उत्तर प्रदेश में पॉलीथिन पर पाबंदी कमजोर सिर्फ बंद कमरों में शोर
पॉलीथिन पर रोक लगाने के निर्देश के क्रम में रविवार की छुट्टी आड़े आई और ज्यादातर जिलों में अभियान शुरू नहीं हो सका।
लखनऊ (जेएनएन)। पॉलीथिन पर रोक लगाने के निर्देश के क्रम में रविवार की छुट्टी आड़े आई और ज्यादातर जिलों में अभियान शुरू नहीं हो सका। हलांकि पहले दिन पंपलेट का वितरण कर लोगों को जागरूक किया गया। सोमवार से छापेमारी अभियान चलाकर कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है। फिलहाल आज जिले-जिले में पॉलीथिन का प्रयोग धड़ल्ले से होता दिखा। शासन के निर्देश एवं सख्ती का असर कहीं नहीं दिखाई दिया। रोक के बावजूद पॉलीथिन के उपयोग पर प्रतिबंध नहीं है। प्रशासन एवं पालिका की तैयारियां महज अभिलेखों में सीमित रहीं। नतीजतन शासन की मंशा नगर निकायों महज पंपलेट लगाने की कार्रवाई तक सिमट गई है। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र की बाजारों में पॉलीथिन का प्रयोग बेरोकटोक होता रहा। उपजाऊ भूमि को बंजर बनाने वाली पॉलीथिन ही यूपी में प्रदूषण का अहम कारण बनी है। बिखरे पड़े कूड़ों के ढ़ेर में पॉलीथिन ही बहुतायत संख्या में दिखाई पड़ी।
कानपुर और लखनऊ से पॉलीथिन आपूर्ति
व्यापारी बताते हैं कि कानपुर और लखनऊ से पॉलीथिन का आपूर्ति जिले-जिले की जा रही है। लोग बकायदा दुकान खोलकर पॉलीथिन का व्यवसाय चला रहे है। जिनसे फुटकर व्यवसाई पॉलीथिन खरीद कर धंधा चला रहे है। प्रशासन की कार्यप्रणाली लचर है। इसके चलते प्रत्येक माह जिले में कई कुंतल पॉलीथिन की खपत हो रही है। सख्त रवैये के बावजूद बेरोकटोक पॉलीथिन के प्रयोग से पर्यावरण दूषित हो रहा है। इससे गंदगी को भी बढ़ावा मिल रहा है। पॉलीथिन से जहां नाली-नालों के चोक होने से जलभराव की समस्या गहराती जा रही है। वहीं बीमारियों के संक्रमण बढ़ता जा रहा है। पॉलीथिन का उपयोग छोटी दुकानों से लेकर बड़े प्रतिष्ठानों पर किया जा रहा है। जिलाधिकारियों ने बकायदा पालीथिन के प्रयोग पर रोक लगाने के लिए बैठक कर निर्देश दिए थे। रोक के पहले दिन तक नगर निकाय जुर्माने की रकम तक नहीं तय कर सके हैं। कुछ सार्वजनिक स्थानों बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर प्रतिबंध नगण्य नजर आया।
आज से शुरू होगा अभियान
कुछ जिलाधिकारियों ने बताया कि पॉलीथिन पर रोक लगाने के शासन के निर्देश का पालन कराया जा रहा है। पालिका, नगर पंचायतों और नगर निगमों को कार्रवाई के सख्त निर्देश दिए गए है। पॉलीथिन के उपयोग पर रोक लगने के उपरांत कागज के लिफाफों एवं कपड़े के झोलों को व्यवसाय बहुर सकता है। कारण कि पॉलीथिल के उपयोग के कारण इस व्यवसाय पर ग्रहण लग गया था। व्यापारी नेता भी पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए सभी को पॉलीथिन के उपयोग से परहेज करने के हिमायती हैं।