्न ट्रेनों क जरिए करीब बारह हजार कार्यकर्ताओं को लखनऊ रैली के लिए रवाना किया गया है। बसों और अन्य निजी वाहनों से बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और समर्थक पहुंच रहे हैं। साथ ही सुभासपा के प्रभाव क्षेत्र वाले जिलों कार्कर्ताओं का हुजूम पहले ही रवाना हो चुका है । उनका दावा है कि यह यूपी की राजधानी में पार्टी की पहली रैली है और यह ऐतिहासिक होगी।
तस्वीरों में देखें-कांग्रेस का लखनऊ में प्रदर्शन
रैली के संभावित मुद्दे
- यूपी राज्य पुनर्गठन
- वेस्टयूपी हाईकोर्ट बेंच
- पूर्णरूप से शराबबंदी
- सबको मुफ्त शिक्षा
- आरक्षण में वर्गीकरण
रैली की राजनीति
- आरक्षण संबंधी वादा पूरा नहीं
- गठबंधन तोडऩे की बात संभव
- शाह के वादे की मियाद पूरी
धमकी तो गठबंधन तोड़ने की
राजभर पिछड़ों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण में अति पिछड़ों को अलग से आरक्षण देने की मांग कर रहे हैं। राजभर के मुताबिक इस मसले पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से दो बार उनकी बातचीत हुई थी और शाह ने उनकी मांग पूरी करने का वादा किया था। अमित शाह के वादे की समय सीमा शुक्रवार को पूरी हो गई। सरकार के खिलाफ विद्रोही रुख अपनाए राजभर ने इस रैली में गठबंधन पर विचार करने का ऐलान किया था। यह साफ संकेत था कि अगर मांग पूरी नहीं हुई तो वह भाजपा सरकार से नाता तोड़ देंगे।
रैली में ही अपने पत्ते खोलेंगे राजभर
ओमप्रकाश राजभर से जब इस संदर्भ में बातचीत की गई तो बोले कि हम अपने पत्ते रैली में जनता के सामने ही खोलेंगे। उन्होंने यह जरूर कहा कि इस बीच अमित शाह से उनकी कोई बातचीत नहीं हुई। उनकी एक भी मांग पूरी नहीं हुई। इसलिए अब जो भी फैसला होगा, रैली में ही होगा। मंत्री राजभर शुक्रवार को रमाबाई आंबेडकर मैदान पहुंचे और अपने हाथों से झंडे-बैनर लगाए। इसके पहले रैली के लिए झंडा बनाने में उनके पिता और खुद मंत्री तथा उनके पुत्र सक्रिय थे।
हैसियत का पैमाना आंबेडकर मैदान
विद्रोही तेवर अपनाए ओमप्रकाश राजभर पर भाजपा समेत अन्य दलों की निगाहें टिकी हैं। गठबंधन की मुहिम में जुटे सपा और बसपा के अलावा कांग्रेस भी राजभर का आकलन कर रही है। वजह है कि जिस आंबेडकर मैदान को भरने का रिकार्ड बसपा समेत कुछ बड़े दलों ने ही बनाया है, उसमें राजभर रैली कर रहे हैं। यह मैदान राजनीतिक हैसियत मापने का पैमाना भी है। अगर उनकी अपेक्षा के अनुरूप भीड़ जुटी तो वह कोई बड़ा फैसला कर सकते हैं।