बच्ची संग दुष्कर्म-हत्या का मामला : कांप गया था पुलिस का कलेजा, छह दिन में लगाई चार्जशीट
03 अधिकारियों ने बच्ची के साथ हुई नाइंसाफी को अंजाम तक पहुंचाया।
लखनऊ, जेएनएन। सआदतगंज से अगवा करके छह वर्षीय मासूम से दुष्कर्म और नृशंस हत्या के मामले से अक्सर बेपरवाही का आरोप झेलने वाली पुलिस का भी कलेजा कांप उठा था। यही वजह रही कि आनन-फानन में न केवल आरोपित गिरफ्तार हुआ बल्कि जांच में तेजी दिखाई गई। आरोपित अराफात उर्फ बबलू के खिलाफ महज छह दिन में ही न्यायालय में चार्जशीट दाखिल कर दी थी। हालांकि, ऐसा करने के लिए पुलिस के पास 90 दिन का समय होता है।
एडीसीपी पश्चिमी विकास चंद्र त्रिपाठी, एसीपी अनिल कुमार और एसएचओ सआदतगंज महेशपाल सिंह की तिकड़ी ने पूरे मामले में अहम रोल निभाया। समय पर न्यायालय में सुबूत और गवाह पेश किए, जिससे आरोपित को फांसी की सजा हो सकी।
ठोस विवेचना का असर
प्रदेश में दुष्कर्म का यह पहला केस है, जिसमें पुलिस ने छह दिन के भीतर विवेचना पूरी करके सभी सुबूतों के साथ चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की गई। आरोपित और ब'ची के डीएनए परीक्षण की रिपोर्ट भी जांच कर रहे अफसरों ने विधि विज्ञान प्रयोगशाला से महीनेभर के भीतर ही मंगा ली, रिपोर्ट पॉजिटिव थी। जिसमें ब'ची के नाखून में आरोपित की खाल और बाल, खून के मिलने समेत तमाम ठोस साक्ष्य की पुष्टि हुई। सभी 14 चश्मदीदों की समय से गवाही, घटना के समय सीसी कैमरों में कैद आरोपित की फोटो और वीडियो, कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर), ब्लड, स्पर्म समेत सभी साइंटिफिक रिपोर्ट आरोपित के खिलाफ आईं।
न्याय मित्र कराया था उपलब्ध
इस जघन्य दुराचार एवं हत्याकांड के प्रकरण में बचाव पक्ष की ओर से किसी अधिवक्ता द्वारा वकालतनामा दाखिल कर पैरवी न करने के कारण न्यायालय द्वारा पैरवी के लिए न्याय मित्र (सरकारी खर्चे पर वकील) उपलब्ध कराया गया। अपने 67 पृष्ठीय विस्तृत निर्णय में अदालत ने अनेक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए समाज में एक अ'छा संदेश देने का प्रयास किया है।
जेल जाने से निर्णय तक कोई मिलने नहीं आया
इस जघन्य घटना से क्षुब्ध होकर 16 सितंबर 2019 से 15 जनवरी 2020 तक अभियुक्त से कोई मिलने जेल नहीं गया। जेल रिपोर्ट 15 जनवरी में उल्लेख है कि आरोपी लखनऊ निवासी है तथा इन चार माह के दौरान उसके माता- पिता अथवा पत्नी या अन्य कोई रिश्तेदार जेल मिलने नहीं गए। यह स्पष्ट करता है कि इन लोगों के दिल में अभियुक्त के प्रति नफरत हो चुकी थी।
फांसी की सजा सुनते ही भागने का प्रयास किया
अदालत द्वारा फांसी की सजा सुनाने के बाद जब कोर्ट मुहर्रिर एवं अन्य पुलिस कर्मी उसे लाकअप ले जा रहे थे तब अभियुक्त ने अपने को छुड़ा कर भागने का प्रयास किया, लेकिन जब वह सफल न हो सका तब उसने दरवाजे पर सिर पटकना शुरू कर दिया। बाद में उसे सुरक्षा के बीच लाकप गाड़ी में बैठाकर जेल भेजा गया।
यह भी पढ़ें : लखनऊ में छह साल की बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या में दोषी को फांसी, चार महीने में पूरी हुई सुनवाई