अफसर अब फिर बने चौकीदार-चपरासी, यूपी में सपा शासनकाल में नियम विरुद्ध हुई थी पदोन्नति
मामला जब उच्च न्यायालय में पहुंचा तब बात सामने आई कि सपा शासनकाल में हुई यह पदोन्नतियां नियम विरुद्ध थीं क्योंकि यह पद सीधी भर्ती से ही भरे जा सकते हैं। संबंधित नियमावली में इस तरह पदोन्नति किए जाने की व्यवस्था ही नहीं है।
लखनऊ, [राज्य ब्यूरो]। कल तक जो व्यक्ति अपने विभाग में अफसर की कुर्सी पर बैठ रहा हो, उसे वहीं पर चपरासी का काम करना पड़े तो उसकी मनोदशा को समझा जा सकता है। विडंबना है कि इस स्थिति को वे हुक्मरान अफसर नहीं समझते, जिन्हें न नियम-कानूनों से खेलने से गुरेज है और न ही किसी के मान-सम्मान के छीछालेदर से परहेज है। इस बार में सूचना निदेशक ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश पर चारों कर्मियों को मूल पद पर प्रत्यावर्तित कर दिया गया है।
व्यवस्था की इस विडंबना का ताजा उदाहरण सूचना एवं जनसंपर्क विभाग से सामने आया है। क्षेत्रीय प्रचार संगठन के तहत जिला सूचना कार्यालय बरेली में चपरासी के रूप में सेवारत नरसिंंह, फीरोजाबाद में चौकीदार के पद पर तैनात दयाशंकर, मथुरा के सिनेमा ऑपरेटर कम प्रचार सहायक विनोद कुमार शर्मा और भदोही में सिनेमा ऑपरेटर कम प्रचार सहायक के रूप में सेवारत अनिल कुमार सिंंह को उन्हीं के दफ्तर में 2014 में सेवा अवधि के आधार पर अपर जिला सूचना अधिकारी बना दिया गया।
मामला जब उच्च न्यायालय में पहुंचा, तब बात सामने आई कि सपा शासनकाल में हुई यह पदोन्नतियां नियम विरुद्ध थीं, क्योंकि यह पद सीधी भर्ती से ही भरे जा सकते हैं। संबंधित नियमावली में इस तरह पदोन्नति किए जाने की व्यवस्था ही नहीं है। ऐसे में चारों अधिकारियों को उनके पुराने मूल पद पर भेज दिया गया है। सूचना निदेशक शिशिर का कहना है कि उच्च न्यायालय के आदेश पर चारों कर्मियों को मूल पद पर प्रत्यावर्तित किया गया है।