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हां, मैं भागीदार हूं लेकिन गरीबों के दुख-दर्द का : मोदी

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि मुझ पर इल्जाम है कि मैैं चौकीदार नहीं भागीदार हूं। मैैं इसको अपने लिए इल्जाम नहीं इनाम मानता हूं। हां, मैैं भागीदार हूं, मैैं देश के गरीबों के दुख का भागीदार हूं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 28 Jul 2018 04:57 PM (IST)Updated: Sun, 29 Jul 2018 10:55 AM (IST)
हां, मैं भागीदार हूं लेकिन गरीबों के दुख-दर्द का : मोदी
हां, मैं भागीदार हूं लेकिन गरीबों के दुख-दर्द का : मोदी

लखनऊ (जेएनएन)।शहरों के कायाकल्प के बहाने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अपने सियासी विरोधियों पर तीखे शब्दबाण चलाए। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि मुझ पर चौकीदार नहीं भागीदार होने का आरोप मेरे लिए ईनाम हैै। फिर हुंकार भरी 'हां मैं गरीबों, मेहनतकश मजदूरों, मौसम की मार से आहत किसानों, जान की बाजी लगाकर दुरूह परिस्थितियों में देश की सरहद की हिफाजत करने वाले जवानों के दु:ख-दर्द और हर दुखियारी मां की मुसीबतों का भागीदार हूं। ' वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर यह कहते हुए तंज कसा कि उनका तो सिंगल प्वाइंट प्रोग्राम था अपने बंगले को सजाना-संवारना। उससे फुर्सत मिलती तो उन्हें गरीबों के लिए मकान बनाने की फिक्र होती। प्रधानमंत्री आवास योजना की अनदेखी के लिए अखिलेश यादव को घेरते हुए कहा कि 'लोकसभा चुनाव से लेकर योगी जी के आने तक वो दिन कैसे बीते, यह मैं ही जानता हूं। '

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जाके पांव न फटे बिवाई, वह क्या जाने पीर पराई 

प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी), अमृत और स्मार्ट सिटी मिशन की तीसरी वर्षगांठ पर इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन सत्र में शनिवार को मोदी ने कहा कि मुझे गर्व है कि मैं गरीब मां का बेटा हूं। गरीबी की मार ने मुझे जिंदगी जीना सिखाया है।' सियासी विरोधियों को घेरते हुए उन्होंने 'जाके पांव न फटे बिवाई, वह क्या जाने पीर पराई' कहावत दोहरायी। फिर कहा कि 'जिसने भोगा है, वही तकलीफ जानता है। इसलिए मैं तकलीफों का जमीन से जुड़ा समाधान जानता हूं।' इसी रौ में बोले, 'मुझ पर चाय वाला होने का इल्जाम भी लगाया गया था। इल्जाम थोपने और जिम्मेदारियों से बचने की यही सोच हमारे शहरों की समस्याओं की जड़ में है।' 

शहरों की बदहाली के लिए पुरानी सरकारें जिम्मेदार

शहरों की बदहाली के लिए मोदी ने पुरानी सरकारों को कठघरे में खड़ा किया। यह कहते हुए कि 'आजादी के बाद जब हमारे कंधों पर नये सिरे से राष्ट्र निर्माण का दायित्व था और तब शहरों में आबादी का भी उतना दबाव नहीं था, यदि उसी समय नियोजित विकास पर ध्यान दिया जाता तो आज हर शहर कंक्रीट का जंगल नहीं होता और न ही शहरवासियों को ऐसी मुसीबतें झेलनी पड़तीं जिनसे वे आज दो-चार हो रहे हैं।' 

फाइव 'ई' पर जोर 

प्रधानमंत्री ने कहा कि शहरों की मौजूदा अव्यवस्था 21वीं सदी के भारत को परिभाषित नहीं कर सकती है। इसलिए तीन साल पहले दो लाख करोड़ रुपये के निवेश से शहरों के कायाकल्प का संकल्प लिया गया था। 'हम ऐसे शहर विकसित कर रहे हैं संस्कृति जिनकी पहचान होगी और स्मार्टनेस उनकी जिंदगी। स्मार्ट सिटी मिशन हमारे शहरों को नये भारत की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार करेगा। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत शहरों में फाइव 'ई' पर जोर दिया गया है जिसमें ईज ऑफ लिविंग (सुविधायुक्त रहन-सहन), एजुकेशन (शिक्षा), इम्प्लायमेंट (रोजगार), इकोनॉमी (अर्थव्यवस्था) और इंटरटेनमेंट (मनोरंजन) शामिल हैं।

अब पूछते हैं कि मकान मालकिन कौन 

मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान के साथ पानी, बिजली, शौचालय आदि की सुविधाएं दी जा रही है। पहले के मुकाबले मकानों का क्षेत्रफल भी बढ़ाया गया है। ब्याज में भी राहत दी गई है। यह योजना सिर पर छत मुहैया कराने की नहीं बल्कि महिला सशक्तिकरण का जीता-जागता सुबूत है। योजना के तहत अब तक 87 लाख मकानों की रजिस्ट्री महिलाओं के नाम से या उनकी साझेदारी में की गई है। अब तो लोग पूछने लगे हैं कि इस मकान की मालकिन कौन है? वहीं स्मार्ट सिटी के तहत अच्छा काम करने के लिए पुरस्कृत शहरों की महिला महापौरों की भी उन्होंने सराहना की। 

लखनऊ और गाजियाबाद जल्द जारी करेंगे बांड 

प्रधानमंत्री ने नगरीय निकायों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पुणे, हैदराबाद और इंदौर की तर्ज पर जल्द ही लखनऊ और गाजियाबाद भी म्यूनिसिपल बांड जारी करेंगे। 

अटल जी ने बनाया था लखनऊ को शहरी विकास की प्रयोगशाला

मोदी ने कहा कि शहरी भूदृश्य को बदलने की इस मुहिम का लखनऊ से नजदीकी रिश्ता है। लखनऊ ही नहीं, देश के शहरी विकास को नई दिशा देने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी उनके प्रेरणास्रोत रहे हैं। अटल जी ने लखनऊ को शहरी विकास की प्रयोगशाला बनाया था। शहरों में झुग्गियों में रहने वालों को मकान देने के लिए उन्होंने वर्ष 2001 में वाल्मीकि अंबेडकर आवास (वांबे) योजना शुरू की थी जिसके तहत लखनऊ में दस हजार लोगों को मकान दिये गए। लखनऊ के इर्द-गिर्द बसे 1000 गांवों को सड़क से जोडऩे का विजन भी उन्हीं का था। शहरी परिवहन की सबसे बड़ी परियोजना दिल्ली मेट्रो को जमीन पर उतारने का काम भी अटल जी ने किया था। इसलिए अमृत मिशन का नामकरण अटल बिहारी के नाम पर किया गया। बकौल मोदी, अटल जी कहते थे कि 'बिना पुराने को संवारे, नया भी नहीं संवरेगा।' उन्होंने यह बात नये और पुराने लखनऊ के संदर्भ में कही थी। इसलिए हमने शहरों की पुरानी व्यवस्था को सुधारने का बीड़ा उठाया है। 

उप्र में 46 हजार ने लौटाये मकान

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके एक आह्वान पर अब तक सवा करोड़़ लोगों ने रसोई गैस सब्सिडी लेना छोड़ दिया है। हाल ही में रेलवे द्वारा रिजर्वेशन फॉर्म में सामथ्र्यवान वरिष्ठ नागरिकों से सब्सिडी त्यागने का कॉलम जोडऩे पर अब तक 46 लाख लोग रेलयात्रा सब्सिडी त्याग चुके हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिली जानकारी के आधार पर उन्होंने बताया कि उप्र में पुरानी सरकारी योजनाओं के तहत गांवों में मकान पाने के बाद शहरों में बसने वाले 46 हजार लोगों ने अपने मकान वापस कर दिये हैं ताकि उन्हें दूसरों को आवंटित कर दिया जाए।

इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय आवासन एवं शहरी विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हरदीप पुरी ने भी लोगों को संबोधित किया। मोदी ने राज्यपाल राम नाईक व मुख्यमंत्री के साथ प्रधानमंत्री आवास योजना, स्मार्ट सिटी और अमृत योजना के संबंध में लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन किया। उन्होंने 3897 करोड़ की 99 परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास भी किया। वह 37 राज्यों से आए प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों से भी मिले और उनसे बातचीत की। प्रदेश के पांच जिलों गोरखपुर, आगरा, वाराणसी, झांसी और लखनऊ में आवास के लाभार्थियों से उन्होंने वीडियो कांफ्रेंसिंग से संवाद किया। मंच पर उनके साथ दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व दिनेश शर्मा, शहरी विकास मंत्री सुरेश खन्ना, राज्यमंत्री गिरीश कुमार यादव, केंद्रीय सचिव दुर्गा शंकर मिश्र व मुख्य सचिव अनूप चन्द्र पांडेय भी मौजूद रहे।


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