बहादुरी को सलाम : दिलेर दिव्यांश को मिलेगा राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार
बहन पर हमलावर सांड़ पर स्कूल बैग से किया था ताबड़तोड़ वार। दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर पीएम मोदी करेंगे सम्मानित।
लखनऊ, (दुर्गा शर्मा)। कैसी भी स्थिति आए पथ नहीं छोड़कर भागे, हर संकट तूफान आने पर, हरदम रहते जागे। हम हैं भारत मां के ऐसे वीर बहादुर बच्चे, जोश न खोते, होश न खोते, आते सबसे आगे।।
शहर के 13 वर्षीय दिव्यांश सिंह ऐसे ही वीर बहादुर हैं। बहन को सांड़ के हमले से बचाने की दिलेरी पर उन्हें वीरता पुरस्कार मिलेगा। इन्हें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सम्मानित करेंगे। ब्रेवरी अवॉर्ड पाने वाले तमाम साहसी बच्चों के साथ दिव्यांश भी गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होंगे। इससे पहले दिव्यांश को रानी लक्ष्मी बाई वीरता पुरस्कार 2018 भी मिल चुका है। जानकीपुरम निवासी दिव्यांश कक्षा नौ के छात्र हैं।
बाराबंकी के मूल निवासी दिव्यांश के पिता धीरेंद्र बहादुर सिंह डॉ. शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में सह आचार्य (भौतिकी) हैं। मां विनीता सिंह गंगा मेमोरियल गल्र्स पीजी कॉलेज में विभागाध्यक्ष (हिंदी) के पद पर कार्यरत हैं। दिव्यांश लखनऊ पब्लिक स्कूल, सहारा स्टेट में पढ़ते हैं। पिता धीरेंद्र बहादुर ने बताया कि घटना में दिव्यांश को काफी चोटें आई थीं। जिला प्रशासन की संस्तुति के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों सम्मान मिला था।
यह हुई थी घटना
दिव्यांश 31 जनवरी 2018 को अपनी छोटी बहन समृद्धि (5) के साथ रोज की तरह स्कूल बस स्टॉप से घर वापस जा रहे थे। घर से 250 मीटर दूर रास्ते में अचानक एक सांड़ ने समृद्धि पर हमला कर दिया। वह फिर हमला करने वाला था कि दिव्यांश ने सहसा हिम्मत जुटाई और अपने स्कूल बैग से सांड़ पर ताबड़तोड़ वार करना शुरू कर दिया। आखिरकार सांड़ वहां से भाग निकला। दर्द से कराहते हुए घायल अवस्था में दिव्यांश और बहन घर पहुंचे। परिवारीजन दिव्यांश को जिला अस्पताल के इमरजेंसी में ले गए।
मिल चुके हैं कई पुरस्कार
दिव्यांश को रानी लक्ष्मी बाई वीरता पुरस्कार के अलावा साउथ एशिया मैनेजमेंट एसोसिएशन द्वारा बेस्ट चाइल्ड साइंटिस्ट अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी तीन दर्जन से अधिक अवॉर्ड मिल चुके हैं।
इनकी बहादुरी भी कुछ कम नहीं
ब्रेवरी अवार्ड के लिए उप्र से गए आवेदनों में एक और नाम देवरिया निवासी अभिषेक कुमार सिंह का भी है। अभिषेक ने रैगिंग के खिलाफ आवाज बुलंद की थी। हालांकि वीरता पुरस्कार के लिए इनका चयन नहीं हो सका।
उप्र बाल कल्याण परिषद की महासचिव रीता सिंह ने बताया कि हमारा उद्देश्य साहसी बच्चों का प्रोत्साहन और उनको भविष्य के लिए तैयार करना है। हम चाहते हैं ज्यादा से ज्यादा आवेदन आएं। इस बार आवेदनों की कमी रही।