मिट्टी के कुकर में दाल और कढ़ाई में बनेगी सब्जी, सेहत के साथ स्वाद का भी एहसास
सदियों पुरानी परंपरा को आधुनिकता का रंग देकर एक बार फिर वापस लाने का प्रयास। सोंधी मिट्टी की खुशबू के साथ गुणवत्ता युक्त स्वाद का एहसास। मिट्टी के बने कुकर कढ़ाई बोतल कप प्लेट थाली व जग समेत रोजमर्रा की जरूरत के सामानों को बनाकर लोगों को आकर्षित।
लखनऊ, जेएनएन। मिट्टी के बने बर्तन में भोजन पकाने की सदियों पुरानी परंपरा को आधुनिकता का रंग देकर एक बार फिर वापस लाने का प्रयास किया जा रहा है। खादी और ग्रामोद्योग आयोग भारत सरकार की पहल पर माटी कला को संवारने और हुनर को तकनीक से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। इसी के तहत मिट्टी के बने कुकर, कढ़ाई बोतल, कप प्लेट, थाली व जग समेत रोजमर्रा की जरूरत के सामानों को बनाकर लोगों को आकर्षित किया जा रहा है।
यदि आपको ऐसे बर्तन चाहिए तो चारबाग के बाल संग्रहालय मैदान में लगी खादी प्रदर्शनी में जाकर ले सकते हैं। नौ नवंबर तक आधुनिक खादी की इस प्रदर्शनी में मिट्टी के बर्तन लेकर झांसी आए भागीरथ प्रजापति ने बताया कि पुस्तैनी काम आगे बढ़ाने के लिए हमने अपनी कला को आधुनिकता के रंग में रंगने का काम किया। मिट्टी के बर्तन शरीर के लिए हानिकारक नहीं होते हैं और टूटने पर यह फिर मिट्टी में मिल जाते हैं। दो साल की गारंटी वाले कुकर में खाने का स्वाद सामान्य कुकर के मुकाबले ज्यादा अच्छा होता है। कीमत उनकी इतनी है कि आप इसे खरीदकर देश् के लुप्त होते हुनर को संजीवनी दे सकते हैं।
मधुबनी पेंटिंग का मास्क
बिहार के मधुबनी पेंटिंग के मास्क लेकर आए कृष्ण कुमार झा के स्टॉल पर भी ग्राहकों की भीड़ रही। तीन लेयर वाले कपड़े के बने मास्क पर मधुबनी पेंटिंग लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। मास्क के साथ बैग, पर्स और फाइल सहित कई उत्पादों मधुबनी पेंटिंग को दिखाने का प्रयास किया गया है।
हर दिन होंगे सांस्कृतिक आयोजन
नौ नवंबर तक सुबह 10 बजे से रात नौ बजे तक चलने वाली प्रदर्शनी में हर दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे। सहायक निदेशक एके मिश्रा ने बताया कि आयोग के राज्य निदेशक डीएस भाटी के संयोजन मेें लगी प्रदर्शनी में सुरक्षा का खास ध्यान रखा गया है। मास्क और सैनिटाइजर के साथ ही प्रवेश की अनुमति होगी। खादी के कपड़ों और उत्पादों पर 30 फीसद तक की छूट भी दी जा रही है।