फार्मेसी कोर्स की बढ़ेंगी 10 फीसद सीटें, कम होगी प्रवेश की मारामारी
फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से 5876 सीटोें की वृद्धि का फैसला किया है। कोरोना संक्रमण काल के चलते परीक्षा में आवेदन के मुकाबले मात्र 54 फीसद ही परीक्षार्थी शामिल हुए ऐसे में वंचित छात्रों काे सीधे प्रवेश लेने का अवसर मिलेगा और प्रवेश की मारामारी भी कम होगी।
लखनऊ [जितेंद्र उपाध्याय]। यदि आप फार्मेसी का डिप्लोमा करना चाहते हैं और सीटों की कमी को लेकर परेशान हैं तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है। फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से 5876 सीटोें की वृद्धि का फैसला किया गया है। संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद की ओर से आयोजित परीक्षा के आधार पर फार्मेसी डिप्लाेमा के लिए प्रवेश होता है। कोरोना संक्रमण काल के चलते परीक्षा में आवेदन के मुकाबले मात्र 54 फीसद ही परीक्षार्थी शामिल हुए थे। ऐसे में वंचित छात्रों काे सीधे प्रवेश लेेने का अवसर भी मिलेगा और प्रवेश की मारामारी भी कम होगी।
परिषद की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक फार्मेसी ग्रुप में 66,306 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था और 42881 परीक्षा में शामिल हुए। सूबे की फार्मेसी संस्थानों में कुल 58758 सीटों के लिए 37892 अभ्यर्थी योग्य पाए गए हैं। 10 फीसद सीटोें की बढ़ोतरी से सीधे प्रवेश लेेने वालों को फायदा होगा।
तीन से चार गुना की होती थी काउंसिलिंग
28 सितंबर को परीक्षा परिणाम आने के साथ ही काउंसिलिंग शुरु हो गई है। हर वर्ष सीटों के मुकाबले तीन से चार गुना अभ्यर्थी काउंसिलिंग में हिस्सा लेते थे। सीट कम होने से हजारों छात्र प्रवेश से वंचित रह जाते थे। सीटें बढ़ने से निजी संस्थानों काे फायदा होगा। डोनेशन लेकर प्रवेश लेने वाली संस्थाएं भी अब परिषद से बीच का रास्ता निकालने या फिर सीधे प्रवेश की अनुमति के इंतजार में हैं।
संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद सचिव एसके वैश्य ने बताया कि इस बार अनुमान से कम अभ्यर्थियोें ने परीक्षा दी है। ए ग्रुप के बाद सबसे अधिक मारामारी फार्मेसी में रहती है। पंजीयन भी ए-ग्रुप के बाद सबसे ज्यादा फर्मेसी के ग्रुप-ई मेें परीक्षार्थी शामिल हुए,बावजूद इसके सीटों के अभ्यर्थियोें की संख्या कम है। वहीं काउंसिल ने सभी संस्थानों में कुल सीटों का 10 फीसद सीटें बढ़ाने का निर्णय लिया है।