मां विध्यवासिनी और धूमावती दरबार में उमड़ी श्रद्धा
नवरात्र महापर्व की प्रतिपदा आज नैमिषारण्य पीठ पर मां धूमावती, ललिता देवी और विंध्यधाम में विध्यवासिनी के दर्शन के लिए पूरे दिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती रही।
लखनऊ ( जेएनएन)। नवरात्र महापर्व की प्रतिपदा आज नैमिषारण्य पीठ पर अभीष्ठ फल देने वाली मां धूमावती और विंध्यधाम में मां विध्यवासिनी के दर्शन करने के लिए पूरे दिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती रही। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने मां के दर्शन कर उन्हें काले तिल की पोटली व नारियल का गोला अर्पित किया। इस मौके पर सुहागिनों ने अपने पति की दीर्घायु होने की कामना भी की। उत्तर प्रदेश के ज्यादातर दुर्गा मंदिरों में महिला, पुरुष, बच्चे-बूढ़े पूजा करते दिखाई दिए। हर जगह मेला जैसा माहौल नजर आया।
पढ़ें- बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव ने किया विंध्यधाम में पूजन
मां धूमावती के दर्शन करने को सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ जमा होने लगी थी। इससे पूर्व कालीपीठ के संस्थापक जगदंबा प्रसाद पुजारी ने मां धूमावती की मूर्ति पर पड़े पर्दे को हटाकर वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ मां का अभिषेक कर श्रंगार किया गया और आरती की। इसके बाद दर्शनार्थियों को लिए माता का दरबार लगा दिया गया। ज्ञातव्य हो कि नवरात्र के आज ही माता धूमावती के पट खोले जाते हैं और तभी उनके दर्शन संभव हैं। नैमिषारण्य काली पीठ में स्थित एक मात्र माता धूमावती का मंदिर है। कालीपीठ के पीठाधीश्वर गोपाल शास्त्री ने भी मां की महिमा का गुणगान करते हुए बताया कि दस महाविद्या उग्र देवी धूमावती देवी का स्वरूप विधवा का है। कौवा इनका वाहन है, वह श्वेत वस्त्र धारण किए हुए हैं। खुले केश उनके रूप को और भी भयंकर बना देते हैं। इसी कारण से मां धूमावती के प्रतिदिन दर्शन न करने की परंपरा है। उन्होंने बताया कि सुहागिनें मां धूमावती का पूजन नहीं करती हैं। वह केवल दूर से ही मां के दर्शन कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि मां धूमावती के दर्शन से सुहागिनों का सुहाग अमर हो जाता है। पुत्र और पति की रक्षा के लिए इनके दर्शन अवश्य करने चाहिए।
इसी तरह मीरजापुर जिले में आज नवरात्र के पहले दिन विंध्यपर्वत पर विराजमान विंध्यवासिनी देवी के दर्शन पूजन को भक्त उमड़ पड़े हैं। यहां पर काली खोह के साथ ही अष्टभुजा दरबार में भी भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है।पूर्वांचल में जौनपुर के चौकिया धाम के साथ वाराणसी के दुर्गा बाड़ी व पूर्वांचल के अन्य देवी मंदिरों में भी अपार भीड़ उमड़ी है।
पढ़ें- पीवी सिंधू के स्वर्ण जीतने को लेकर विंध्य धाम में विशेष पूजा
गोंडा में देवीपाटन मंदिर समेत जिले के अन्य मंदिरों में शारदीय नवरात्र के पहले दिन ही श्राद्धलु बडी संख्या में पहुंच रहे हैं। सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं। गोरखपुर में शारदीय नवरात्र के पहले आज श्रीदुर्गा मंदिरों में आस्था का सैलाब उमड़ा पड़ा। अलस्सुबह ही दुर्गा मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। इसके साथ ही घरों में महिलाएं व पुरुषों ने कलश की स्थापना कर मां की आराधना की। गोलघर में काली मंदिर, बुढिय़ा माई मंदिर, तरकुलहा देवी और लेहड़ा मंदिर सहित गोरखपुर-बस्ती मंडल के श्री दुर्गा मंदिरों में महिला, पुरुष के अलावा बच्चे भी पूजा करते दिखाई दिए। हर जगह मेला जैसा माहौल है।
नवरात्र जीवन मूल्यों का पर्व: नृत्यगोपाल
रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष एवं मणिरामदास जी की छावनी के महंत नृत्यगोपालदास ने कहा कि शारदीय नवरात्र और विजय दशमी शक्ति उपासना तथा सामाजिक जीवन मूल्यों के उत्थान का महापर्व है। वह आज अयोध्या में प्रारंभ नवाह्न पारायण पाठ से पूर्व विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा, गरीबी, बेरोजगारी तथा अशिक्षा ही समाज का अभिशाप है। हम इस धार्मिक महोत्सव को मात्र उल्लास या धर्म-कर्म तक ही सीमित न रखें बल्कि समाज की विभिन्न बुराइयों को जड़-मूल से समाप्त करने का माध्यम बनाएं और सशक्त राष्ट्र के निर्माण का संकल्प लें।
परमहंस की समाधि पर अनुष्ठान
अयोध्या में सरयू तट स्थित रामजन्मभूमि आंदोलन के महानायक रामचंद्रदास परमहंस की समाधि पर नौ दिवसीय धार्मिक अनुष्ठान का श्रीगणेश विधि-विधान से हुआ। पूजन-आह्वान के बाद 11 वैदिक आचार्यों ने शतचंडी का समवेत स्वर में पाठ शुरू किया। सायं रुद्राभिषेक का क्रम चला। परमहंस के प्रमुख शिष्य नारायण मिश्र के अनुसार नौ दिवसीय अनुष्ठान का समापन विजयादशमी पर्व पर होगा। मिश्र ने बताया कि गुरुदेव सदैव राष्ट्र कल्याण के प्रति समर्पित रहे, वहीं मोदी सरकार द्वारा आतंक के विनाश के लिए शुरू किये गये अभियान की सफलता हेतु मां दुर्गा को नमन किया जा रहा है, जिससे भारत के वीर सैनिकों को और शक्ति-साहस मिल सके।