राज्यसभा चुनाव : यूपी में भाजपा के नौवें प्रत्याशी की राह मुश्किल कर सकता है SBSP
भाजपा के साथ मिलकर पिछला विधानसभा चुनाव लडऩे वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के चार विधायक इस बार राज्यसभा चुनाव में भाजपा का खेल बिगाड़ सकते हैं।
लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश में लोकसभा उप चुनाव में गोरखपुर व फूलपुर को गंवाने के बाद भारतीय जनता पार्टी को अब सहयोगी दल भी आंख दिखाने लगे हैं। प्रदेश में भाजपा के सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) से अक्सर ही योगी आदित्यनाथ सरकार को काफी असहज करती रहती है। माना जा रहा है कि 23 मार्च को होने वाले राज्यसभा के मतदान में एसबीएसपी ही भाजपा के नौवें प्रत्याशी का चुनाव बिगड़ सकता है।
माना जा रहा है कि भाजपा की सहयोगी पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के चार विधायक 23 मार्च को होने जा रहे राज्यसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में वोट नहीं करते है, तो भाजपा को अपना नौवां प्रत्याशी जिताने के लिए मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। भाजपा को दस सीटों के लिए 23 मार्च को होने वाले राज्यसभा के लिए मतदान में मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है।
भाजपा के साथ मिलकर पिछला विधानसभा चुनाव लडऩे वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के चार विधायक इस बार राज्यसभा चुनाव में भाजपा का खेल बिगाड़ सकते हैं। प्रदेश में अपने संख्या बल के आधार पर भाजपा दस में से आठ सीट आसानी से जीत सकती है। उसने अपने बचे मत के साथ ही सहयोगी दल के साथ नौवां प्रत्याशी भी राज्यसभा में भेजने की योजना तैयार की है। अगर भाजपा के इस अभियान में ओम प्रकाश राजभर की पार्टी ने दांव किया तो फिर राज्यसभा में इनका नौवां प्रत्याशी मुश्किल में पड़ सकता है। ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि मैं सरकार के खिलाफ नहीं हूं। संगठन में कुछ नीतियों पर उबाल है।
गाजीपुर के डीएम के तबादले को लेकर मंत्री पद से इस्तीफा देने की धमकी देने के साथ ही कई मौकों पर सरकार के प्रति नाराजगी जता चुके ओमप्रकाश राजभर के चार विधायक अगर 23 मार्च को राज्यसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में वोट नहीं करते हैं तो फिर सत्तारूढ़ दल को अपना नौवां प्रत्याशी जिताने के लिए मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि हम अभी से कैसे बता सकते हैं कि अगले राज्यसभा चुनाव में हम भाजपा के किसी प्रत्याशी को वोट देंगे या किसी अन्य पार्टी को। हमने अभी इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं किया है।
सरकार के प्रति नाराजगी जता चुके राजभर ने कहा कि हालांकि हम अभी भाजपा के साथ गठबंधन में हैं, लेकिन क्या भाजपा ने राज्यसभा के साथ ही गोरखपुर तथा फूलपुर लोकसभा सीटों के उपचुनाव के लिए प्रत्याशी तय करने से पहले हमसे कोई सलाह ली थी। राजभर ने कहा कि भाजपा ने नगरीय निकाय चुनाव में प्रत्याशी खड़े किए, लेकिन क्या तब उसने गठबंधन धर्म निभाया। यहां तक कि लोकसभा उपचुनाव में भी भाजपा ने सहयोगी दलों से यह नहीं पूछा कि उपचुनाव में उनकी क्या भूमिका होगी।
उन्होंने यह भी कहा कि जब तक भाजपा का कोई नेता उनसे नहीं पूछेगा तब तक बात आगे नहीं बढ़ेगी। राजभर ने कहा कि प्रत्याशी तय करना भाजपा का काम है, लेकिन एक शिष्टाचार के नाते उसे कम से कम एक बार तो पूछना ही चाहिए कि क्या कोई सहयोगी दल चुनाव प्रचार में उसके साथ आना चाहेंगे, मगर भाजपा के किसी भी नेता ने हमसे यह नहीं पूछा। अब ऐसे हालात में हम यह कैसे कह सकते हैं कि हम राज्यसभा चुनाव में भाजपा को वोट देंगे या किसी अन्य पार्टी को।
उन्होंने कहा कि जब भाजपा के नेता उनको किसी लायक नहीं समझते हैं तो फिर हमको भी राज्यसभा में उनके प्रत्याशी को सहयोग देने पर सोचना पड़ेगा। पार्टी के क्रॉस वोटिंग करने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि हम भाजपा के साथ गठबंधन में हैं और अगर वह गठबंधन धर्म नहीं निभाती है तो क्या हमें उसके साथ जाना चाहिए। राजभर ने कहा गोरखपुर में लोकसभा उप चुनाव में उनकी पार्टी भाजपा को कम से कम 30,000 वोट दिलवा सकती थी, लेकिन ऐसा लगता है कि भाजपा की नजर में हमारी कोई उपयोगिता नहीं है।
विधायक व सांसद निधि हो बंद
ओमप्रकाश राजभर ने कहा सांसद और विधायक निधि बंद होनी चाहिए। इससे भ्रष्टाचार कम होगा और विकास सही मानक के अनुरूप होगा। इसके अलावा विधायक व सांसद के तनख्वाह व पेंशन भी बंद हो। उन्होंने कहा कि वह खुद पिछले दस महीने से विधायक का तनख्वाह नहीं ली है।
बेटे का सरकार के प्रति दिखा तेवर
कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर के साथ उनके बड़े बेटे एवं पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरविंद राजभर का सरकार के प्रति तेवर जरूर दिखा। अरविंद राजभर के सुर भी बगावती हैं।