कोरोना काल में UP में रेहड़ी पटरी वालों को राहत पर सियासी गर्माहट, विशेष आर्थिक पैकेज मांग
विपक्ष ने एक हजार मासिक भत्ता को नाकाफी बताया विशेष आर्थिक पैकेज मांग। वहीं भाजपा समर्थकों ने सरकार के फैसले की सराहना की है। प्रदेश सरकार के फैसले को एतिहासिक बताते हुए कहा कि इससे जरूरतमंदों को राहत मिलेगी।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। प्रदेश सरकार द्वारा कोरोना काल में रेहड़ी दुकानदारों, फुटकर व पटरी कारोबारियों के अलावा दिहाड़ी मजदूरों को एक हजार रुपये प्रति माह व राशन उपलब्ध कराने के फैसले को लेकर राजनीतिक आरोप -प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। विपक्ष ने राहत को नाकाफी बताते हुए विशेष आर्थिक पैकेज मांगा है। वहीं भाजपा समर्थकों ने सरकार के फैसले की सराहना की है।
भाजपा व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक विनीत शारदा ने कहा कि सरकार ने रेहड़ी-पटरी व फुटकर दुकानदारों, दिहाड़ी मजदूरों, रिक्शा चालकों और खोमचे वालों आदि को एक हजार रुपये मासिक व तीन माह राशन उपलब्ध कराने का फैसला लेकर गरीबों के प्रति संवेदनशील होने का प्रणाम दिया है। श्रम कल्याण परिषद अध्यक्ष सुनील भराला ने प्रदेश सरकार के फैसले को एतिहासिक बताते हुए कहा कि इससे जरूरतमंदों को राहत मिलेगी।
वहीं प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के अध्यक्ष शिवपाल यादव ने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा घोषित राहत राशि नाकाफी है। सरकार को रेहड़ी-पटरी, खोमचा व ठेला लगाने वालों और दिहाड़ी मजदूरों को 3000 रुपये प्रति माह प्रदान किया जाए। इसके अलावा वैश्विक आपदा पीड़ितों को एक समावेशी व लोक कल्याणकारी आर्थिक पैकेज प्रदान किया जाए।
राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय सचिव अनिल दुबे ने आरोप लगाया कि बढ़ी महंगाई के दौर में एक हजार रुपये मासिक भत्ता देना ऊंट के मुंह में जीरा समान है। सरकार कालाबाजारी रोकने में नाकाम रही है। सरकार को चाहिए कि कमजोर वर्ग के परिवारों को कम से कम पांच हजार रुपये मासिक प्रदान किए। जनता दल यूनाइटेड प्रदेश अध्यक्ष अनूप सिंह पटेल ने कहा कि कोरोना काल में सरकार गरीबों को राहत देना चाहती है तो, मासिक भत्ते के साथ बिजली बिल माफ किया जाए।