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FSSAI यौन उत्पीडऩ प्रकरण: बिना पीडि़ता से संपर्क किए विवेचक ने कहा बयान दर्ज

एफएसएसएआइ के पूर्व निदेशक को बचाने में जुटी अलीगंज पुलिस। विवेचक का झूठ उजागर, तीन दिन बाद भी नहीं शुरू हुई विवेचना।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 02 Nov 2018 08:54 PM (IST)Updated: Sat, 03 Nov 2018 09:44 AM (IST)
FSSAI यौन उत्पीडऩ प्रकरण: बिना पीडि़ता से संपर्क किए विवेचक ने कहा बयान दर्ज
FSSAI यौन उत्पीडऩ प्रकरण: बिना पीडि़ता से संपर्क किए विवेचक ने कहा बयान दर्ज

लखनऊ(जेएनएन)। भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) के वर्ष 2012 में तत्कालीन निदेशक (प्रवर्तन) व सीनीयर आइएएस डॉ. एसएस धौन्क्रोक्ता और सुनील कुमार भदौरिया के खिलाफ अलीगंज थाने में एफआइआर दर्ज करने के तीन दिन बाद भी विवेचना नहीं शुरू हो सकी है। एएसपी ट्रांसगोमती हरेंद्र कुमार ने बताया कि पुरनिया चौकी प्रभारी ब्रजेश कुमार को विवेचना मिली है। 

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ब्रजेश कुमार ने बताया कि पीडि़त महिला अफसर के बयान दर्ज करा दिए गए हैं। जबकि इस संबंध में पीडि़ता का कहना है कि एफआइआर दर्ज करने के बाद पुलिस ने उनसे संपर्क ही नहीं किया है। इससे विवेचक की कार्यप्रणाली संदेह के दायरे में है। अभी महिला के न तो पुलिस ने बयान दर्ज किए हैं और न ही न्यायलय में बयान दर्ज हुए हैं। पुलिस पूर्व निदेशक समेत एफआइआर में नामजद दोनों आरोपितों को बचाने में जुटी है।

गौरतलब है कि वर्ष 2012 में पीडि़त महिला अधिकारी की मां ने यौन उत्पीडऩ की शिकायत दर्ज कराई थी। जिसपर विभाग में कमेटी का गठन करके जांच हुई। कमेटी ने एक हजार पन्ने की रिपोर्ट में वर्ष 2015 में ही डॉ. धौन्क्रोक्ता को दोषी बताया था। फरवरी 2017 में रिपोर्ट दी गई, जिसमें छेड़खानी, अश्लील हरकतें, षडयंत्र समेत अन्य आरोपों की पुष्टि हुई। तब तक डॉ. धौन्क्रोक्ता सेवानिवृत्त हो चुके थे, लेकिन उनके इशारे पर मौजूदा सीईओ ने वर्ष 2017 में ही रिपोर्ट रोक ली। इसके बाद रिपोर्ट दबाकर जबरन पीडि़ता को स्टडी लीव पर भेज दिया गया। अभी तक उन्हें विभाग में ज्वाइन नहीं कराया गया। 

एफआइआर में विवेचक का नाम भी गलत दर्ज किया

इस बड़े मामले में भी पुलिस ने किस कदर लापरवाही बरती एफआइआर में दर्ज विवेचक के गलत नाम से अंदाजा लगाया जा सकता है। एफआइआर में जांचकर्ता के नाम पर अलीगंज थाने के दारोगा वीरभान सिंह का नाम दर्ज है, जबकि विवेचना ब्रजेश कुमार को मिली है। खास बात यह है कि एफआइआर देखकर अभी पीडि़ता को यही मालूम है कि उनके विवेचक वीरभान सिंह ही हैं।  


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