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दोनों पैर गंवाने वाले मरीज को स्ट्रेचर पर भर्ती कर ग्लूकोज खिड़की पर टांगा

जहरखुरानी का शिकार हुए महेश की दोनों टांगे कट गईं थी । सीटी स्कैन की जांच करवाने आए मरीज के तीमारदार हाथ में लेकर आए ग्लूकोज की बोतल।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 06 Feb 2019 08:17 PM (IST)Updated: Thu, 07 Feb 2019 08:12 AM (IST)
दोनों पैर गंवाने वाले मरीज को स्ट्रेचर पर भर्ती कर ग्लूकोज खिड़की पर टांगा
दोनों पैर गंवाने वाले मरीज को स्ट्रेचर पर भर्ती कर ग्लूकोज खिड़की पर टांगा

लखनऊ, जेएनएन। केजीएमयू के ट्रामा सेंटर का हालत खस्ता है। गोरखपुर में जहरखुरानी का शिकार हुए रेलवे के संविदा कर्मचारी महेश (24) की दोनों टांगे कट गई हैं। वह दर्द और पीड़ा से कराहता हुए स्ट्रेचर पर छटपटा रहा है। बीते रविवार को केजीएमयू में उसे भर्ती करवाया गया। यहां डॉक्टरों ने उसे स्ट्रेचर पर भर्ती कर दिया और आगे सोमवार को आपरेशन की तारीख उसे दी गई है। संवेदनहीनता और संसाधनों की कमी के कारण उसे ग्लूकोज टांगने का स्टैंड तक नहीं मिल पाया। ऐसे में परिवारीजनों ने उसकी ग्लूकोज की बोतल खिड़की पर टांग दी। वहीं दूसरी ओर सीटी स्कैन करवाने आए कई मरीजों के परिजन हाथ में ग्लूकोज की बोतल टांगे हुए थे। 

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ट्रामा सेंटर में रविवार को भर्ती हुए 24 वर्षीय महेश ने बताया कि बीती 16 जनवरी को गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर वह अपना वेतन लेकर घर जा रहा था। गोरखपुर में हड़हवा फाटक के पास उसका घर है। स्टेशन पर ही वह जहरखुरानी का शिकार हो गया और उसे बेहोश कर रेलवे ट्रैक पर लिटा दिया गया। इससे उसके दोनों पैर कट गए। फिलहाल महेश ने बताया कि यहां पर ट्रामा में बेड नहीं है, इसलिए स्ट्रेचर पर भर्ती किया गया है। ग्लूकोज की बोतल किसी तरह खिड़की पर टांग दी गई है। घर वाले भी बीच-बीच में इसे हाथ पर लेकर खड़े होते हैं। इलाज चल रहा है, आपरेशन अब सोमवार को होगा तब तक स्ट्रेचर पर ही समय काटना है।

उधर दूसरी ओर सिद्धार्थनगर से आए राम प्यारे अपनी बेटी का सीटी स्कैन करवाने ट्रामा सेंटर के भूतल पर लाइन में लगे हुए थे। बेटी के स्ट्रेचर पर ग्लूकोज की बोतल रखी हुई थी। वहीं सीटी स्कैन करवाने आए एक अन्य मरीज के परिवारीजन हाथ में ग्लूकोज की बोतल लेकर घंटों लाइन में खड़े रहे।

क्या कहते हैं जिम्मेदार

मीडिया इंचार्ज प्रो. संतोष कुमार ने बताया कि ट्रामा सेंटर में भीड़ ज्‍यादा है। इस कारण बेड मिलना मुश्किल है। संसाधनों की कमी नहीं है, आखिर ग्लूकोज टांगने के स्टैंड क्यों नहीं दिए जा रहे। इस पर जवाब-तलब होगा।


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