NRC-CAA ने ढलती उम्र में याद दिलाया जन्म प्रमाण पत्र, नगर निगम में लगी लाइन Lucknow News
पार्षद लिख रहे आवास प्रमाण पत्र और जन्म प्रमाण पत्र की चिट्ठी लखनऊ के नगर निगम में बढ़ी जन्म प्रमाण पत्र बनवाने की भीड़।
लखनऊ [अजय श्रीवास्तव]। पुराने शहर के मोअज्जमनगर निवासी 62 वर्षीय बाबू खां अपना और पत्नी कायम जहां का जन्म प्रमाणपत्र बनवाने के लिए परेशान हैं। अपने वार्ड गढ़ी पीर खां के पार्षद अयाजुर्रहमान के घर पर हर दिन वह पहुंच रहे हैं, लेकिन पार्षद ने जन्म प्रमाण के लिए नगर निगम को चिट्ठी लिखने से मना कर दिया। पार्षद का तर्क था कि जब 1969 से जन्म-प्रमाण पत्र बनना ही शुरू हुआ है तो वह परेशान न हों। पार्षद ने उनके बेटों का प्रमाण पत्र बनाने के लिए नगर निगम को पत्र लिख दिया है।
अकेले बाबू खां ही नहीं है, जो जन्म प्रमाण पत्र बनाने को परेशान हैं, सीएए और एनआरसी ने नगर निगम में भी जन्म-प्रमाण पत्र बनाने वालों की लाइन खड़ा कर दी है। नगर निगम के जोन छह कार्यालय में प्रमाण पत्र बनवाने का अधिक जोर है। पुराने शहर से जुड़े इन जोन में मुस्लिम आबादी अधिक है। नगर निगम के इस कार्यालय में हर दिन 35 से लेकर 70 वर्ष की उम्र के लोग जन्म-प्रमाण पत्र बनाने के लिए आ रहे हैं। पैन कार्ड, आधार कार्ड, पासपोर्ट की प्रति के साथ ही कुछ हाईस्कूल की मार्कशीट भी ला रहे हैं। इन अभिलेखों के साथ ही क्षेत्रीय पार्षद की तरफ से की गई चिट्ठी को भी लगाया जा रहा है। जिसमें पार्षद उनके फलां स्थान पर जन्म होने ही पुष्टि कर रहे हैं। आवेदन करने वाले अपने आस-पड़ोस से भी यह लिखवाकर दे रहे हैं कि फलां का जन्म उनकी जानकारी में है। नगर निगम के एक कर्मचारी के मुताबिक आवेदनकर्ता को मजिस्ट्रेट से आदेश कराने को कहा जा रहा है।
इन इलाकों से आ रहे हैं
सआदतगंज, मोअज्जमनगर, नक्खास, चौक, ठाकुरगंज, लकड़मंडी,रिफा कालोनी, असियामऊ, बीबी गंज, चिकमंडी
आवास प्रमाण पत्र बनवाने की भीड़
जन्म प्रमाण पत्र के साथ ही आवास प्रमाण पत्र बनाने की भी होड़ है। इसमें अधिकांश मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र के निवासी पार्षद से आवास प्रमाण पत्र बनाने का दबाव बना रहे हैं।
न्यू हैदरगंज वार्ड (प्रथम) के पार्षद विजय कुमार गुप्ता का कहना है कि हर दिन मुस्लिम लोग उनके पास पहुंच रहे हैं, जिसमे उम्रदराज भी हैं, जो आवास प्रमाण पत्र और जन्म प्रमाण पत्र के लिए चिट्ठी लिखवा रहे हैं। जन्म प्रमाण पत्र के लिए वह आधार कार्ड को आधार मानकर चिट्ठी लिख रहे हैं। गढ़ी पीर खां के पार्षद अयाजुर्रहमान कहते हैं कि इन दिनों सिर्फ जन्म-प्रमाण पत्र और आवास प्रमाण पत्र बनवाने वाले ही आ रहे हैं। नगर स्वास्थ अधिकारी डॉ. सुशील कुमार रावत ने बताया कि बुजर्ग लोग जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आ रहे हैं, उन्हें अभिलेखों के साथ ही जोनल कार्यालय भेजा जा रहा है।
कलेक्ट्रेट-तहसीलों के भी लगा रहे चक्कर
संशोधित नागरिकता कानूून को लेकर लोगों में तमाम भ्रम बरकरार है। जब से संसद ने यह बिल पास किया है तब से लोग इसे समझने के लिए कलेक्टे्रेट और तहसीलों के भी चक्कर लगा रहे हैं। बीते दिनों से कई लोग अधिकारियों के पास नागरिकता पर बात करने पहुंच रहे हैं। लोगों को उन दस्तावेजों की सबसे अधिक तलाश है जो उनको भारत का नागरिक या अपनी पहचान बताने के लिए काफी है।
न हों परेशान
अफसरों का कहना है कि दरअसल तमाम लोगों में इस कानून को लेकर भ्रम भी है जबकि यह केवल पाक, अफगानिस्तान या फिर बांग्लादेश में सताए जा रहे अल्पसंख्यकों के लिए है। यहां के आम मुस्लिम से इसका कोई लेनादेना नही है।
खसरा-खतौनी निकालने की होड़
खुद को नागरिक साबित करने के लिए कई लोग खसरा-खतौनी का प्रिंट भी निकलवाकर रख रहे हैं। तहसीलों के बाहर कंप्यूटर शॉप पर इन दिनों ऐसे कई लोग खसरा-खतौनी या फि जमीन के दूसरे अभिलखों का प्रिंट ले रहे हैं।