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Research : लिवर में मौजूद परजीवी की मदद से मिलेगा जोड़ों के दर्द से छुटकारा Lucknow News

रियूमेटाइड आर्थराइटिस के इलाज में मील का पत्थर साबित हो सकती है केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान की यह खोज।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 07:51 AM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2019 07:08 AM (IST)
Research : लिवर में मौजूद परजीवी की मदद से मिलेगा जोड़ों के दर्द से छुटकारा Lucknow News
Research : लिवर में मौजूद परजीवी की मदद से मिलेगा जोड़ों के दर्द से छुटकारा Lucknow News

लखनऊ [रूमा सिन्हा]। जोड़ों के दर्द से छुटकारा पाना अब पहले से कहीं आसान हो सकता है। केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट, सीडीआरआइ), लखनऊ के वैज्ञानिकों ने इस बीमारी (रियूमेटाइड आर्थराइटिस) का इलाज खोज निकालने का दावा किया है। लिवर (यकृत) में मौजूद हेलमिंथ नामक परजीवी में उन्हें ऐसा प्रोटीन मिला है, जो जोड़ों में मौजूद आर्टीकुलर कार्टिलेज की मरम्मत कर सकता है। जोड़ों के बीच कुशन या गद्दीनुमा यह संरचना ही जब घिस जाती है, तो समस्या उत्पन्न होती है।

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एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर छह में से एक व्यक्तिआर्थराइटिस यानी जोड़ों के दर्द से पीड़ित है। समय रहते समुचित इलाज न होने और दिनचर्या में सुधार न लाने पर दवाओं का कुछ खास असर नहीं होता। उधर, घुटने के ऑपरेशन और प्रत्यारोपण में भी लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी पीड़ित को पूरा समाधान प्राप्त हो जाएगा, यह गारंटी कोई नहीं देता। ऐसे में दर्द को दबाने का एकमात्र साधन है दवाएं। इनके लगातार सेवन से किडनी और प्रतिरोधक क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

ऐसे में सीडीआरआइ, लखनऊ के वैज्ञानिकों की खोज से सहज, सस्ता और सुरक्षित उपचार मिलने पर करोड़ों लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। सीडीआरआइ के एंडोक्राइनोलॉजी विभाग के डॉ. नैवेद्य चट्टोपाध्याय और डॉ. यासिर खान के इस शोध को फेडरेशन ऑफ अमेरिकन सोसाइटी फॉर एक्सपेरीमेंटल बायोलॉजी के प्रतिष्ठित जर्नल फेसेब ने प्रकाशित किया है। दुनिया इसे अहम मान रही है।

डॉ. चट्टोपाध्याय और डॉ. खान ने दैनिक जागरण को बताया कि मिट्टी से सीधे प्राप्त की जाने वाली सब्जियां जैसे मूली, गाजर, आदि के जरिए या साफ-सफाई के अभाव में अधिकतर लोगों में लिवर में बड़ी संख्या में यह परजीवी (लिवर फ्लूक) घर बना लेते हैं। भारत में यह बेहद आम है। चूंकि इंसानी शरीर ऐसे परजीवियों से लगातार लड़ने की कोशिश करता है, जिससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है। प्रतिरोधक क्षमता का क्षरण होने के कारण लगभग सौ तरह की बीमारियां होने की आशंका रहती है। इसमें से सबसे आम है रियूमेटाइड आर्थराइटिस है। वैज्ञानिकों ने इस परजीवी में ही एक ऐसे प्रोटीन का होना पाया है, जो आर्टिकुलेट कुशन की मरम्मत में कारगर है।

डॉ. चट्टोपाध्याय बताते हैं कि आर्थराइटिस के उपचार के लिए एंटीबॉडी बेस्ड दवा का प्रयोग किया जाता है। दुनिया मे कुछ ही कंपनियां ऐसी दवा बनाती हैं। यह बहुत महंगी होने के साथ शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को भी प्रभावित करती है।

क्‍या कहते हैं अफसर ?

लखनऊ सीडीआरआइ डॉ. नैवेद्य चट्टोपाध्याय के मुताबिक, लिवर में मौजूद परजीवी में ऐसा प्रोटीन मिला है, जो हड्डियों और जोड़ों में मौजूद कुशन (आर्टीकुलर कार्टिलेज) को क्षतिग्रस्त होने से रोकेगा, साथ ही इनकी मरम्मत भी करेगा। आर्थराइटिस रोग में कार्टिलेज के क्षतिग्रस्त होने के कारण ही जोड़ों में सूजन व असहनीय दर्द की समस्या होती है। कार्टिलेज के समुचित उपचार से दर्द का कारण ही खत्म हो जाएगा। इस प्रोटीन से बनी दवा को इंजेक्शन के रूप में लिया जा सकेगा।


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