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योगी की सुधारात्मक साधना के बीच यादव परिवार की सियासत

सपा विधायक शिवपाल यादव योगी आदित्यनाथ से मिलने पहुंचे। इस मुलाकात के मायने निकाले जाने लगे हैं।

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 05 Apr 2017 07:24 PM (IST)Updated: Thu, 06 Apr 2017 12:33 AM (IST)
योगी की सुधारात्मक साधना के बीच यादव परिवार की सियासत
योगी की सुधारात्मक साधना के बीच यादव परिवार की सियासत

लखनऊ (जेएनएन)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सुधारात्मक साधना के बीच यादव परिवार की सियासत भी चल रही है। कुछ दिन पहले सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव ने योगी जी से मुलाकात की थी। आज मुलायम के भाई और पूर्व सीएम अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव उनसे मिलने जा पहुंचे। समाजवादी कुनबे में कलह के बीच योगी से शिवपाल की इस मुलाकात के मायने निकाले जाने लगे हैं। सपा कुनबे में किसी नई खिचड़ी के पकने का अनुमान लगाया जाने लगा है। हालांकि शिवपाल ने कहा कि इसके कोई राजनीतिक मायने नहीं निकाले जाने चाहिए। सरकार के सकारात्मक कार्यों में हमारा सहयोग रहेगा। उल्लेखनीय है कि कल शिवपाल यादव ने विधानसभी अध्यक्ष से मुलाकात की थी।

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भविष्य की रणनीति का हिस्सा!    

मुलायम सिंह यादव के भाई और यूपी के पूर्व कैबिनेट मिनिस्टर शिवपाल यादव ने लखनऊ में सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। शिवपाल करीब सवा ग्यारह बजे योगी से मिलने उनके सरकारी आवास पहुंचे। इससे पहले मुलायम सिंह के छोटे बेटे प्रतीक यादव और उनकी पत्नी अपर्णा यादव भी योगी से मुलाकात कर चुके हैं। शिवपाल की इस मुलाकात के सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। सवाल यह भी उठ रहा है कि कहीं अखिलेश से नाराज चाचा शिवपाल पाला बदलने तो नहीं जा रहे। शिवपाल यादव के करीबी सूत्रों की मानें तो यह एक शिष्टाचार भेंट है, लेकिन मुलायम सिंह यादव की बहु और बेटे अपर्णा-प्रतीक ने योगी के स्वागत में जिस तरह पलक-पावड़े बिछा, और जिस तरह सियासी हार के बाद मुलायम सिंह यादव ने शिवपाल यादव का पक्ष लेते हुए अखिलेश यादव के खिलाफ मोर्चा खोला, उससे कुछ-कुछ तो साफ हो ही जाता है कि यह शिष्टाचार भेंट के अलावा भविष्य की रणनीति का भी हिस्सा है।

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योगी से शिवपाल की मुलाकात

शिवपाल-योगी मुलाकात में उनके पुत्र और पीसीएफ के सभापति आदित्य यादव भी थे। शिवपाल को अपने पुत्र के भविष्य की चिंता सता रही है। मुलायम परिवार के ज्यादातर युवा राजनीति में स्थापित हो चुके हैं लेकिन, अभी पीसीएफ छोड़कर आदित्य को मौका नहीं मिला। समाजवादी कुनबे में चुनाव से पहले छिड़ी रार अभी तक खत्म नहीं हुई है। हाल ही में मैनपुरी गये सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव पर हमला बोला था और यह भी कहा कि जो अपने बाप का नहीं हुआ, वह आपका क्या होगा। इसके बाद शिवपाल ने भी नई पार्टी बनाने के साफ-साफ संकेत दिए।

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अपर्णा ने की थी योगी से मुलाकात 

भाजपा के प्रति पिछड़ों का झुकाव हालांकि जिस तरह बढ़ा है उससे यह कयास लग रहे हैं कि शिवपाल सपा छोड़ सकते हैं। इसके पहले मुलायम सिंह यादव के पुत्र प्रतीक यादव और पुत्रवधू अपर्णा यादव ने भी योगी से मुलाकात की। जब मुख्यमंत्री वीवीआइपी गेस्ट हाऊस में रहते थे तब एक सुबह प्रतीक और अपर्णा उनसे मिलने गये थे। इसके बाद योगी अपर्णा यादव की देखरेख में चलने वाले पशुओं के आश्रयगृह कान्हा उपवन भी गये। कान्हा उपवन में अपर्णा ने योगी के कामकाज की खूब सराहना की। तब विधानसभा चुनाव में राजधानी के कैंट क्षेत्र से सपा की उम्मीदवार रहीं अपर्णा ने अपनी हार के पीछे कुछ अपनों को ही जिम्मेदार ठहराया था। बुधवार को शिवपाल की मुलाकात के बाद योगी के प्रति समाजवादी कुनबे के बढ़ते लगाव को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। कहा यह भी जाने लगा है कि शिवपाल के प्रभाव वाले विधायकों का भी भाजपा से संपर्क बना हुआ है। 

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चर्चा में गोमती रिवर फ्रंट जांच 

मुख्यमंत्री ने गोमती रिवर फ्रंट की जांच के आदेश दिए हैं। इसकी जांच के लिए आयोग गठित होना है। इस आदेश के बाद यह चर्चा भी तेज हो गयी कि प्रोजेक्ट में कुछ अधिकारियों ने नियमों की ऐसी-तैसी करके सरकारी धन की बंदरबांट की। उन अधिकारियों पर सिंचाई मंत्री रहते शिवपाल का वरदहस्त रहा। जाहिर है कि जांच की आंच कई प्रमुख लोगों पर आनी है, इसलिए भी योगी से शिवपाल की मुलाकात के निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। यह अलग बात है कि भ्रष्टाचार के मामले में योगी का रुख कड़ा है।

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चर्चा में स्पीकर से मुलाकात

मंगलवार को शिवपाल यादव विधानसभा स्पीकर से मुलाकात की थी। सियासी गलियारों में ऐसी चर्चा है कि शिवपाल-योगी की मुलाकात अखिलेश यादव पर दबाब बनाने की रणनीति का हिस्सा है ताकि पार्टी में सिर्फ अखिलेश ही हावी न रहें। दबाव की इसी रणनीति के तहत अब तक पार्टी के कई पदाधिकारी पार्टी छोड़ चुके हैं। मंगलवार को ही समाजवादी पार्टी की महिला विंग अध्यक्ष श्वेता सिंह ने भी पार्टी छोड़ दी थी। इससे पहले राज्य कार्यसमिति के सदस्य सुधीर सिंह भी पार्टी को अलविदा कह चुके हैं।

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यादव चेहरा लाने की तैयारी में भाजपा 

भाजपा का जोर पिछड़े नेताओं पर है और अपने इस अभियान में काफी हद तक सफल भी हुई है। हालांकि अभी भी पार्टी में यादव नेताओं की कमी है। भाजपा कुछ बड़े यादव नेताओं को महत्व देकर पार्टी का चेहरा बनाने की कोशिश कर सकती है। उड़ीसा के भुवनेश्वर में 15 और 16 अप्रैल को भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक होनी है। संभव है कि इस चुनाव के बाद भाजपा प्रदेश और राष्ट्रीय संगठन में फेरबदल करे। इस दौरान पिछड़ी जाति के कुछ बड़े नेताओं को मौका मिल सकता है। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. दिनेश शर्मा के प्रदेश सरकार में उपमुख्यमंत्री बनने के बाद संगठन से उनका हटना तय है। इसी तरह भाजपा पिछड़ा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दारा सिंह चौहान भी मंत्री बने हैं। केन्द्रीय संगठन में कई और पद खाली हुए हैं। संभव है कि भाजपा उत्तर प्रदेश में पहचान रखने वाले किसी यादव नेता को तरजीह देकर इन पदों पर मौका दे दे। भाजपा ने चुनाव के दौरान अपने राष्ट्रीय महामंत्री भूपेन्द्र यादव का कैंप कराया था। भूपेन्द्र यादव समाजवादी कुनबे पर सर्वाधिक हमलावर थे। 

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