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प्रमोशन की चाहत जिंदगी पर पड़ी भारी, दौड़ में टूटी PAC जवान की सांसें

35वीं बटालियन में प्लाटून कमांडर पद पर प्रमोशन के लिए दौड़ते समय गिरे थे। वाराणसी के भुल्लनपुर पीएसी की 34वीं बटालियन में थी तैनाती।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 25 Feb 2019 11:52 AM (IST)Updated: Mon, 25 Feb 2019 11:52 AM (IST)
प्रमोशन की चाहत जिंदगी पर पड़ी भारी, दौड़ में टूटी PAC जवान की सांसें
प्रमोशन की चाहत जिंदगी पर पड़ी भारी, दौड़ में टूटी PAC जवान की सांसें

लखनऊ, जेएनएन। महानगर स्थित 35 वाहिनी पीएसी बटालियन के मैदान में प्लाटून कमांडर पद पर प्रमोशन के लिए दौड़ लगाते समय रविवार दोपहर एचसीपी दुर्गेश कुमार (52) की सांसें थम गई। वह फिलहाल वाराणसी के भुल्लनपुर में स्थित 34वीं वाहिनी बटालियन में तैनात थे।

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मूल रूप से बलिया के रसड़ा तहसील के माधौपुर गांव निवासी दुर्गेश कुमार बनारस के भुल्लनपुर स्थित 34वीं बटालियन में एचसीपी के पद पर तैनात थे। रविवार को वह महानगर में 35वीं पीएसी बटालियन स्थित मैदान में उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड द्वारा आयोजित प्लाटून कमांडर पद के प्रमोशन की दौड़ प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने के लिए आए थे। रविवार करीब 10 बजे आयोजित 3200 मीटर की दौड़ में प्रतिभाग कर रहे थे। इस बीच गश खाकर एकाएक गिर पड़े।

दुर्गेश की एकाएक हालत बिगड़ते देख वहां बैठे भर्ती बोर्ड के अधिकारियों ने उन्हें आनन फानन एंबुलेंस से क्षेत्र स्थित भाउराव देवरस हॉस्पिटल भेजा। जहां, से हालात नाजुक देख ट्रामा रेफर कर दिया। ट्रामा ई-सीजी कराने के दौरान दुर्गेश कुमार की सांसे थम गई। इसके बाद अधिकारियों ने घटना की जानकारी 34वीं वाहिनी कमांडेंट विनोद मिश्र को दी। विनोद ने मिर्जापुर स्थित 39वीं वाहिनी पीएसी बटालियन में तैनात दुर्गेश के भाई को दी।

जिसके बाद दुर्गेश के परिवारीजन बलिया और उनके भाई मिर्जापुर से लखनऊ के लिए रवाना हुए। उधर, ट्रामा से दुर्गेश के शव को पोस्टमाॅर्टम हाउस में रखा दिया गया। 39वीं वाहिनी पीएसी बटालियन के कमांडेंट विनोद मिश्र ने बताया कि एचसीपी दुर्गेश समेत कई अन्य जवान प्लाटून कमांडर पदोन्नति की दौड़ में लखनऊ गए थे। 35वीं वाहिनी में दौड़ लगाते समय दुर्गेश गश खाकर गिर पड़े और उनकी मौत हो गई। जानकारी उनके परिवारीजनों को दे दी गई है।

घुटनों में दिक्कत होने के बाद भी प्रमोशन के लिए लगाते रहे दौड़

कमांडेंट विनोद मिश्र के मुताबिक दुर्गेश की मौत के बाद उन्होंने जब बटालियन में पड़ताल की तो पता चला कि उनके घुटनों में दिक्कत थी। इस उम्र में घुटनों में दिक्कत के कारण कई जवानों ने प्रमोशन की दौड़ में प्रतिभाग करने से मना भी कर दिया था। पर दुर्गेश ने कहा कि वह प्रमोशन के लिए दौड़ेंगे। उनकी प्रमोशन की चाहत जिंदगी पर भारी पड़ गई।


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