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भ्रष्टाचार के मामले में शकुंतला मिश्रा विवि के वीसी निशीथ राय बर्खास्त

निशीथ राय पर अवैध नियुक्तियां करने के साथ ही खुद उनकी नियुक्ति भी अवैध होने की शिकायतें की गई थीं। इसके बाद ही सरकार ने उनके भ्रष्टाचार की जांच कराए जाने का निर्णय लिया था।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 17 Feb 2018 05:07 PM (IST)Updated: Sat, 17 Feb 2018 05:35 PM (IST)
भ्रष्टाचार के मामले में शकुंतला मिश्रा विवि के वीसी निशीथ राय बर्खास्त
भ्रष्टाचार के मामले में शकुंतला मिश्रा विवि के वीसी निशीथ राय बर्खास्त

लखनऊ (जेएनएन)। प्रदेश की राजधानी के डॉ शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर निशीथ राय को बर्खास्त कर दिया गया है। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के बड़े मामले की जांच चल रही थी। उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद के अध्यक्ष प्रवीर कुमार को कुलपति का चार्ज दिया गया है।

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प्रोफेसर निशीथ राय के खिलाफ काफी भ्रष्टाचार के आरोपों में जांच चल रही थी। इससे पहले भी उनको पद से हटाया गया था, लेकिन उनको इलाहाबाद हाईकोर्ट से स्टे मिल गया था। भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच की रिपोर्ट आने के बाद मुख्यमंत्री सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में डॉ शकुंतला मिश्रा यूनिवर्सिटी के सामान्य परिषद की बैठक में निशीथ राय को बर्खास्त करने का फैसला हुआ। उनके बर्खास्त होने के बाद परिषद आईएएस अधिकारी प्रवीर कुमार को कुलपति का चार्ज दिया गया। प्रवीर कुमार राजस्व परिषद के अध्यक्ष हैं।

प्रदेश सरकार ने भ्रष्टाचार एवं अनियमितता के आरोपों से घिरे डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर निशीथ राय को बर्खास्त करने का फैसला लिया है। आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई डॉ. शकुंतला मिश्रा यूनिवर्सिटी की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में अहम फैसला लिया गया है। निशीथ राय के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के तमाम आरोपों के मद्देनजर कार्रवाई हुई है। इसके पहले भी सरकार ने अनियमितता एवं भ्रष्टाचार के आरोप में बीते अगस्त महीने में निशीथ राय को पद से हटाकर एक सदस्यीय जांच कमेटी बनाई थी, लेकिन निशीथ राय को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राहत देते हुए जांच के दौरान पद पर बने रहने की अनुमति दे दी थी।

समाजवादी पार्टी के बेहद करीबी रहे निशीथ राय के खिलाफ अखिलेश सरकार के कार्यकाल के दौरान भी अनियमितता और भ्रष्टाचार की लगातार शिकायतें मिल रही थीं। बड़े नेताओं से संपर्क होने के चलते निशीथ के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार के आने के बाद जब शिकायतों का सिलसिला बढ़ा तो निशीथ राय के कारनामों की विभागीय स्तर पर जांच कराने का निर्णय लिया गया।

जांच में प्रथम दृष्टया भ्रष्टाचार के आरोप की पुष्टि होती दिखी, जिसके बाद सरकार ने निशीथ राय को पिछले अगस्त में हटा दिया। उनके कारनामों की जांच की जिम्मेदारी रिटायर जज शैलेन्द्र सक्सेना को सौंपी गई। जिन्हें छह महीने में अपनी रिपोर्ट देनी थी।

एक दौर में शिवपाल के बेहद करीबी रहे निशीथ राय शिवपाल के हाशिए पर जाते ही अपनी नजदीकी अखिलेश यादव से बढ़ा ली थी। निशीथ राय पर अवैध नियुक्तियां करने के साथ ही खुद उनकी नियुक्ति भी अवैध होने की शिकायतें की गई थीं। इसके बाद ही सरकार ने उनके भ्रष्टाचार की जांच कराए जाने का निर्णय लिया था। यह पहली बार नहीं था, जब निशीथ राय पर इस तरह के आरोप लगे हों।

तीन साल पहले शकुंतला विवि में शिक्षकों और कर्मचारियों की सीधी भर्ती में भी उन पर भ्रष्टाचार करने के आरोप लगे थे। नियुक्तियों में काफी अनियमितता एवं गड़बड़ी की गई थी। इसके चलते इन नियुक्तियों पर रोक लगा दी गई थी। निशीथ राय पर अपने घर के नौकर को भी विवि में चतुर्थ श्रेणी में नौकरी देकर घर पर काम कराने आरोप लगे थे। अखिलेश सरकार में तो निशीथ अपने नजदीकी संबंधों के चलते बचे गए, लेकिन इस बार उनकी दाल नहीं गल पाई।

आरसीईयूएस में साले को नौकरी देने का आरोप

निशीथ राय 29 जनवरी 2014 को डा. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया गया था। इसके अलावा निशीथ राय के पास रीजनल सेंटर फार अरबन एंड इन्वायरमेंट स्टडीज के निदेशक का चार्ज भी है। इसमें इन पर अपने रिश्तेदारों को नियुक्त करने के साथ यहां के संसाधनों का व्यक्तिगत उपयोग करने का आरोप भी है। निशीथ राय ने अपने साले डीके राय की नियुक्ति निदेशक रहने के दौरान की थी। 


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