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लिवर ट्रांसप्लांट के बाद वेंटिलेटर से हटा मरीज, 14 घंटे तक चला था ऑपरेशन

रायबरेली निवासी अमरेंद्र बहादुर का हुआ था लिवर ट्रांसप्लांट। पति की हालत में सुधार देख भूलीं खुद का दर्द।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 16 Mar 2019 11:12 AM (IST)Updated: Sat, 16 Mar 2019 11:12 AM (IST)
लिवर ट्रांसप्लांट के बाद वेंटिलेटर से हटा मरीज, 14 घंटे तक चला था ऑपरेशन
लिवर ट्रांसप्लांट के बाद वेंटिलेटर से हटा मरीज, 14 घंटे तक चला था ऑपरेशन

लखनऊ, जेएनएन। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के डॉक्टरों की मेहनत रंग ला रही है। लिवर प्रत्यारोपण के बाद मरीज की हालत में तेजी से सुधार हो रहा है। अब उसे वेंटिलेटर सपोर्ट से हटा दिया गया है। साथ ही मरीज की इम्यूनो सेपरेशन थेरेपी भी शुरू कर दी गई है, ताकि जल्द से जल्द लिवर रीजनरेट हो सके। डॉक्टरों के अनुसार, मरीज के लिए 72 घंटे काफी अहम हैं।

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केजीएमयू और दिल्ली के डॉक्टरों ने गुरुवार को पहली बार सर्जिकल गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग में लिवर ट्रांसप्लांट किया था। इसमें रायबरेली निवासी अमरेंद्र बहादुर (50) को उनकी पत्नी राजकुमारी (48) का लिवर प्रत्यारोपित किया गया। 14 घंटे चले ऑपरेशन के बाद डोनर और मरीज को वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया था। पत्नी राजकुमारी को गुरुवार शाम को ही वेंटिलेटर से हटा दिया गया था। इसके बाद हालत में सुधार होने पर मरीज अमरेंद्र बहादुर को भी शुक्रवार सुबह वेंटिलेटर से आउट कर दिया गया। संस्थान के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह के मुताबिक मरीज की चिकित्सक लगातार मॉनीटरिंग कर रहे हैं। उसके स्वास्थ्य में सुधार आ रहा है।

कलर डॉप्लर अल्ट्रासाउंड, मिला रक्त प्रवाह

शुक्रवार को मरीज का बेड साइड कलर डॉप्लर अल्ट्रासाउंड कराया गया। इस दौरान लिवर में शुद्ध रक्त ले जाने वाली जोड़ी गई हिपेटिक आर्टरी और अशुद्ध रक्त को वापस हार्ट ले जाने वाली हिपेटिक वेन में रक्त प्रवाह की पुष्टि हुई है। इसके साथ ही पित्त की बाइल डक्ट भी काम करती पाई गई। मरीज की कई बार पैथोलॉजिकल जांच कराकर पैरामीटर भी जांचे गए।

प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर लिवर करेगा रीजनरेट

मरीज के शरीर में पत्नी का 40 फीसद लिवर निकालकर प्रत्यारोपित किया गया है। ऐसे में दूसरे के शरीर के अंग को मरीज का शरीर अपनाने में दिक्कत करता है। कारण, फॉरेन ऑर्गन को बॉडी रिजेक्ट करने लगती है। लिहाजा, मरीज अमरेंद्र बहादुर की इम्यूनो सेपरेशन थेरेपी शुरू कर दी गई है। इससे मरीज के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होगी। ऐसे में ग्राफ्ट किए गए लिवर को रीजनरेट होने में आसानी रहेगी। विशेषज्ञों के मुताबिक प्रत्यारोपित लिवर के रीजनरेट होने में करीब तीन सप्ताह का समय लगेगा।

पति की हालत में सुधार देख भूलीं खुद का दर्द

पति को लिवर डोनेट करने वाली राजकुमारी अभी भी आइसीयू में हैं। उन्हें दो-तीन दिन में वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाएगा। पति की हालत में सुधार देखकर वे अपना दर्द भूल गई हैं। उनका कहना है कि सुहाग की रक्षा पत्‍नी का कर्तव्य है। प्रत्यारोपित लिवर में पहले रक्त का प्रवाह कराना अहम होता है। यह स्टेप सही होने के बाद अगली चुनौती मरीज को संक्रमण से बचना होता है। कारण, ग्राफ्ट लिवर के हिस्से को रीजनरेट करने के लिए मरीज के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता कम करने की दवा दी जाती है। इस दौरान संक्रमण से मुकाबला कठिन होता है।


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