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मुख्यमंत्रियों संग भूजल पर मंथन करेंगे PM मोदी, संकट से उबारने का दे सकते हैं मंत्र Lucknow News

कल नीति आयोग की बैठक में लेंगे जलस्तर के बारे में रिपोर्ट। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में ठोस कार्ययोजना तैयार करके मंडरा रहे इस खतरे को खत्म करने की कोशिश।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Fri, 14 Jun 2019 09:13 AM (IST)Updated: Mon, 17 Jun 2019 09:40 AM (IST)
मुख्यमंत्रियों संग भूजल पर मंथन करेंगे PM मोदी, संकट से उबारने का दे सकते हैं मंत्र Lucknow News
मुख्यमंत्रियों संग भूजल पर मंथन करेंगे PM मोदी, संकट से उबारने का दे सकते हैं मंत्र Lucknow News

लखनऊ [रूमा सिन्हा]। लगातार चिंताजनक स्थिति की ओर बढ़ रहे भूजल स्तर की हालत मोदी मैजिक से सुधरने की उम्मीद जगी है। इस विषय पर जारी सरकारी उदासीनता प्रधानमंत्री की अगुआई में होने जा रही नीति आयोग की बैठक से खत्म होने जा रही है।

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नीति आयोग की 15 जून को होने वाली बैठक में इस बार भूजल को विशेष रूप से शामिल किया गया है। इस दौरान सभी राज्यों के मुख्यमंत्री भूजल स्तर के बाबत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रिपोर्ट देंगे। उम्मीद की जा रही है कि बैठक के बाद प्रधानमंत्री राज्यों को भूजल संकट से उबारने का मंत्र दे सकते हैं। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में ठोस कार्ययोजना तैयार करके नीति आयोग जीवन पर मंडरा रहे इस खतरे को खत्म करने की कोशिश में है।

30 जून तक तैयार होनी है कारगर रूपरेखा

पर्यावरणविद् एमसी मेहता की जनहित याचिका पर भूजल संकट को दो दशक पूर्व ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को प्रभावी कानून बनाने के निर्देश भी दिए थे। केंद्र ने 1997 में भूजल प्रबंधन व रेगुलेशन के लिए केंद्रीय भूजल प्राधिकरण गठित तो किया लेकिन भूजल दोहन रोकने में यह नाकाम रहा। इससे नाराज नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) ने बीती जनवरी में भूजल प्रबंधन की ठोस प्रणाली बनाने का जिम्मा जल संसाधन और पर्यावरण मंत्रलय को सौंपा है जो एक विशेष समिति गठित कर 30 जून तक भूजल प्रबंधन की कारगर रूपरेखा तैयार करेगी।

उप्र भूजल दोहन में अव्वल

  • कृषि क्षेत्र में अधाधुंध दोहन, डिप व स्प्रिंकलर इरीगेशन व्यवस्था नाकाफी
  • निजी सबमर्सिबल व नलकूपों पर नियंत्रण के लिए कानून नहीं
  • राज्य जल नीति और भूजल नीति का क्रियान्वयन न होना
  • 90 फीसद शहरी निकायों में पेयजल आपूर्ति भूगर्भ जल पर निर्भर
  • शहरों में भूजल दोहन का वास्तविक ब्योरा नहीं
  • भूजल प्रदूषण से प्रभावित 54 जिलों की समग्र भूजल गुणवत्ता मैपिग का अभाव
  • वर्षा जल संचयन और रीचार्ज में अरबों खर्च होने के बावजूद अपेक्षित परिणाम नहीं
  • भवनों में जल संरक्षण के बिल्डिंग बाइलॉज का पालन नहीं

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