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Raksha Bandhan 2022: धूमधाम से मनाया गया रक्षा बंधन, श्रावण पूर्णिमा पर शुभ मुहूर्त में बहनों ने भाईयों को बांधी राखी

Raksha Bandhan 2022 श्रावण पूर्णिमा के द‍िन अत्‍यंत शुभ मुहूर्त पर रक्षा बंधन का पव‍ित्र पर्व पूरे प्रदेश में हर्षोल्‍लास के साथ मनाया गया। बहनों ने भाईयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांध उनकी लम्‍बी आयु की कामना की तो भाईयों ने भी उनकी रक्षा का प्रण ल‍िया।

By Prabhapunj MishraEdited By: Published: Fri, 12 Aug 2022 10:46 AM (IST)Updated: Fri, 12 Aug 2022 10:46 AM (IST)
Raksha Bandhan 2022: धूमधाम से मनाया गया रक्षा बंधन, श्रावण पूर्णिमा पर शुभ मुहूर्त में बहनों ने भाईयों को बांधी राखी
Raksha Bandhan 2022: हर्षोल्‍लास के साथ मनाया गया रक्षा बंधन का पर्व

लखनऊ, जेएनएन। Raksha Bandhan 2022 रक्षा बंधन भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक का पर्व है। आज के इस पावन दिन पर बहनें अपने भाई की सुरक्षा, सफलता और संपन्नता की कामना करती हैं। वहीं भाई जीवन भर अपनी बहन की रक्षा के लिए प्रण लेता है। हिंदू पंचांग के अनुसार आज सावन पूर्णिमा या श्रावण पूर्णिमा भी है।

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कोरोना महामारी से उबरने के बाद इस रक्षा बंधन पर बाजारों में भी रौनक नजर आ रही है। राखी और म‍िठाई की दुकानों पर भीड़ है। बहने अपने भाई के हाथों में उसकी पसंद की राखी और मनपसंद म‍िठाईयां खरीद रही हैं।

बहनों ने अपने भाईयों के कलाई में शुभ मुहूर्त में राखी बांधी। पूजा की थाल में राखी, चावल, रोली व मिठाई रखकर अपने भाईयों का आरती उतारकर सिर पर तिलक लगाया। उनकी कलाइयों पर राखी बांधी तथा उनका मुंह मीठा कराया। भाईयों ने भी अपनी बहनों को उनकी रक्षा का वचन दिया। इस अवसर पर भाईयों ने बहनों को अनेक उपहार भी भेंट किया।

भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षा बंधन का त्योहार हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं। इस दिन राखी का विशेष महत्व होता है। इस दिन को राखी पूर्णिमा भी कहते हैं।

राखी की थाली में कुमकुम, हल्दी, चावल, राखी और कुछ पैसे रखे जाते हैं। इसके अलावा कलश में पानी और आरती के लिए ज्योति भी रखी जाती है। इसके साथ ही भाई की पसंदीदा मिठाई भी रखी जाती है।

सावन पूर्णिमा के दिन सुख-समृद्धि के लिए माता लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। आज सुबह से ही गंगा के घाटों पर भक्‍तों की भीड़ उमड़ पड़ी है। श्रावण पूर्णिमा के दिन चंद्रदेव का दर्शन करना अत्‍यंत शुभ और फलदाई माना गया है। चंद्रदेव को दूध, गंगाजल और अक्षत मिलाकर अर्घ्य देने से जीवन में आर्थिक दिक्कतें दूर होती हैं। चंद्रदेव की कृपा पाने के लिए कुछ विशिष्ट मंत्रों का उल्लेख शास्त्रों में है जिनका ज्योतिषी की सलाह से जप करना चाहिए। इस कष्‍टों का नाश होता है और सुख समृद्धि प्राप्‍त होती है।


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