सीएम योगी सहित वरिष्ठ भाजपा नेताओं पर दर्ज मुकदमों की वापसी की प्रकिया शुरू
प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार का कहना है कि यह मामला 20 हजार राजनीतिक मुकदमों से अलग है।
लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित वरिष्ठ भाजपा नेताओं के खिलाफ दर्ज राजनीतिक मुकदमों को खत्म कराने की कवायद शुरू कर दी है। ये मुकदमे उनके 20 हजार राजनीतिक मुकदमों (धारा 107 व 109 सीआरपीसी के तहत दर्ज) से अलग हैं, जिन्हें शासन ने गत दिनों कोर्ट से खत्म कराने का एलान किया था।
न्याय विभाग की पहल पर योगी आदित्यनाथ सहित 13 लोगों के खिलाफ गोरखपुर में वर्ष 1995 में दर्ज निषेधाज्ञा के उल्लंघन के मुकदमे को जल्द समाप्त कराया जाएगा। न्याय विभाग के अनु सचिव अरुण कुमार राय की ओर से गोरखपुर के जिलाधिकारी को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि शासन ने गोरखपुर के थाना पीपीगंज में वर्ष 1995 में धारा 188 के तहत योगी आदित्यनाथ, राकेश सिंह पहलवान, कुंवर नरेंद्र सिंह, समीर कुमार सिंह, शिवप्रताप शुक्ला (वर्तमान में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री), विश्वकर्मा द्विवेदी, शीतल पांडेय (वर्तमान में विधायक), विभ्राट चंद्र कौशिक, उपेंद्र शुक्ला, शंभूशरण सिंह, भानु प्रताप सिंह, ज्ञान प्रताप शाही व रमापति त्रिपाठी के खिलाफ दर्ज मुकदमे को वापस लिए जाने के लिए लोक अभियोजक को कोर्ट में प्रार्थनापत्र प्रस्तुत करने की लिखित अनुमति देने का निर्णय लिया है।
20 दिसंबर को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि राज्यपाल ने इस वाद में अभियोजन को वापस लेने के लिए कोर्ट में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने की अनुमति प्रदान की है। गौरतलब है कि वर्ष 1995 में योगी आदित्यनाथ पीपीगंज कस्बे में धरना प्रदर्शन करने गए थे। उस समय कस्बे में धारा 144 (निषेधाज्ञा) लागू थी। इस मामले में योगी सहित 13 के खिलाफ धारा 188 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था।
प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार का कहना है कि यह मामला 20 हजार राजनीतिक मुकदमों से अलग है। उधर, इलाहाबाद में सबसे पहले मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी पर दर्ज दो मुकदमों को खत्म करने की कार्यवाही शुरू हुई है। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य समेत अन्य भाजपा नेताओं पर दर्ज राजनीतिक मुकदमों से संबंधित पत्रवलियां तलब की गई हैं। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा नेता वरुण गांधी पर पीलीभीत में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में दो मुकदमे दर्ज किए गए थे।
तीन साल पहले अदालत ने साक्ष्य के अभाव में वरुण को दोषमुक्त कर दिया था लेकिन, राज्य सरकार की ओर से दो व सामाजिक कार्यकर्ता असद हयात की ओर से जिला जज के न्यायालय में अपील दायर कर दी गई। इस पर अभी सुनवाई चल रही है। उसी दौर में पूर्व केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र के खिलाफ भी आचार संहिता के उल्लंघन का मुकदमा दर्ज हुआ था। सपा शासन के दौरान इस मुकदमे को खत्म कराने के आदेश जारी हुए लेकिन, मामला अभी प्रक्रिया में है।
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प्रतापगढ़ से विधायक धीरज ओझा पर विधायक बनने से पहले जनसंघर्ष को लेकर दर्ज 14 मुकदमे और पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह पर बाकी बचा एक मुकदमा भी वापस होने के आसार हैं। इस बारे में प्रभारी एसपी बसंत लाल का कहना है कि मुकदमों की प्रकृति परखी जा रही है। अभी यह नहीं तय है कि कितने व किसके मुकदमे वापस होंगे। मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल के खिलाफ फीरोजाबाद में वर्ष 2014 में मुकदमा दर्ज हुआ था।
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