बेटियों को 'निर्भीक' नहीं बना पाया निर्भया फंड, होने थे ये काम Lucknow news
आलाम यह है कि बेटियों को निर्भीक बनाने वाला निर्भया फंड तक अफसर खर्च नहीं कर पा रहे हैैं।
लखनऊ, (ज्ञान बिहारी मिश्र)। 16 दिसंबर 2012 की काली रात ने पूरे देश की आंखे खोल दी थीं। वह निर्भया थी, जिसने बिना कुछ कहे व्यवस्था पर सवालों की झड़ी लगा दी थी। लोग जागे, उठे और एक नई क्रांति नजर आई। महिलाओं की सुरक्षा से संबंधित कड़े कानून बने और अफसरों की जिम्मेदारियां तय की गईं। दिन बीते। समय गुजरा मगर अफसोस...। दिल्ली की दुस्साहसिक वारदात के आठ साल बाद भी देश वहीं आकर खड़ा है। हैदराबाद में महिला डॉक्टर के संग हैवानियत के मंजर से फिर रूबरू है। गुस्सा, गम पहले से ज्यादा है लेकिन, बेबसी भी हावी है। वो इसलिए क्योंकि जिम्मेदार सो रहे हैैं।
याद कीजिए। दिल्ली के निर्भया कांड के बाद जमकर हल्ला मचा था। सरकारें तक कांप उठीं। आखिर में कड़े कानून बने। घटना के तीन साल बाद केंद्र सरकार ने निर्भया फंड बनाया, जिससे उनकी सुरक्षा के इंतजाम होने थे। उत्तर प्रदेश सरकार को 11,939 लाख रुपये का बजट मिला लेकिन, जानकर हैरानी होगी कि उसमें से अब तक सिर्फ 393 लाख रुपये ही खर्च हो पाए हैैं।
सेफ नहीं हो पाई राजधानी
महिला सुरक्षा को लेकर मोदी और योगी सरकार चिंतित है। इसीलिए राजधानी को महिला अपराध फ्री बनाने के लिए सेफ सिटी प्रोजेक्ट के तहत 194.44 करोड़ रुपये में जारी किए गए। यह दीगर बात है, नीचे का सिस्टम इस योजना पर कुंडली मारे बैठा रहा। कोई प्रोजेक्ट अभी तक धरातल पर नहीं आ सका है। हैरानी इस बात की है कि इस बजट का कितना हिस्सा खर्च हुआ है, इसकी स्पष्ट जानकारी भी जिम्मेदार किसी के पास नहीं है। बजट का 60 फीसद हिस्सा केंद्र व 40 फीसद प्रदेश सरकार को वहन करना है। हां, यह दावा जरूर है कि लखनऊ के सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की सुरक्षा संबंधित डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाकर गृह मंत्रालय को भेज दी है।
ऐसे सेफ होनी है राजधानी
राजधानी में अत्याधुनिक इंटीग्रेटेड कंट्रोल रूम प्रस्तावित है। उन प्रमुख स्थानों पर सीसी कैमरे लगाए जाने हैं, जहां महिलाओं का आवागमन सर्वाधिक है। इस कंट्रोल रूम में ऑडियो-वीडियो एनालिटिक, सोशल मीडिया मानीटङ्क्षरग, आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस, डेटा एनालिसिस और सर्विलांस से लैस उपकरण रहेंगे।
बसों में नहीं लगे सीसी कैमरे
राजधानी की 250 बसों में सीसी कैमरे लगने का प्रस्ताव है। इसके साथ ही एक पैनिक बटन भी लगना है, जो सिर्फ फाइलों में सिमटा है। सेफ सिटी योजना के तहत कंट्रोल रूम में कोई भी व्यक्ति सीधे तस्वीर या वीडियो भेज सकता है, जिसकी जांच संबंधित पुलिसकर्मी कर कार्रवाई करेंगे।
पिंक बूथ भी सपना
शहर के विभिन्न इलाकों में 100 पिंक बूथ बनाने की योजना प्रस्तावित है। इन बूथों में सिर्फ महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती होगी जिन्हें पिंक स्कूटी उपलब्ध कराई जानी है। महिलाएं संबंधित बूथ में पुलिसकर्मियों से संपर्क कर अपनी शिकायत दर्ज करा सकेंगी। इस बाबत राजधानी में अभी सिर्फ स्थान ढूंढे जा रहे हैैं। इस संबंध में एडीजी वीमेन पावर लाइन अंजू गुप्ता का कहना है कि निर्भया फंड से जुड़ी योजनाएं काम कर रही हैं। कई कार्यों के लिए टेंडर भी जारी हो चुका है। इस संबंध में वरिष्ठ अधिकारी ही विस्तृत जानकारी देंगे।
कुछ खास तथ्य
- 11,939 लाख रुपये निर्भया फंड के तहत केंद्र ने प्रदेश को दिए थे
- 393 लाख रुपये ही प्रदेश सरकार खर्च कर पाई
- 194.44 करोड़ रुपये की सेफ सिटी योजना भी ठंडे बस्ते में
- 60 फीसद केंद्र और 40 फीसद बजट प्रदेश को देना था
- 250 बसों में नहीं लगे सीसीटीवी कैमरे व पैनिक बटन
- 100 पिंक आउट पोस्ट बनाने की योजना भी धीमी
- 50 पिंक हेल्प डेस्क बनाने की योजना भी अधर में