Rajya Sabha Election 2022: सपा प्रत्याशियों के नामांकन के बाद भाजपा का प्रत्याशियों पर मंथन, क्षेत्रीय-जातीय समीकरण पर भी नजर
राज्यसभा के लिए सपा के प्रत्याशियों के नामांकन के बाद भाजपा ने भी प्रत्याशियों पर मंथन शुरु कर दिया है। लोकसभा चुनाव की दृष्टि से क्षेत्रीय-जातीय समीकरण पर भी नजर है। बता दें कि भाजपा के राज्यसभा प्रत्याशियों की दौड़ में लक्ष्मीकांत और मुख्तार अब्बास नकवी का भी नाम है।
लखनऊ, राज्य ब्यूरो । देश के उच्च सदन राज्यसभा में उत्तर प्रदेश के कोटे से 31 सदस्य चुनकर जाते हैं। इनमें से 11 सीटें रिक्त होने जा रही हैं, जिनके लिए दस जून को मतदान होना है। सपा ने अपने प्रत्याशियों का नामांकन शुरू करा दिया है, जबकि भाजपा अभी प्रत्याशियों पर मंथन में जुटी है।
माना जा रहा है कि वर्तमान पांच सांसदों में से दो पर बदलाव कर केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी को भी राज्यसभा भेजा जा सकता है। राज्यसभा के 11 सदस्यों का कार्यकाल चार जुलाई को समाप्त हो रहा है। इनमें भाजपा के शिव प्रताप शुक्ला, सैय्यद जफर इस्लाम, संजय सेठ, सुरेंद्र सिंह नागर और जय प्रकाश निषाद हैं।
विधायकों के वोटों की संख्या के आधार पर भाजपा का 11 में से सात सीटें जीतना तय है और सपा के लिए तीन सीटों का रास्ता साफ है। 11वीं सीट के लिए दोनों दलों को मशक्कत करनी पड़ेगी। बहरहाल, सपा के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में कपिल सिब्बल तो पार्टी प्रत्याशी के तौर पर जावेद अली ने बुधवार को नामांकन कर दिया। वहीं, भाजपा अभी प्रत्याशी तय नहीं कर सकी है।
पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सरकारी आवास पर इस संबंध में कोर कमेटी की बैठक हुई थी। सूत्रों के अनुसार, उसमें निर्णय लिया गया कि आठ सीटों पर प्रत्याशी उतारे जाएंगे। इनके लिए बीस नामों का पैनल बनाकर संसदीय बोर्ड को भेजा जाएगा। पैनल में वर्तमान पांचों सांसदाें के नाम भी शामिल होंगे।
पार्टी में चर्चा यह भी है कि इनमें से दो नामों में बदलाव कर केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी को भी प्रत्याशी बनाया जा सकता है। नकवी अभी झारखंड के कोटे से राज्यसभा के सदस्य हैं और जल्द ही उनका भी कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है।
इनके अलावा पूर्व सांसद नरेश अग्रवाल का नाम भी चर्चा में है। चूंकि, 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी की नजर क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों पर भी है, इसलिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसी जाट नेता या दलित वर्ग से भी प्रत्याशी बनाए जाने की संभावना है।