प्राइवेट मेडिकल कॉलेज चौपट कर रहे पढ़ाई, कुलपति ने सुनाई खरी-खरी
नेशनल मेडिकोज आर्गेनाइजेशन की कांफ्रेंस में सैफई मेडिकल कॉलेज के कुलपति ने उठाए सवाल, बोले 57 प्रतिशत प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों ने एक भी रिसर्च पेपर नहीं किया पब्लिश।
लखनऊ, जेएनएन । प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में चौपट पढ़ाई की व्यवस्था देश के लिए बड़ी चुनौती है। हर साल सीटों में बढ़ोतरी हो रही है लेकिन काबिल डॉक्टर नहीं तैयार हो पा रहे। यह संस्थान सिर्फ डिग्री बांटने की इंडस्ट्री बनकर रह गए हैं। यह चिंता सैफई मेडिकल कॉलेज के कुलपति प्रो. राजकुमार ने व्यक्त की। वह नेशनल मेडिकोज आर्गेनाइजेशन द्वारा आयोजित कांफ्रेंस में उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 57 प्रतिशत प्राइवेट मेडिकल कॉलेज ऐसे हैं जिन्होंने एक भी रिसर्च पेपर पब्लिश नहीं किया।
प्रो. राजकुमार ने कहा कि वर्ष 1990 में 143 मेडिकल कॉलेज ही देश भर में थे लेकिन वर्ष 2018 में इनकी संख्या बढ़कर 497 हो गई है। ज्यादातर प्राइवेट मेडिकल कॉलेज अकेले दक्षिण भारत में हैं। इनमें भी 61 प्रतिशत नेताओं के कॉलेज हैं, जिसमें इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है, टीचर भी नहीं हैं और महंगे इलाज के कारण मरीज नहीं आते। ऐसे में रिसर्च तो दूर पढ़ाई तक ढंग से नहीं हो पा रही है। नीट में बहुविकल्पीय सवालों की बजाए लिखित सवाल पूछे जाएं और कोर्स को समय के अनुसार अपग्रेड किया जाए। विद्या भारती के राष्ट्रीय संयोजक ब्रह्म दत्त शर्मा ने प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सम्मानित किया।
हर्बल प्लांट पर साझा रिसर्च करेगा केजीएमयू
केजीएमयू अब हरिद्वार के देव संस्कृति विवि के साथ मिलकर हर्बल गार्डेन बनाएगा और हर्बल प्लांट पर रिसर्च करेगा। इसे लेकर केजीएमयू के कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट व देव संस्कृति विवि के प्रति कुलपति चिन्मय पांड्या ने एमओयू साइन किया। चिन्मय पांड्या ने कहा कि यज्ञ से डिप्रेशन दूर होता है और यज्ञ से निकलने वाली भस्म पर्यावरण के लिए अच्छी होती है।