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पेड़-पौधे बनेंगे रोजगार का जरिया

एनबीआरआइ संचालित करेगा ग्रीन स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रम

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Aug 2018 01:30 PM (IST)Updated: Sat, 25 Aug 2018 01:30 PM (IST)
पेड़-पौधे बनेंगे रोजगार का जरिया
पेड़-पौधे बनेंगे रोजगार का जरिया

लखनऊ (जागरण संवाददाता)। पेड़-पौधे भी अब रोजगार का जरिया बनेंगे। ऐसे लोग जो पर्यावरण से सरोकार रखते हैं राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआइ) द्वारा शुरू किए जा रहे ग्रीन स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रम का हिस्सा बन सकते हैं। एनबीआरआइ द्वारा पहली बार प्रदूषण निगरानी: मृदा प्रदूषण विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत शुक्रवार को की गई। यह कार्यक्रम पर्यावरण एवं वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा राष्ट्रीय कौशल संस्था के सहयोग से संचालित किया जाएगा।

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कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए एनबीआरआइ के निदेशक डॉ. एसके बारिक ने बताया यह पहली बार है कि ग्रीन स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। इससे जहां पर्यावरण संरक्षण होगा वहीं लोगों को रोजगार भी मिल सकेगा। इसके तहत दो कार्यक्रम शुरू किए जा रहे हैं। प्रदूषण निगरानी: मृदा प्रशिक्षण व ग्रीन बेल्ट विकास। उन्होंने कहा कि मृदा की जांच पेड़-पौधों के लिए बेहद आवश्यक है। जिस तरह से मृदा प्रदूषण बढ़ रहा है वह चिंता का विषय है। ऐसे में हमें बड़ी संख्या में ऐसा प्रशिक्षित लोगों की जरूरत है जो मृदा जांच में दक्ष हों। शुक्रवार से शुरू हो रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम में हैंड्स ऑन ट्रेनिंग व थ्योरी दोनों की जानकारी दी जाएगी। इसमें 41 प्रशिक्षु भाग ले रहे हैं। ट्रेनिंग के बाद जहां इनको नौकरी के अवसर मिल सकेंगे वहीं रोजगार भी शुरू कर सकेंगे।

इसके अलावा ग्रीन बेल्ट विकास पर भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। पौधे प्रदूषण को अवशोषित करने में सक्षम होते हैं। साथ ही पेड़-पौधे प्रदूषण अवशोषित करने में काफी अहम् भूमिका निभा सकते हैं। अलग-अलग प्रकार के प्रदूषण को अवशोषित करने के लिए खास किस्म के पेड़-पौधे होते हैं। ऐसे में एनबीआरआइ द्वारा प्रदूषण के प्रकार के लिहाज से ग्रीन बेल्ट विकसित करने की ट्रेनिंग दी जाएगी। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक डॉ. एस. राजन ने कहा कि मृदा प्रदूषण की समस्या दिनोंदिन बढ़ रही है। इसलिए यह पता करना जरूरी होता है कि प्रदूषण का प्रकार क्या है। चूंकि उसी के लिहाज से पौधे रोपे जाते हैं जिससे वह प्रदूषण को अवशोषित कर सकें। इस अवसर पर मुख्य वैज्ञानिक डॉ. एसके तिवारी ने संस्थान द्वारा चलाए जा रहे अन्य प्रशिक्षण कार्यक्रमों की जानकारी दी। इस मौके पर डॉ. प्रमोद शिर्के व डॉ. पंकज श्रीवास्तव मौजूद रहे।


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