बाल्याकाल से ही अत्यंत धार्मिक हैं प्रधानमंत्री नरेंद्रः महंत नारायणवल्लभ
वह बाल्यकाल से ही अत्यंत धार्मिक रहे हैं। यह दावा है, प्रधानमंत्री के गुजरात स्थित गृहक्षेत्र बडनगर निवासी महंत नारायणवल्लभ का।
अयोध्या [रघुवरशरण]। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल के साथ सोमवार को अक्षरधाम मंदिर में पूजन-अर्चन करने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह धार्मिकता कोई नई नहीं है। वह बाल्यकाल से ही अत्यंत धार्मिक रहे हैं। यह दावा है, प्रधानमंत्री के गुजरात स्थित गृहक्षेत्र बडनगर निवासी महंत नारायणवल्लभ का। वह बडनगर स्थित स्वामी नारायण संप्रदाय की प्रमुख पीठ के महंत हैं और इन दिनों रामनगरी में प्रवास पर हैं।
यहां उनके आगमन का मकसद भी प्रधानमंत्री से ही जुड़ा है। वह प्रधानमंत्री की सफलता की कामना से गत शनिवार से रामनगरी में अनुष्ठान कर रहे हैं। इसी क्रम में रविवार को रामनगरी से स्वामी नारायण संप्रदाय के आद्याचार्य भगवान घनश्याम की गोंडा स्थित जन्मभूमि छपिया तक 50 किलोमीटर की पदयात्रा की और रविवार की ही शाम वापस अयोध्या स्थित स्वामीनारायण मंदिर पहुंचे। रात्रि विश्राम के बाद नितनेम के साथ उन्होंने सरयू स्नान, रामजन्मभूमि, कनकभवन, हनुमानगढ़ी आदि का दर्शन कर प्रधानमंत्री के लिए पुण्य अर्जित किया।
'दैनिक जागरणÓ से मुखातिब महंत नारायण वल्लभ ने बताया कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच उन्होंने मनौती मानी थी कि यदि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में संचालित चुनावी मुहिम को सफलता मिली, तो वह रामनगरी से घनश्यामनगरी तक पदयात्रा करेंगे और शनिवार को वह यही मनौती पूरी करने अयोध्या पहुंचे। उन्होंने उत्तर प्रदेश चुनाव में भाजपा को मिली अपार सफलता एवं मुख्यमंत्री पद पर योगी आदित्यनाथ की ताजपोशी को भगवान की ही कृपा करार दिया और विश्वास जताया कि मोदी एवं योगी की जोड़ी सबका साथ-सबका विकास के स्वप्न को पूरी भव्यता से साकार करेगी। उन्हें यह भी भरोसा है कि मोदी एवं योगी के मौजूदा कार्यकाल में रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का भी स्वप्न साकार होगा।
स्वामी नारायण वल्लभ गत 30 वर्षों से बडनगर स्थित स्वामीनारायण मंदिर के महंत हैं और प्रधानमंत्री से उनके व्यक्तिगत संबंध भी हैं। वह बताते हैं कि मोदी हाईस्कूल की पढ़ाई तक बडनगर में ही रहे। चौथी-पांचवीं कक्षा से ही वह पैतृक घर से कुछ फासले पर स्थित स्वामीनारायण मंदिर के नित्य दर्शनार्थियों में शुमार हो गए और उन्होंने अपने लिए पूरे चाव से आरती के समय विजयघंट बजाने की भूमिका चुनी। मुख्यमंत्री बनने के बाद वह चार-पांच बार बडनगर के स्वामीनारायण मंदिर पहुंचे। हालांकि पीएम बनने के बाद बडनगर के स्वामीनारायण मंदिर को अपने इस चमकते भक्त का इंतजार है।