मुन्ना बजरंगी की हत्या से दहल गए जेलों में बंद बाहुबली, अंडरवर्ल्ड में भी खलबली
जेलों में बंद अन्य कुख्यात अपराधियों को भी दहला दिया। खुद को जेल में सुरक्षित समझने वाले माफिया अब अपनी सुरक्षा को लेकर परेशान हैं।
लखनऊ (जेएनएन)। माफिया मुन्ना बजरंगी को जिस तरह बागपत जेल में गोलियों से छलनी किया गया, उसने दूसरी जेलों में बंद अन्य कुख्यात अपराधियों को भी दहला दिया। खुद को जेल में सुरक्षित समझने वाले माफिया अब अपनी सुरक्षा को लेकर परेशान हैं। अंडरवल्र्ड में बजरंगी हत्याकांड को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। सभी जेल में पिस्टल पहुंचने से लेकर मुन्ना की हत्या के पीछे गहरी साजिश की आशंकाएं जता रहे हैं।
विधायक मुख्तार अंसारी बांदा जेल में और बाहुबली एमएलसी बृजेश सिंह वाराणसी जेल में बंद हैं। इसके अलावा कुख्यात सुंदर भाटी हमीरपुर जेल, अनिल भाटी कौशाम्बी जेल में, अनिल दुजाना बांदा व संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा बाराबंकी जेल में बंद है। सीरियल किलर सलीम का भाई सोहराब इन दिनों उन्नाव जेल में है। ऐसे ही कई अन्य बड़े अपराधी भी प्रदेश की अलग-अलग जेलों में बंद हैं। जिस प्रकार मुन्ना बजरंगी जेल से बाहर निकलने में अपनी जान को खतरा महसूस करता था,
वैसे ही अन्य कुख्यात भी अपनी रंजिश व पुलिस के खतरे के चलते जेल में ही रहकर अपना नेटवर्क संचालित करने में भरोसा करते हैं। जेल की सलाखों से बाहर आने पर ऐसे अपराधी असुरक्षित महसूस करने लगते हैं। मुन्ना की हत्या के बाद जेल में बंद ऐसे कई कुख्यात के करीबी हरकत में आ गए। कई तो अपने आकाओं से मिलने जेल पहुंचे तो कई ने अपने नेटवर्क के जरिए बॉस की खैर खबर जानी। मुन्ना की हत्या से कई कुख्यात भी दहल गए हैं।
बजरंगी की मौत के बाद जेलों में बढ़ी सुरक्षा
जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद शासन ने जेलों की सुरक्षा बढ़ाने के साथ ही बीते वर्षों में जेल की घटनाओं में आई कमी के आंकड़ों के साथ अपना पक्ष भी रखा। सोमवार को जेलों में सघन चेकिंग भी कराई गई। कारागार राज्यमंत्री जय कुमार सिंह जैकी ने जेलों की सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर कड़े निर्देश दिए हैं।
जेल में मुन्ना की हत्या की घटना ने बड़े सवाल खड़े किए हैं। सूत्रों का कहना है कि मुन्ना की हत्या के बाद अन्य जेलों में चेकिंग बढ़ाई गई तो कई बदमाशों ने अपने मोबाइल बंद कर फेंक दिए। इस बीच कारागार प्रशासन ने बीते तीन वर्षों के आंकड़े भी रखे। बताया गया कि वर्तमान सरकार के गठन के बाद सुरक्षा को और मजबूत बनाने के लिए तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इसके परिणाम में कारागार में घटनाओं में कमी आई है।
कारगार व पुलिस अभिरक्षा से आरोपितों के भागने की घटनाओं में खास कमी आई है। वर्ष 2015 में कारागार अभिरक्षा से 13 व पुलिस अभिरक्षा से 49 बंदी भाग निकले थे, जबकि वर्ष 2016 में यह आंकड़ा 17 व 92 का था। वर्ष 2017 में कारागार अभिरक्षा से 11 व पुलिस अभिरक्षा से 31 बंदी भागे। कारागार व पुलिस अभिरक्षा में वर्ष 2015 में 20 व वर्ष 2016 में 25 आत्महत्या की घटनाएं हुई थीं। वर्ष 2017 में ऐसी पांच घटनाएं हुई हैं।
मुन्ना के साथी अन्नू की भी हुई थी जेल में हत्या
केंद्रीय कारागार वाराणसी में 13 मई 2005 को मुन्ना बजरंगी के साथी अन्नू त्रिपाठी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 17 जनवरी 2015 को मथुरा जेल में बंदियों के दो गुटों के बीच हुए संघर्ष में रिवाल्वर से फायङ्क्षरग हुई थी। गोली लगने से बंदी पिंटू उर्फ अक्षय सोलंकी की मौत हो गई थी, जबकि अपराधी राजेश टोटा को अस्पताल ले जाते समय बदमाशों ने रास्ते में मार दिया था।