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घुसपैठियों के खिलाफ पुलिस ने फिर शुरू की कसरत, उत्तर प्रदेश में चिह्नित हैं 259 रोहिंग्या मुसलमान

उत्तर प्रदेश में 259 रोहिंग्या मुसलमान चिह्नित हैं जो लखनऊ मथुरा व कुछ अन्य जिलों में रह रहे हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sun, 22 Sep 2019 10:17 AM (IST)Updated: Sun, 22 Sep 2019 10:17 AM (IST)
घुसपैठियों के खिलाफ पुलिस ने फिर शुरू की कसरत, उत्तर प्रदेश में चिह्नित हैं 259 रोहिंग्या मुसलमान
घुसपैठियों के खिलाफ पुलिस ने फिर शुरू की कसरत, उत्तर प्रदेश में चिह्नित हैं 259 रोहिंग्या मुसलमान

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में एक बार फिर घुसपैठ रोकने व अवैध रूप से रह रहे विदेशियों पर कार्रवाई की कसरत शुरू की गई है। पुलिस इसके लिए सभी जिलों में संदिग्ध बांग्लादेशियों को चिह्नित करने की मुहिम चलाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीते दिनों कहा था कि जरूरत पड़ने पर एनसीआर (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन) को उत्तर प्रदेश में भी लागू किया जाएगा। सीएम के इस बयान के बाद पुलिस व खुफिया एजेंसियां हरकत में आ गई हैं। अक्टूबर 2017 में सीएम के निर्देश पर पुलिस ने अवैध घुसपैठियों को चिह्नित करने के लिए चरणबद्ध योजना के तहत कदम तो बढ़ाए थे, लेकिन उसे अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी थी।

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उत्तर प्रदेश में 259 रोहिंग्या मुसलमान चिह्नित हैं, जो लखनऊ, मथुरा व कुछ अन्य जिलों में रह रहे हैं। बीते दिनों अलग-अलग जिलों में पकड़े गए 100 से अधिक बांग्लादेशी नागरिक जेलों में बंद हैं। दरअसल, घुसपैठ कर आए संदिग्ध बांग्लादेशी काफी बड़ी संख्या में यहां आकर बस चुके हैं। इनमें लखनऊ व नोएडा में बड़ी संख्या में संदिग्ध बांग्लादेशी व अन्य विदेशी अप्रवासी रह रहे हैं। इसके अलावा गाजियाबाद, मेरठ, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर सहित अन्य बड़े शहरों में भी इनकी बड़ी संख्या होने की जानकारी पुलिस के पास है।

खासकर देवबंद (सहारनपुर) में कई संदिग्ध बांग्लादेशी आतंकियों के पकड़े जाने के बाद सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर बड़े सवाल खड़े हुए थे, जिसके बाद शासन ने संदिग्ध बांग्लादेशियों की जांच कराने में सक्रियता दिखाई थी, लेकिन जांच में उनके पास स्थानीय पतों पर बने मतदाता पहचानपत्र, डीएल, राशनकार्ड तक पाए गए थे। पुलिस ने उनके पश्चिम बंगाल के पतों को तस्दीक कराने का प्रयास भी किया था। पुलिस की यह मुहिम ज्यादा कारगर साबित नहीं हो सकी थी। पुलिस के सामने यहां आकर बस चुके संदिग्ध बांग्लादेशियों के मूल निवास को प्रमाणित करने की चुनौती सबसे बड़ी होती है। पुलिस इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस के जरिए भी संदिग्धों के खिलाफ साक्ष्य जुटाने का प्रयास कर रही है।


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