Coronavirus Lockdown : पुलिस ने दवा दी तो बुजुर्ग ने दुआ, एक फोन पर 15 मिनट में पहुंचाई दवा
जरूरतमंदों के लिए मददगार बनी खाकी। बुजुर्ग के एक फोन पर सात किलो मीटर दूर से लाकर दी दवा।
लखनऊ, (अजय श्रीवास्तव)। कोरोना वायरस के कहर और लॉकडाउन में लोगों के बीच पुलिस का एक नया चेहरा सबके सामने आया है। इन दिनों पुलिसकर्मी जरूरतमंदों और बेसहारा लोगों के लिए मददगार बनकर दिनरात तैनात हैं। जरूरतमंदों को जहां खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है, वहीं बीमार लोगों के लिए दवा का भी इंतजाम घर पर ही किया जा रहा है। गोमतीनगर के 3/196 विकास खंड निवासी बुजुर्ग योगेश कुमार जैन शनिवार को बहुत खुश थे और पुलिस के प्रति विश्वास की झलक आंखों में दिख रही थी। एक फोन पर मात्र पंद्रह मिनट में ही पुलिस मददगार बन गई।
यह था मामला
बुजुर्ग योगेश की एंटी की डिप्रेशन की दवा खत्म हो गई। यह दवा भी लालबाग नूरमंजिल के बाहर एक दुकान पर ही मिलती है, जो उनके घर से सात किलोमीटर दूर है। लॉक डाउन के कारण 73 वर्षीय योगेश वहां जा भी नहीं पा रहे थे। परेशान थे कि किससे दवा मंगाई जाए और बिन दवा के रहा कैसे जाएगा। पत्नी ही है और बेटा बाहर तैनात है। सुबह आधी गोली और रात में एक गोली दवा खानी पड़ती है। सोच रहे थे कि बिना दवा के नींद भी नहीं आएगी।
फोन कर पुलिस को बताई परेशानी
बहुत संकुचाते हुए बुजुर्ग योगेश ने पुलिस सेवा 112 को फोन लगा दिया और अपनी परेशानी बताई। उन्हें उम्मीद भी नहीं थी कि पुलिस उनके घर आ जाएगी। अभी वह सोच ही रहे थे कि घर के पास डॉयल 100 की गाड़ी आ गई। हेड कांस्टेबिल राम किशोर अवस्थी, कांस्टेबिल दीपक कुमार और डइवर डॉ. सूर्य वीर सिंह घर के दरवाजे पर खड़े थे। योगेश घर से निकले तो देखकर उन्हें विश्वास नहीं हुआ। सिपाही ने दवा का पर्चा और पैसा लिया। इसके कुछ समय बाद ही दवा बुजुर्ग योगेश के हाथ में थी।
पुलिस वालों को दी दुआ
योगेश कहते हैं कि सरकार की इस योजना और पुलिस की इतनी सक्रियता से वह बहुत खुश हैं। अगर ऐसा न होता तो बहुत मुश्किल हो जाता है घर पर वह और पत्नी ही हैं। बेटा कर्नल है और बेंगलुरू में तैनात हैं। ऐसे में जब कुछ दवा बची तो वह परेशान होने लगे थे, लेकिन पुलिस उम्मीद से अधिक मददगार बन गई। दवा लेकर पहुंचे पुलिसकर्मियों को उन्होंने भावुक होकर बहुत आशीर्वाद दिया।