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नोटबंदी से हजार और पांच सौ के नोटों में 40 करोड़ के जाली नोट बाहर

वित्तीय वर्ष 2015-16 में जहां एक हजार और पांच सौ के नोटों में करीब 28 करोड़ रुपये के जाली नोट पकड़े गए थे, वर्ष 2016-17 में यह आंकड़ा बढ़कर 40 करोड़ रुपये हो गया।

By Ashish MishraEdited By: Published: Wed, 30 Aug 2017 10:17 PM (IST)Updated: Wed, 30 Aug 2017 10:17 PM (IST)
नोटबंदी से हजार और पांच सौ के नोटों में 40 करोड़ के जाली नोट बाहर
नोटबंदी से हजार और पांच सौ के नोटों में 40 करोड़ के जाली नोट बाहर

कानपुर (जेएनएन)। नोटबंदी के बाद बैंकों में जमा हुए एक हजार और पांच सौ रुपये के पुराने नोटों में से 40 करोड़ रुपये के जाली नोट बाहर हुए हैं। वह भी तब जब एक हजार और 500 रुपये के केवल 25 फीसद नोटों को आरबीआइ के करेंसी वेरीफिकेशन एंड प्रोसेसिंग सिस्टम (सीवीपीएस) में शामिल किया गया। अभी तीन चौथाई नोट प्रोसेस होने बाकी हैं। वहीं नोटबंदी के दौरान बैंकों में किए गए संदिग्ध लेनदेन में छह गुना और फाइनैंशल इंस्टीट्यूशन में संदिग्ध लेनदेन में चार गुना का भारी भरकम इजाफा हुआ है।

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आठ नंवबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा के पीछे जाली नोट और काला धन भी कारण था। यह आशंका सही भी साबित हुई। वित्तीय वर्ष 2015-16 में जहां एक हजार और पांच सौ के नोटों में करीब 28 करोड़ रुपये के जाली नोट पकड़े गए थे, वर्ष 2016-17 में यह आंकड़ा बढ़कर 40 करोड़ रुपये हो गया। इसमें एक हजार रुपये के जाली नोट मिलने में करीब 80 फीसद का इजाफा हुआ जबकि पांच सौ के जाली नोट करीब 21 फीसद बढ़े। यह आंकड़ा मार्च 2017 तक काटे गए 3.26 लाख करोड़ रुपये में से मिला है। अभी करीब 10 लाख करोड़ रुपये मूल्य के नोट काटने हैं। वर्ष 2015-16 में एक हजार रुपये के 143099 नोट और 500 रुपये के 261695 नोट जाली मिले थे। वर्ष 2016-17 में एक हजार के 256324 और 500 रुपये के 317567 नोट जाली मिले।


नोटबंदी के दौरान काला धन ठिकाने लगाने के लिए कई प्रयास हुए। बैंकों में ही संदिग्ध लेनदेन बढ़ गया और पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले छह गुना संदिग्ध लेनदेन बढ़े। इसके अलावा वित्तीय संस्थान जैसे-बीमा, हाउसिंग कारपोरेशन, नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी और इमीडिएटरीज यानी सेबी में पंजीकृत स्टाक ब्रोकर, मर्चेंट बैंकर्स, पोर्ट फोलियो मैनेजर, फारेन इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टर्स शामिल हैं, में करीब चार गुना संदिग्ध लेनदेन हुए।

बैंकों में संदिग्ध लेनदेन
-संस्था 2014-15 2015-16 2016-17
-बैंक 45854 61361 361214
-वित्तीय संस्थान 10649 40333 94836
-इमीडिएटरीज 2139 4579 16593

अर्थव्यवस्था में 2000 और 500 के नोट 72 फीसद
नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था में 2000 और पांच सौ रुपये के नोटों की भागीदारी 72 फीसद है। मार्च 2017 तक आरबीआइ ने 2000 रुपये के नोटों की शक्ल में 6.571 लाख करोड़ रुपये और 500 रुपये के नोटों की शक्ल में 2.941 लाख करोड़ रुपये जारी किये। इस अवधि में कुल 13.10 लाख करोड़ रुपये जारी किए गए थे।

नोटों की कटाई पूरी करने का लक्ष्य
वर्ष 2017-18 के लिए आरबीआइ ने अपने एजेंडे में सबसे पहले एक हजार और पांच सौ रुपये के नोटों की कटाई को रखा है। आरबीआइ के क्षेत्रीय कार्यालयों और बैंकों के करेंसी चेस्ट में अभी भी एक हजार और 500 रुपये के पुराने नोट रखे हैं। केवल यूपी की ही बात करें तो यहां पर एक लाख करोड़ रुपये से अधिक स्पेसिफिक बैंक नोट जमा हुए थे।

नए नोट भी जारी करेगा आरबीआइ
हालांकि आरबीआइ ने 200 रुपये के नए मूल्य वर्ग में नोट जारी किया है लेकिन जुलाई 2017 से जून 2018 तक के आरबीआइ के एजेंडे में नए मूल्य वर्ग के नोट जारी करने का एजेंडा भी शामिल है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि 200 रुपये के नोट के अलावा किस नए मूल्य वर्ग में नोट जारी होता है। 


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