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लखनऊ में डाक्टर बनकर किया मेडिकल...सेना भर्ती के लिए बनाया फर्जी सर्टिफिकेट, पुल‍िस ने थाने से छोड़ा

हिमांचल प्रदेश के ऊना के धीरज कुमार व सुखविंदर कौशल और चंबा के मोहित ठाकुर को सेना में भर्ती होने का झांसा रेलकर्मी कुलदीप कुमार ने दिया। कुलदीप ने बताया कि उसकी पहचान सेना के अफसरों से है। वह मेडिकल पास कराने सहित जॉइनिंग कराने के दस्तावेज बनवायेगा।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 13 Apr 2021 11:58 PM (IST)Updated: Wed, 14 Apr 2021 03:26 PM (IST)
लखनऊ में डाक्टर बनकर किया मेडिकल...सेना भर्ती के लिए बनाया फर्जी सर्टिफिकेट, पुल‍िस ने थाने से छोड़ा
एक पूर्व सैनिक कर रहा था लखनऊ में कई महीनों से खेल

लखनऊ, [निशांत यादव]। सेना का एक सेवानिवृत्त जवान कैंट के सुनसान जंगल मे खुद को सैन्य डॉक्टर बताकर फर्जी मेडिकल करता रहा। वह फर्जी दस्तावेज से बेरोजगार युवकों को लाखों का चूना लगा रहा था। उसके खेल में एक रेलकर्मी भी शामिल था। हिमांचल प्रदेश के तीन युवकों को भी उसने ठगी का शिकार बना लिया। यह मामला सेना ने पकड़ भी लिया और कैंट पुलिस के हवाले कर दिया। लेकिन कैंट पुलिस ने बिना किसी कार्ररवाई के जालसाज और तीनों पीड़ितों को जाने दिया।

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दरअसल हिमांचल प्रदेश के ऊना के धीरज कुमार व सुखविंदर कौशल और चंबा के मोहित ठाकुर को सेना में भर्ती होने का झांसा रेलकर्मी कुलदीप कुमार ने दिया। कुलदीप ने बताया कि उसकी पहचान सेना के अफसरों से है। वह मेडिकल पास कराने सहित जॉइनिंग कराने के दस्तावेज बनवायेगा। इसके लिए प्रति उम्मीदवार छह लाख रुपए लगेंगे। कुलदीप ही तीनो को कैंट ले आया। यहां उसने सेना की एएडी कोर से सेवानिवृत्त पूर्व सैनिक हनुमान सिंह से तीनों की मुलाकात करायी। हनुमान सिंह ने खुद को भर्ती मेडिकल बोर्ड का अफसर बताया और कैंट के सुनसान जंगल ले जाकर तीनो के मेडिकल की कार्यवाही पूरी की। उसने मोहित को सेना भर्ती कार्यालय लखनऊ की फर्जी मुहर लगा मेडिकल सर्टिफिकेट दे दिया।

वही मोहित और उसके दोनों दोस्तो ने 15-15 हजार रुपए कुलदीप के खाते में जमा करा दिए। हनुमान सिंह तीनो से पैसे की डिमांड करने लगा।।इस बीच जब इसकी जानकारी सेना को हुई तो हनुमान व तीनो से पूछताछ हुई। मामला खुलने पर सेना ने कैंट पुलिस को उनको सौप दिया। तीनो शिकायतकर्ता के बयान दर्ज होने के बावजूद सेना जालसाज पूर्व सैनिक के खिलाफ कार्यवाही न कर सकी। सेना को अंदेशा है कि यदि हनुमान सिंह के घर छापेमारी होती तो कई और दस्तावेज मिल सकते थे।


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