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बाराबंकी में पुजारी की सरे बाजार गोली मारकर हत्या, जमीनी विवाद बनी वजह

बाराबंकी के बडडूपुर थाना क्षेत्र के ग्राम रीवां चपरी का मामला है। किराना दुकान पर सामान खरीदते समय मारी गोली। जमीन की रंजिश में हत्या होना बता रही पुलिस मुकदमा दर्ज।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Sun, 28 Jun 2020 08:25 PM (IST)Updated: Mon, 29 Jun 2020 08:15 AM (IST)
बाराबंकी में पुजारी की सरे बाजार गोली मारकर हत्या, जमीनी विवाद बनी वजह
बाराबंकी में पुजारी की सरे बाजार गोली मारकर हत्या, जमीनी विवाद बनी वजह

बाराबंकी, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में कार सवार दबंगों ने एक मंदिर के पुजारी को सरे बाजार गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया। इससे क्षेत्र में दहशत फैल गई और कई दुकानदार दुकान बंदकर चले लगे। हत्या के पीछे जमीन का विवाद बताया जा रहा है। एएसपी आरएस गौतम ने घटना स्थल का जायजा लिया और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा है।

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ये है पूरा मामला 

मामला बडडूपुर थाना क्षेत्र के ग्राम रीवां चपरी का है। यहां के निवासी विक्रम उर्फ दीपू सिंह (42) गांव में स्थित दुर्गा माता मंदिर के पुजारी थे। मंदिर की करीब दो बीघा जमीन पर वह खेती करते थे। इस जमीन को लेकर पुजारी और गांव के संदीप सिंह से काफी दिनों से विवाद चल रहा था। बताया जाता है कि इसी रंजिश में विपक्षी संदीप खेत से जबरन मसूर की फसल उठा ले गया था, जिसे पुजारी ने तैयार की थी। चार दिन पहले पुजारी मसौली के गिलवामऊ गांव एक शिष्य के साथ गए थे। रविवार की शाम वहां से लौटते समय वह फतेहपुर के ग्राम इसरौली से मुंडेरी रोड पर स्थित एक किराना दुकान से सामान खरीद रहे थे। तभी वहां पहुंचे कार सवार संदीप सिंह ने पुजारी विक्रम तमंचे से फायर झोंकना शुरू कर दिया। सिर व सीने में गोलियां लगने से पुजारी की मौके पर ही मौत हो गई और हमलावर मौके से भाग गए। घटना स्थल पर पहुंची पुलिस को निरीक्षण के दौरान तीन खाली कारतूस सहित चार बरामद हुए। एएसपी ने बताया कि मां की ओर से दी गई तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर लिया है। आरोपित की तलाश में पुलिस टीम रवाना कर दी गई ।

विरोध करने पर दागी गोली 

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि हत्यारोपित कार से उतरकर पहले विक्रम के पास आए और उसे अपने साथ ले जाने लगे। जब विक्रम ने विरोध किया और जाने से इंकार कर दिया तो उस पर ताबड़तोड़ फायर झोंक दिया। 

नहीं रहा वृद्ध मां-बाप का सहारा

मृतक विक्रम के परिवार में उसकी वृद्ध मां केशवपति (70), पिता राजेंद्र सिंह (75) व दो पुत्र दिव्यांशू सिंह (13) और हिमांशू हैं। गृहस्ती चलाने की जिम्मेदारी अकेले विक्रम पर थी। विक्रम अपनी छह बीआ और मंदिर की दो बीघा जमीन पर खेती कर परिवार पालता था। विक्रम की हत्या के बाद परिवार का बुरा हाल है और अब उनके समक्ष रोजी की भी समस्या आन पड़ी है।


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