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निजी अस्पताल का कारनामा: बीमारी छिपाकर PGI भेजा, आइसीयू में संक्रमण का खतरा Lucknow News

निजी अस्पताल की करतूत पीजीआइ में एमडीआर टीबी के खुलासे पर हड़कंप।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Sun, 25 Aug 2019 01:44 PM (IST)Updated: Sun, 25 Aug 2019 01:44 PM (IST)
निजी अस्पताल का कारनामा: बीमारी छिपाकर PGI भेजा, आइसीयू में संक्रमण का खतरा Lucknow News
निजी अस्पताल का कारनामा: बीमारी छिपाकर PGI भेजा, आइसीयू में संक्रमण का खतरा Lucknow News

लखनऊ, जेएनएन। निजी अस्पताल में भर्ती मरीज की हालत गंभीर होने पर पीजीआइ ठेल दिया गया। मरीज में मल्टी ड्रग रजिस्टेंस ट्यूबरकुलोसिस (एमडीआर टीबी) को छुपा लिया गया। यहां मरीज को वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया। वहीं, जांच में खतरनाक बीमारी का खुलासा होने पर यूनिट में हड़कंप मच गया। ऐसे में भर्ती अन्य मरीजों में भी बीमारी का खतरा मंडरा रहा है।

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दरअसल, लखीमपुर निवासी 28 वर्षीय युवक को ब्रेन व लंग टीबी थी। वह लखीमपुर में ही कई महीनों से इलाज करा रहा था। अचानक उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगी। परिजन उसको लेकर राजधानी आए। यहां पहले निरालानगर स्थित ट्रस्ट के अस्पताल लेकर गए, लेकिन डॉक्टरों ने भर्ती से इन्कार कर दिया। इसके बाद महानगर स्थित एक निजी अस्पताल में इलाज चला। यहां कई जांचें कराईं। परिजनों का काफी पैसा खर्च हो गया। इसके बाद डॉक्टरों ने मामला बिगड़ते देख मरीज को पीजीआइ भेज दिया। वहीं मरीज की केस हिस्ट्री (क्लीनिकल समरी) में एमडीआर टीबी का जिक्र तक नहीं किया। ऐसे में पीजीआइ पहुंचे गंभीर मरीज को पल्मोनरी मेडिसिन के आइसीयू में शिफ्ट कर लिया गया।

स्टाफ अलर्ट, तीमारदारों में आक्रोश: यूनिट में सेंट्रलाइज एसी है। इससे संक्रमण का खतरा और बढ़ जाता है। वहीं एमडीआर टीबी खतरनाक होती है। इसमें मरीज पर दवाएं बेअसर हो जाती हैं। ऐसे में यूनिट में संक्रमण फैलने से रोकने के लिए मरीज के वेंटिलेटर में क्लोज सक्शनिंग सिस्टम लगाया गया है। स्टाफ को एन-95 मॉस्क लगाने का निर्देश दिया गया है। वहीं भर्ती अन्य मरीजों के परिजनों में आक्रोश है। उन्हें अपने मरीजों में भी बीमारी फैलने की चिंता सता रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक एमडीआर टीबी का मरीज आइसोलेट किया जाना चाहिए। उसे अन्य मरीजों के बीच भर्ती नहीं करना चाहिए।

जांच में खुलासा, हटाए गए मरीज

पल्मोनरी मेडिसिन के आइसीयू में आठ बेड हैं। यहां तीन दिन पहले भर्ती किए गए युवक में एमडीआर टीबी की पुष्टि होने पर हड़कंप मच गया। आस-पास बेड पर भर्ती मरीजों को हटाया गया। भर्ती मरीज के आसपास छह फीट के क्षेत्र में मरीज भर्ती पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

पहले इन्कार, बाद में स्वीकारा 

पल्मोनरी मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. आलोक नाथ ने पहले यूनिट में एमडीआर टीबी मरीज के भर्ती होने से इन्कार किया। वहीं नाम बताने पर बाद में स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि मरीज की हालत गंभीर है। ऐसे में उसे हटाया भी नहीं जा सकता है। संक्रमण से बचाव के लिए एहतियात बरती जा रही हैं। मरीज में एमडीआर टीबी की पुष्टि पीजीआइ में जांच कराने पर हुई।


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