KGMU : किट के जरिये प्री-ओरल कैंसर की होगी जांच
वर्कशाप केजीएमयू के दंत संकाय में आयाजित तीन दिवसीय कार्यशाला का समापन। ओरल कैंसर के दोषी जीन की जांच सलाइवा से भी मुमकिन।
लखनऊ, जेएनएन। प्री-ओरल कैंसर की जांच आसान होगी। शीघ्र ही नई किट बाजार में होगी। इसको लेकर प्रयास तेज कर दिए गए हैं। केजीएमयू के दंत संकाय में तीन दिवसीय प्री-ओरल कैंसर पर कार्यशाला का शनिवार को समापन हो गया। इस दौरान डॉ. देवेंद्र परमार ने कहा कि प्री-ओरल कैंसर की जांच पर रिसर्च किया गया। साइडोक्रोम पी-450 पर हुए शोध इंटरनेशनल जनरल में प्रकाशित हो गया है। ऐसे में अब एक किट बनेगी। इसके जरिए शीघ्र ही प्री-ओरल कैंसर की जांच की जा सकेगी।
सलाइवा की जांच से जानेंं कैंसर का कारक
राजस्थान के डॉ. नीलेश के मुताबिक ओरल कैंसर के दोषी जीन की जांच सलाइवा से भी मुमकिन है। इसके लिए ब्लड और मांस का टुकड़ा आवश्यक नहीं है। मरीज की सलाइवा (लार) के जरिये ईजीएफआर, पी-53, पी-16 जांच की जा सकती है। इससे टारगेट बेस्ड थेरेपी दी जा सकती है। दिल्ली की डॉ. सुस्मिता सक्सेना ने ओरल कैंसर का कारण कुपोषण, टूटे दांतों का बार-बार स्किन का रगडऩा भी बताया।
एप के जरिए स्क्रीनिंग को देंगे बढ़ावा
केजीएमयू की डॉ. दिव्या मेहरोत्रा ने कहा कि एम्स जोधपुर, एम्स ऋषिकेश, केजीएमयू, पीजीआइ चंडीगढ़ और टाटा कैंसर इंस्टीट्यूट मिलकर ओरल प्री-कैंसर रजिस्ट्री करेंगे। इन मरीजों की एक एप पर डिटेल रहेगी। इनमें संदिग्ध ल्यूकोप्लेकिया, सबम्यूकस फाइब्रोसिस के मरीजों को रजिस्टर किया जाएगा। इन्हें शुरुआत में हर वर्ष दो बार स्क्रीनिंग के लिए बुलाया जाएगा।