माध्यमिक स्कूलों में 'प्रैक्टिकल वर्क' की व्यवस्था राम भरोसे
कहीं लैब तो कहीं संसाधनों का अभाव। नए प्रैक्टिकल का भी स्कूलों में नहीं पहुंचा सामान। यूपी बोर्ड परीक्षा सात फरवरी से हैं। वहीं प्रायोगिक परीक्षा 15 दिसंबर से हैं।
लखनऊ, (संदीप पांडेय)। 'विज्ञान आओ करके सीखें' का स्लोगन राजधानी में दम तोड़ रहा है। यहां के माध्यमिक स्कूलों में 'प्रैक्टिकल वर्क' अव्यवस्था का शिकार है। कहीं लैब तो कहीं संसाधनों का अभाव है। ऐसे में मौखिक प्रैक्टिकल रटाकर छात्रों के भविष्य के साथ 'प्रयोग' किया जा रहा है। यूपी बोर्ड परीक्षा सात फरवरी से हैं। वहीं प्रायोगिक परीक्षा 15 दिसंबर से हैं। बावजूद, स्कूलों की लैब में सन्नाटा पसरा है। कारण, कहीं प्रयोगशाला के नाम पर सिर्फ कमरे हैं, तो कहीं जंग लगने से उपकरण खराब हो गए हैं। स्थिति यह है कि नए पाठ्यक्रम में शामिल प्रैक्टिकल के भी संसाधन स्कूलों में नहीं भेजे गए हैं।
डीएनए-प्रोटीन का विश्लेषण अटका
इंटर जीव विज्ञान में बायोटेक्नोलॉजी बेस्ड प्रैक्टिकल कर दिए गए हैं। इसमें सबसे प्रमुख डीएन व प्रोटीन विश्लेषण के प्रयोग हैं। मगर कॉलेजों में अभी तक स्पेक्ट्रोमीटर, प्रोटिएज एंजाइम, मीट टेंडराकूजर, 95 फीसद एथिल एल्कोहल, कांच की छड़ नहीं पहुंची। इंदिरा नगर राजकीय इंटर कॉलेज में इसके साथ-साथ स्पेसिमन और स्पाटिंग का भी संकट है।
भौतिक में अटके विद्युतिकी के प्रयोग
इंटर भौतिक विज्ञान में दैनिक जीवन उपयोगी प्रयोगों को शामिल किया गया है। इसमें 'जेनर डायोड' व धारामापी जैसे प्रोजेक्ट पर जोर दिया गया। मगर पीएनपी ट्रांजिस्टर, पीएन जक्शन, डायोडा सरकारी कॉलेजों में नहीं पहुंचे हैं। विकास नगर राजकीय इंटर कॉलेज में उपकरण न होने से विद्युतिकी का प्रयोग अटका है।
लैब के नाम पर सिर्फ कक्ष
विकास नगर जीजीआइसी में बायोलॉजी की मान्यता इसी वर्ष मिली है। पहली बार 11 वीं में छात्राओं का दाखिला लिया गया। मगर यहां बायो की लैब के नाम पर सिर्फ कक्ष है। प्रयोगशाला में उपकरण, स्पेसिमन नहीं हैं।
मुख्य तथ्य
- कुल 814 माध्यमिक स्कूल
- इसमें 104 सहायता प्राप्त, 48 सरकारी कॉलेज
- 99 हजार छह सौ विद्यार्थी देंगे बोर्ड परीक्षा
- छात्रों के पांच रुपये शुल्क के भरोसे पै्रक्टिकल