कैराना उपचुनाव का सियासी संदेश: बेअसर रही कांग्रेस-रालोद की दोस्ती
लखनऊ (राब्यू)। कैराना विधानसभा सीट के उपचुनाव में भी बसपा की गैरहाजिरी का फायदा सपा के
लखनऊ (राब्यू)। कैराना विधानसभा सीट के उपचुनाव में भी बसपा की गैरहाजिरी का फायदा सपा के खाते में गया। दलित व अति पिछड़े वर्ग की वोटों पर दावेदारी ठोंक रही भाजपा के हाथ केवल मायूसी लगी और प्रतिष्ठापूर्ण सीट गंवानी पड़ी। वहीं कांग्रेस-रालोद की दोस्ती उपचुनाव के अंतिम इम्तिहान में भी बेअसर रही।
सीधे और कड़े मुकाबले में हारे भाजपाई भले ही कैराना उपचुनाव में सपा की जीत को सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कहकर पल्ला झाड़ने की कोशिश करें परन्तु छोटी पराजय के निकले बड़े सियासी संदेश से आंखें मूंद लेना बेहतर नहीं होगा। खासकर दलित, अति पिछड़े वर्ग की हिस्सेदारी बढ़ाकर मिशन-2017 सफल बनाने की रणनीति तैयार करने में जुटे पार्टी नेतृत्व को आत्ममंथन करना होगा। यह भी देखना होगा कि विगत दो चुनावों में बसपा को मिले वोट (लोस चुनाव-23741, विस चुनाव-60724) कहां गए।
अहम बात यह कि पिछड़े वर्ग के कद्दावर नेता व सांसद हुकुम सिंह अपनी सीट को परिवार के सदस्य के लिए भी नहीं बचा पाए। भाजपा प्रत्याशी अनिल चौहान की पराजय पर एक पूर्व मंत्री का कहना है कि कैराना सीट बचाने को पार्टी ने सांसद के परिजनों को टिकट नहीं देने का नियम तोड़ा लेकिन लाभ नहीं मिला। अलबत्ता, कश्यप व अन्य अति पिछड़े समाज की नाराजगी झेलनी पड़ी। इसी तरह दलित मतों का धुव्रीकरण भाजपा के पक्ष में करा लेने में नाकामयाबी मिली। जानकारों का कहना है, बसपा के वोट बैंक में हिस्सेदारी न हो पाना भाजपा की रणनीतिक हार रही। वहीं प्रचार में दलित व अति पिछड़े वर्ग के बड़े नेताओं का उपयोग न करना भी भूल सिद्ध हुई। इसके विपरित हिंदुत्व मुद्दा गर्माने का लाभ भी भाजपा के बजाए मुस्लिम धुव्रीकरण के रूप में सपा के नाहिद हसन को मिला। वर्ष 2012 में मात्र 21258 वोट हासिल करने वाली सपा उपचुनाव में 83984 मत बटोरने में सफल रही। राज्य मंत्री आशु मलिक का कहना है कि केवल मुस्लिमों का ही नहीं वरन सभी वर्गो का सपा सरकार पर विश्वास बढ़ा है।
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रालोद ने कांग्रेस को अकेले छोड़ा
उप चुनाव में रालोद-कांग्रेस गठबंधन पूर्णतया ध्वस्त नजर आया। अन्य सीटों की तरह से कैराना उपचुनाव में भी रालोद ने कांग्रेस का साथ छोड़े रखा। कांग्रेस के उम्मीदवार अरशद हसन को 16, 906 वोट जरूर मिले परन्तु इसमें रालोद की भागीदारी नहीं रही। कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने भी प्रचार से हाथ खींच कर रखा। बिजनौर, नोएडा व सहारनपुर के उपचुनावों के बाद अब कैराना में भी रालोद-कांग्रेस गठजोड़ बिखरता दिखा।
कैराना में गत तीन चुनावों के नतीजे
चुनाव भाजपा सपा बसपा विस-2014: 82885, 83984 ---
लोस-2014: 100462, 73833, 23741
विस-2012: 80209, 21258, 60724
(नोट-उपचुनाव में बसपा ने प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारा।)
विधानसभा में ताजा दलीय स्थिति
1.समाजवादी पार्टी- 230
2. बसपा - 080
3. भाजपा - 041
4. कांग्रेस - 028
5.रालोद -008
6.पीस पार्टी -004
7. कौएद - 002
8.राकांपा -001
9.अपनादल -001
10.आइएमसी -001
11.टीएमसी - 001
12.निर्दलीय -006
13. नामित सदस्य -001