लिंग परिवर्तन कर लड़की बन गया इंजीनियर, अब पहचान बनाने को कर रही ऐसा Lucknow News
एक साल से रेलवे की सेवा नियमावली में लिंग व नाम बदलने की लगा रही गुहार। रेलवे ने कहा उनके पास नहीं है लिंग बदलने का कोई भी नियम।
लखनऊ, जेएनएन। चार बहनों के बीच पले बड़े हुए रेलवे के एक इंजीनियर को एहसास हुआ कि उसने जन्म तो पुरुष का लिया है लेकिन उसका स्वभाव महिला का है। बचपन से महिलाओं की तरह श्रृंगार करने और हावभाव के कारण साथी इंजीनियर को सोनिया कहकर बुलाने लगे। बड़े अरमानों से घरवालों ने धूमधाम से इंजीनियर की शादी की। यह रिश्ता दो साल तक चल पाया और फिर पत्नी ने आपसी रजामंदी से तलाक ले लिया। इंजीनियर ने अपना लिंग परिवर्तन कराया और वह अब युवती बन गई। अब इंजीनियर की नई पहचान देने से रेलवे हिचक रहा है। रेलवे इस इंजीनियर की सेवा रिकॉर्ड में लिंग और नाम परिवर्तन नहीं कर पा रहा। मामला पूर्वोत्तर रेलवे मुख्यालय से होते हुए रेलवे बोर्ड तक पहुंच गया।
मृतक आश्रित कोटेे में मिली नौकरी
बरेली के वर्कशॉप में इंजीनियर राजेश पांडेय की तैनाती पिता की मृत्यु के बाद मृतक आश्रित कोटे से 2003 में हुई थी। इस समय तक राजेश पांडेय ने फर्स्ट डिवीजन से इकोनोमिक्स से स्नातक कर लिया था। नौकरी के दौरान भी राजेश पांडेय ने पढ़ाई जारी रखी और इकोनोमिक्स से पीजी भी पूरा किया। सोनिया पांडेय बताती हैं कि उनको हमेशा से लगता था कि वह एक स्त्री हैं और गलती से पुरुष यौनि में जन्म ले लिया है। स्त्रियों की तरह श्रृंगार करना अच्छा लगता था।
शादी के दो साल बाद ही हो गया तलाक
घरवालों ने 2012 में शादी कर दी। छह महीने तक हम दोनो साथ रहे, लेकिन एक दूसरे के करीब नहीं आ सके। एक दिन मैंंने पत्नी से अपनी फीलिंग शेयर की। उसने मेरी बात को समझा और आपसी रजामंदी से हम दोनोंं ने तलाक ले लिया। तलाक मिलने के बाद मैंंने बरेली के कई सेक्सोलॉजिस्ट से संपर्क किया। उन सभी ने मुझे दिल्ली जाने की सलाह दी। दिल्ली में सेक्सोलॉजिस्ट से मिली तो उन्होंने कहा कि आपकी प्रॉब्लम नेच्यूरल है। खुश रहना है तो सर्जरी करवा कर लिंग परिवर्तन करवा लो। दोस्तों ने मेरी बहुत मदद की। दिसंबर 2017 में सर्जरी करवाकर मैं वापस बरेली आ गई।
रुक गई जिंदगी
सोनिया पांडेय कहती हैं कि उन्होंने अपना लिंग और पहचान सर्जरी से तो बदल ली लेकिन आज दस्तावेज पर उनकी पहचान नहीं मिट सकी। रेलवे जो फ्री यात्रा का पास देता है उसपर राजेश पांडेय लिखा होता है। जिससे सोनिया पांडेय के नाम से टिकट नहीं बन रहा। बरेली में अपना घर बनवाने के लिए प्लाट खरीदा लेकिन बैंक ने कोई पहचान पत्र न होने से सोनिया पांडेय के नाम से लोन देने से मना कर दिया।
रेलवे में अगस्त 2018 को मैंने सर्विस रिकॉर्ड में मेरा नाम राजेश पांडेय की जगह सोनिया पांडेय और लिंग पुरुष के स्थान पर महिला लिखने के लिए आवेदन किया। दिसंबर 2018 में जवाब मिला कि रेलवे में अब तक केवल नाम और धर्म परिवर्तन सेवा रिकॉर्ड मेंं करने का नियम है। लिंग परिवर्तन का नियम नहीं है। कई दिन बाद फिर से इस साल मार्च में अप्लीकेशन दिया। इस बार बरेली (इज्जतनगर) के अधिकारियों ने मामला पूर्वोत्तर रेलवे मुख्यालय गोरखपुर भेजा दिया। जहां से इसे लीगल ओपिनियन के लिए रेलवे बोर्ड भेजा गया है।
क्या कहते हैं अधिकारी
जनसंपर्क अधिकारी (बरेली) राजेंद्र सिंह ने बताया कि रेलवे में अब तक लिंग परिवर्तन को सर्विस रिकॉर्ड में करने का नियम नहीं है। इसलिए मामला पूर्वोत्तर रेलवे मुख्यालय को भेजा गया है। पूर्वोत्तर रेलवे मुख्यालय गोरखपुर के जनसंपर्क अधिकारी सीपी चौहान ने बताया कि यह मामला बरेली से गोरखपुर मुख्यालय के महाप्रबंधक कार्मिक के पास आया है। नियम के तहत ही सेवा रिकॉर्ड को बदलने की कार्रवाई की जाएगी। रेलवे में पहली बार किसी कर्मचारी के लिंग परिवर्तन का मामला सामने आया है।