71वें गणतंत्र दिवस के मौके पर पद्मश्री मुहम्मद शरीफ को मिला सम्मान, हुए भावविभोर Ayodhya News
पुलिस लाइन में गणतंत्र दिवस के अवसर पर पद्मश्री मोहम्मद शरीफ को मिला सम्मान।
अयोध्या, जेएनएन। 71वें गणतंत्र दिवस के मौके पर पद्मश्री के लिए मनोनित मुहम्मद शरीफ को रविवार को जिले में सम्मानित किया गया। पुलिस लाइन में प्रभारी मंत्री नीलकंठ तिवारी व जिला अधिकारी अनुज कुमार झा ने उन्हें तिरंगा उढ़ाया। इस दौरान मुहम्मद शरीफ चचा भावविभोर हो उठे। उनकी नम आंखें 80 वर्ष की उम्र में मिली इस खुशी को जाहिर कर रहीं थीं।
मुहम्मद शरीफ ने कहा कि 27 साल पहले, सुल्तानपुर में मेरे बेटे की हत्या कर दी गई थी और मुझे इसके बारे में एक महीने बाद पता चला। उसके बाद, मैंने इस काम को अपने हाथ में ले लिया। मैंने हिंदुओं के तीन हजार और मुसलमानों के 2500 शवों का अब तक अंतिम संस्कार किया है। बता दें, 27 वर्ष से अनूठे पथ पर चल रहे शरीफ चचा को अब गणतंत्र दिवस पर सम्मान मिला है।
लावारिस शवों के वारिस हैं मुहम्मद शरीफ
बात 1993 की है। उनके पुत्र मुहम्मद रईस दवा लेने के लिए सुलतानपुर गए थे, जहां एक दुर्घटना में उनकी मौत हो गई। बेटे की खोज में शरीफ कई दिनों तक इधर-उधर भटकते रहे। रिश्तेदार, मित्रों और तमाम जगहों पर खोजने के बाद भी शरीफ को अपने बेटे का कोई सुराग नहीं मिला। करीब एक माह बाद सुलतानपुर से खबर आई कि बेटे की मौत हो गई और अंतिम संस्कार लावारिसों की तरह हुआ। रईस की पहचान उनकी शर्ट पर लगे टेलर के टैग से हुई थी। टैग से पुलिस ने टेलर की खोज की और कपड़े से शरीफ ने मृतक की पहचान अपने बेटे के रूप में की। जवान बेटे की मौत ने पूरे परिवार को झकझोर कर रख दिया। जब परिवार रईस की मौत के गम में डूबा था तो ऐसे में शरीफ के मन में नया संकल्प जन्म ले रहा था।
संकल्प यह कि अब अयोध्या की धरती पर किसी भी शव का अंतिम संस्कार लावारिस की तरह नहीं होगा। न हिंदू, न मुस्लिम, न सिख और न ही ईसाई। शरीफ ने शपथ ली कि वे हर लावारिस शव का अंतिम संस्कार करेंगे और मृतक के धर्म के रीति-रिवाज के अनुसार। 27 वर्षों में करीब 25 हजार लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुके पेशे से साइकिल मिस्त्री शरीफ चचा 80 वर्ष की उम्र में भी अपनी प्रतिज्ञा को उसी हौसले और जुनून से निभाते चले आ रहे हैं।