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फूलपुर में भाजपा की अग्निपरीक्षा, 2014 में पहली बार जीती थी सीट

फूलपुर से 2014 में पहली बार कमल खिला था। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने यहां से जीत दर्ज की थी। इससे पहले केशव प्रसाद मौर्य सोरांव से विधायक चुने गए थे।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 10 Feb 2018 10:52 AM (IST)Updated: Sat, 10 Feb 2018 04:28 PM (IST)
फूलपुर में भाजपा की अग्निपरीक्षा, 2014 में पहली बार जीती थी सीट
फूलपुर में भाजपा की अग्निपरीक्षा, 2014 में पहली बार जीती थी सीट

लखनऊ (जेएनएन)। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की सीट रहे इलाहाबाद जिले के फूलपुर लोकसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी की राह कभी आसान नहीं रही। पंडित नेहरू ने यहां से 1952 में चुनाव जीता था। भाजपा को यहां हो चुके चुनाव में सिर्फ एक बार सफलता मिली थी। इस सीट पर पहली बार 2014 में केशव प्रसाद मौर्य ने जीत दर्ज की थी।

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इससे पहले भाजपा की यहां पर दाल नहीं गली थी। अब 11 मार्च को इस सीट के उप चुनाव में देश तथा उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज भाजपा की राह आसान नहीं होगी। इससे पहले फूलपुर में दो बार उपचुनाव हो चुका है। यह तीसरी बार होगा जब यहां उपचुनाव के लिए 11 मार्च को वोट डाले जाएंगे। 1952 से अब तक इस सीट पर 18 बार चुनाव हो चुके हैं।

गोरखपुर लोकसभा सीट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और फूलपुर लोकसभा सीट उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के उत्तर प्रदेश विधान परिषद का सदस्य बनने के बाद खाली हुई हैं। दोनों सीटों पर उपचुनाव के तहत आगामी 11 मार्च को मतदान होगा और परिणामों की घोषणा 14 मार्च को की जाएगी।

निर्वाचन आयोग ने कल उत्तर प्रदेश के फूलपुर तथा गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र के उप चुनाव की तिथि घोषित की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के बाद खाली हुई गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट पर 11 मार्च को मतदान होगा। गोरखपुर तो भारतीय जनता पार्टी की परंपरागत सीट है। इस सीट पर गोरक्षपीठ का कब्जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यहां से लगातार पांच बार से सांसद थे। फूलपुर से 2014 में पहली बार कमल खिला था। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने यहां से जीत दर्ज की थी। इससे पहले केशव प्रसाद मौर्य सोरांव से विधायक चुने गए थे।

फूलपुर संसदीय क्षेत्र में सियायी गणित जातीय समीकरण पर टिकी रहती है। इस सीट को कांग्रेस की परंपरागत सीट माना जाता रहा है। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू यहां से तीन बार सांसद रहे थे। उनके निधन के बाद 1964 में इस सीट पर उपचुनाव हुआ और कांग्रेस की विजयलक्ष्मी पंडित ने जीत दर्ज की। वह पंडित जवाहर लाल नेहरू की बहन थीं। विजयलक्ष्मी पंडित के निधन के बाद 1969 में इस सीट पर उपचुनाव हुआ और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से जन्नेश्वर मिश्र ने जीत दर्ज की। फूलपुर लोकसभा सीट का देश के राजनैतिक इतिहास में खासा महत्व है।

इस सीट से ही देश के पहली बार प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने जीत दर्ज की। इसी सीट से कांग्रेस के टिकट पर वीपी सिंह भी जीते थे। वह भी बाद में देश के प्रधानमंत्री बने। यहां से 18 में से सात बार कांग्रेस से जीत दर्ज की है। इसके बाद पटेल वोट पर नजर गड़ाने वाली समाजवादी पार्टी ने चार बार यहां से चुनाव जीता। 1971 (दो साल के लिए जनेश्वर मिश्र यहां से सांसद रहे। इसके बाद 1977 में कमला बहुगुणा ने भारतीय लोकदल के टिकट से इस सीट को कांग्रेस छिना। 1984 में एक बार फिर कांग्रेस के राम पूजन पटेल ने इस सीट पर जीत दर्ज की। इसके बाद से आज तक कांग्रेस इस सीट को नहीं जीत सकी है। 1989 में कांग्रेस छोड़कर राम पूजन पटेल जनता दल से सीट से चुने गए। वह यहां से तीन बार सांसद रहे। 1996 से 2004 तक इस सीट पर समाजवादी पार्टी का दबदबा रह। 2009 में बसपा ने यह सीट पहली बार जीती। 2014 में चुनाव में केशव प्रसाद मौर्य ने यहां से भाजपा का खाता खोला।

61 हजार नए वोटर्स डालेंगे वोट

11 मार्च को होने वाले उपचुनाव में 61 हजार नए वोटर्स अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इस बार मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान के दौरान फूलपुर लोकसभा में कुल 61 हजार नए मतदाताओं को जोड़ा गया है। यहां अभी तक 19.35 लाख वोटर्स हैं। इस लोकसभा में कुल पांच विधानसभा फूलपुर, फाफामऊ, सोरांव, शहर उत्तरी व शहर पश्चिमी को शामिल किया गया है।

तीसरी बार होगा फूलपुर में उपचुनाव

फूलपुर में दो बार उपचुनाव हो चुका है। यह तीसरी बार होगा जब यहां उपचुनाव के लिए 11 मार्च को वोट डाले जाएंगे। 1952 से अब तक इस सीट पर 18 बार चुनाव हो चुके हैं। पहली बार इस सीट से देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को चुना गया था। वहां यहां से तीन बार सांसद चुने गए थे। 


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