KGMU Trauma Centre: विधायक से लेकर केंद्रीय मंत्री तक सिफारिश... मरीज को नहीं मिला वेंटिलेटर, स्ट्रेचर पर तोड़ा दम
केजीएमयू के ट्रामा सेंटर में शुक्रवार को एक मरीज को वेंटिलेटर नहीं मिलने से उसकी मौत हो गई। परिवारीजन ने वेंटिलेटर के लिए विधायक से लेकर केंद्रीय मंत्री तक से सिफारिश कराई लेकिन मदद नहीं मिल सकी। मरीज ने स्ट्रेचर पर ही दम तोड़ दिया।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने पर भले ही हर साल लाखों-करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हों, मगर अभी भी गंभीर मरीजों को बेड व वेंटिलेटर के लिए भटकना पड़ रहा है। केजीएमयू के ट्रामा सेंटर में शुक्रवार को एक मरीज को वेंटिलेटर नहीं मिलने से उसकी मौत हो गई। परिवारीजन ने वेंटिलेटर के लिए विधायक से लेकर केंद्रीय मंत्री तक से सिफारिश कराई, लेकिन मदद नहीं मिल सकी। आखिरकार मरीज ने स्ट्रेचर पर ही तड़पकर दम तोड़ दिया।
सीतापुर के नेवादाकलां निवासी चंद्रभाल त्रिपाठी मंगलवार को अपने घर पर वाशरूम में फिसल कर गिर गए थे। उनके नाती पंकज त्रिपाठी ने बताया कि मंगलवार को रात करीब साढ़े आठ बजे उन्हें (चंद्रभाल) केजीएमयू के ट्रामा सेंटर लाया गया, मगर बेड और वेंटिलेटर खाली नहीं थे। परिवारीजन रवि अवस्थी ने एक विधायक व केंद्रीय मंत्री से भी पैरवी कराई। रवि के अनुसार जब मंत्री ने फोन किया तो मरीज को ऊपरी तल पर ले जाया गया, मगर वेंटिलेटर नहीं होने की बात कहकर वापस भेज दिया गया। डाक्टरों ने कहा कि तब तक अल्ट्रासाउंड करा लो। फिर देखते हैं। इस तरह स्ट्रेचर पर पड़े-पड़े 72 घंटे बीत गए, मगर वेंटिलेटर नहीं मिल सका। शुक्रवार सुबह उनकी सांसें थम गई।
केजीएमयू पर है सर्वाधिक दबाव : केजीएमयू के ट्रामा पर सर्वाधिक मरीजों का दबाव है। पीजीआइ का ट्रामा सेंटर डेढ़ वर्ष से बंद चल रहा है। लोहिया संस्थान में ट्रामा के गंभीर केस नहीं लिए जाते हैं। इस वजह से प्रदेशभर के मरीज केजीएमयू ही आ जाते हैं। यहां मरीजों की संख्या अधिक होने से सभी मरीजों को बेड व वेंटिलेटर दे पाना संभव नहीं हो पाता।
ट्रामा सेंटर के प्रभारी डा. संदीप तिवारी ने बताया कि केजीएमयू में छोटे-बड़े कुल मिलाकर 90 वेंटिलेटर एक्टिव हैं, जो अक्सर फुल रहते हैं। खाली होने पर किसी भी मरीज को लौटाया नहीं जाता। मरीजों की जान बचाना ही हमारी प्राथमिकता है।